12 दिन से लापता अर्चना तिवारी आखिर कहां थी? नेपाल बॉर्डर से ऐसे मिली पुलिस को, रहस्य से भरा पूरा घटनाक्रम




12 दिन से लापता अर्चना नेपाल बॉर्डर से मिली, ट्रेन से गायब हुई थी, जानिए कैसे पुलिस ने कॉल ट्रैक कर पकड़ी पूरी साजिश।


इंदौर से ट्रेन में चढ़ी, लेकिन कटनी नहीं पहुंची

मध्य प्रदेश की 22 वर्षीय अर्चना तिवारी का मामला इन दिनों पूरे प्रदेश की सुर्खियों में बना हुआ है। इंदौर में सिविल जज की तैयारी कर रही अर्चना 7 अगस्त 2025 को रक्षा बंधन के अवसर पर अपने घर कटनी जाने के लिए इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस में सवार हुई थी। ट्रेन छूटी, गंतव्य तक पहुंची, लेकिन अर्चना घर नहीं पहुंची। जब कटनी स्टेशन पर परिजनों ने उसका इंतजार किया, तब यह राज खुला कि वो सफर के बीच कहीं गायब हो चुकी है।

ट्रेन में मिला बैग, लेकिन लड़की लापता

जब नर्मदा एक्सप्रेस ट्रेन कटनी स्टेशन पहुंची, तब अर्चना की आरक्षित सीट पर उसका बैग, मोबाइल चार्जर और कुछ जरूरी सामान तो था लेकिन वह खुद नदारद थी। परिवार को यह देख गहरा झटका लगा और उन्होंने तुरंत जीआरपी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। मामला संवेदनशील होते देख पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी।

भोपाल स्टेशन पर आखिरी बार देखा गया था

सीसीटीवी फुटेज के अनुसार अर्चना को आखिरी बार 7-8 अगस्त की रात भोपाल रेलवे स्टेशन के पास देखा गया था। इसके बाद उसकी कोई लोकेशन, कोई फुटेज या कोई सुराग पुलिस के पास नहीं था। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने नर्मदा नदी के किनारे, जंगलों और तमाम संभावित इलाकों में तलाशी अभियान चलाया।

कांस्टेबल की मदद से बुक हुआ था टिकट

जांच के दौरान पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि अर्चना का ट्रेन टिकट ग्वालियर में तैनात एक कांस्टेबल के मोबाइल से बुक हुआ था। इस सुराग ने मामले में नया मोड़ ला दिया। पुलिस ने कांस्टेबल से भी पूछताछ शुरू कर दी, ताकि अर्चना के गायब होने की वजह और प्लान की गहराई से जांच की जा सके।

12 दिन बाद नेपाल बॉर्डर से मिली अर्चना

19 अगस्त 2025 को इस केस में बड़ा ब्रेकथ्रू तब आया जब अर्चना ने खुद अपनी मां को फोन कर बताया कि वह सुरक्षित है। कॉल की लोकेशन ट्रेस की गई और पुलिस को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में नेपाल सीमा के पास उसकी लोकेशन मिली। पुलिस ने वहां से अर्चना को सुरक्षित बरामद कर लिया और पूछताछ के लिए भोपाल लाया गया।

इंदौर का लड़का भी था साथ

सूत्रों की मानें तो अर्चना अकेली नहीं थी। उसके साथ इंदौर का एक युवक भी मौजूद था, जो संभवतः उसका दोस्त या जानकार था। दोनों ने मिलकर नेपाल के काठमांडू तक की यात्रा की थी। ये साफ हो गया कि यह कोई अपहरण का मामला नहीं बल्कि एक सोची-समझी योजना थी।

पुलिस की मेहनत और सिस्टम की लाचारी

इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इंदौर से कटनी के बीच अचानक गायब हो जाना, फिर नेपाल तक पहुंच जाना और पुलिस का इतने दिनों तक सिर्फ अंदाजे लगाना — यह दर्शाता है कि सिस्टम में खामियां मौजूद हैं। हालांकि, कॉल ट्रैकिंग और लोकेशन एनालिसिस से आखिरकार सफलता मिली।

आखिर क्यों गायब हुई अर्चना?

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि अर्चना तिवारी ने ऐसा कदम क्यों उठाया? क्या यह किसी प्रेम संबंध का मामला था या फिर वह किसी मानसिक दबाव या पारिवारिक तनाव से गुजर रही थी? इन सवालों के जवाब अर्चना के बयान से मिल सकते हैं, जिसके लिए पुलिस फिलहाल गहन पूछताछ कर रही है।

अब क्या होगी कार्रवाई?

फिलहाल अर्चना को भोपाल लाया गया है, जहां उससे लगातार पूछताछ की जा रही है। उसके साथ गए युवक की भूमिका की भी जांच हो रही है। जीआरपी और एसटीएफ इस मामले को सुलझाने के लिए संयुक्त रूप से काम कर रही हैं। यदि कोई आपराधिक एंगल सामने आता है तो आगे की कार्रवाई तय होगी।

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