मुंबई मोनोरेल में फंसे यात्रियों का बुरा हाल, न एसी न लाइट, घुटन से बेहोशी तक… यात्री हरिशंकर ने बताया अंदर का मंजर।
बारिश के बीच मोनोरेल में फंसे सैकड़ों लोग, घुटन से बेहाल हालात
मंगलवार शाम को मुंबई के चेंबूर और भक्ति पार्क स्टेशन के बीच एक मोनोरेल अचानक खराब हो गई और पूरे डेढ़ घंटे तक ट्रैक पर खड़ी रही। शहर पहले ही भारी बारिश से बेहाल था, वहीं इस मोनोरेल की खराबी ने यात्रियों की जान सांसत में डाल दी। भीड़ से भरी मोनोरेल में एसी और लाइट बंद हो गई, जिससे अंदर घुटन और गर्मी का माहौल बन गया।
यात्रियों का दर्द: ‘दम घुट रहा था, महिलाएं रो रही थीं’
एक फंसे हुए यात्री हरिशंकर ने बताया कि मोनोरेल अचानक झटके के साथ रुकी। पहले तो लोगों ने सोचा कुछ तकनीकी खराबी होगी और थोड़ी देर में फिर से चालू हो जाएगी, लेकिन जैसे ही लाइट और एसी बंद हुए, यात्रियों में बेचैनी फैल गई। भीड़ इतनी थी कि सांस लेने तक में दिक्कत हो रही थी। कई महिलाओं की हालत बिगड़ गई और कुछ यात्री बेहोशी की हालत तक पहुंच गए। हरिशंकर ने बताया कि यात्रियों ने खिड़कियां तोड़कर ताजा हवा अंदर लाई ताकि दम न घुटे।
एक तरफ झुकी हुई मोनोरेल, लोगों में डर का माहौल
घटना की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मोनोरेल एक तरफ झुकी हुई थी। इससे यात्रियों में दहशत और बढ़ गई। कुछ यात्रियों को लगा कि कहीं मोनोरेल पलट न जाए या ट्रैक से उतर न जाए। डर और घुटन के बीच अफरा-तफरी मच गई। किसी ने तुरंत BMC के इमरजेंसी नंबर 1916 पर कॉल कर मदद की गुहार लगाई।
रेस्क्यू ऑपरेशन: फायर ब्रिगेड, मेडिकल टीम और अस्पताल अलर्ट
BMC ने सूचना मिलते ही मामले को गंभीरता से लिया और फायर ब्रिगेड की टीम को मौके पर भेजा गया। टीम ने मोनोरेल में फंसे सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला। इसके साथ ही एक मेडिकल टीम को भी वहां भेजा गया और नजदीकी अस्पताल को अलर्ट पर रखा गया, ताकि किसी की हालत बिगड़ने पर तुरंत इलाज मिल सके।
हरिशंकर की आपबीती: ‘मेल करने को कहा, लेकिन कैसे?’
हरिशंकर ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जब उन्होंने BMC की हेल्पलाइन पर फोन किया तो वहां से जवाब मिला कि आप शिकायत मेल से दर्ज कराएं। उन्होंने पूछा कि इस घुटनभरी स्थिति में जहां लोगों का दम घुट रहा था, वहां कोई यात्री मेल कैसे कर सकता है? उन्होंने मोनोरेल प्रबंधन की लापरवाही पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सेवा शुरू से ही खराब रही है और बार-बार तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
घटना ने फिर उठाए MMRDA पर सवाल
मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) के अधीन चल रही मोनोरेल सेवा एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। यात्रियों का कहना है कि बारिश में जब बाकी परिवहन सेवाएं बंद हो जाती हैं, तब लोग मोनोरेल पर निर्भर होते हैं, लेकिन इस सेवा की खस्ताहाल स्थिति आम हो चुकी है। यह केवल तकनीकी नहीं बल्कि एक गंभीर मानवीय लापरवाही का मामला बन गया है।
अगर इंजन में आग लग जाती तो...? यात्रियों की दहशत
घटना के दौरान एक अन्य यात्री ने सवाल उठाया कि अगर ऐसी स्थिति में इंजन में आग लग जाती तो क्या होता? अंदर से न तो बाहर का निर्देश ठीक से सुनाई दे रहा था और न ही शीशे के बाहर का कुछ दिख रहा था। यह पूरी घटना एक भयावह सपने जैसी थी, जिसे कोई भी दोहराना नहीं चाहेगा।
बारिश से बेहाल मुंबई, और बिगड़ी यातायात व्यवस्था
मुंबई पहले से ही भारी बारिश की मार झेल रही थी। रेलवे ट्रैक पर पानी भरने से लोकल ट्रेन सेवाएं ठप थीं। सड़कें जलमग्न होने से बसें नहीं चल रही थीं। लोग रेलवे ट्रैक पर पैदल चलने को मजबूर थे। ऐसे में जो यात्री मोनोरेल को विकल्प मानकर चढ़े, उनके लिए यह सफर जानलेवा बन गया।
क्या अब सुधरेगा मोनोरेल सिस्टम?
इस घटना के बाद एक बार फिर मोनोरेल सेवा की निगरानी और सुधार की मांग उठने लगी है। यात्रियों की सुरक्षा, तकनीकी मेंटेनेंस और आपातकालीन रेस्पॉन्स सिस्टम की विफलता पर गंभीर सवाल उठे हैं। अब देखना यह है कि MMRDA और मुंबई प्रशासन इस मामले में क्या ठोस कदम उठाते हैं।


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