कासगंज में मामी ने 4 साल के भांजे का अपहरण कर तेलंगाना में बेच डाला। पुलिस ने 5 महीने की खोज के बाद बच्चे को सकुशल बरामद किया।
कासगंज से रिश्तों को कलंकित करने वाली वारदात
उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले से इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक महिला ने अपनी ही रिश्तेदारी को कलंकित करते हुए चार साल के मासूम भांजे का अपहरण कर उसे 1500 किलोमीटर दूर तेलंगाना में बेच डाला। पुलिस ने पांच महीनों की लगातार खोजबीन और निगरानी के बाद बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया।
घटना की शुरुआत और बच्चे का लापता होना
कासगंज कोतवाली क्षेत्र के लालपुर गांव निवासी चंदन (4) 2 मार्च 2025 की दोपहर गांव की रेलवे लाइन के पास खेल रहा था। खेलते-खेलते वह अचानक गायब हो गया। परिजनों ने गांव और आसपास के इलाकों में तलाश की लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। अगली सुबह 5 मार्च को उसकी मामी आशा देवी ने ही कोतवाली कासगंज में लिखित तहरीर देकर बच्चे के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस की शुरुआती जांच और टीमें
घटना की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा ने तत्काल प्रभाव से कासगंज थाने और सर्विलांस यूनिट की संयुक्त टीम का गठन किया। बच्चे की सकुशल बरामदगी और अपहरणकर्ताओं तक पहुंचने के लिए पुलिस ने कई जिलों में खोजबीन की। पुलिस की टीमें लगातार मोबाइल लोकेशन, कॉल डिटेल्स और संभावित ठिकानों पर निगरानी करती रहीं।
पांच महीने बाद सफलता
लगातार प्रयास के बाद पुलिस को 15 अगस्त 2025 को बड़ी सफलता मिली। सर्विलांस टीम ने बच्चे को तेलंगाना के छोटे से गांव कुमायागुंड से सकुशल बरामद किया। यह दूरी कासगंज से लगभग 1500 किलोमीटर थी। पुलिस की इस कामयाबी से चंदन के परिजनों की आंखें भर आईं। मासूम को उसके परिवार को सौंपते समय भावुक दृश्य देखने को मिले।
मामी सहित चार आरोपी गिरफ्तार
जांच के दौरान खुलासा हुआ कि बच्चे के अपहरण और बिक्री की साजिश उसकी मामी आशा देवी ने ही रची थी। इस साजिश में उसका दामाद मोनू पाठक, बेटी नेहा पाठक और एक अन्य आरोपी राघवेन्द्र शामिल थे। पुलिस ने बताया कि राघवेन्द्र पहले से ही अलीगढ़ की जेल में बच्चा चोरी के मामले में बंद है जबकि आशा देवी इस समय विशाखापट्टनम की जेल में अवैध गांजा तस्करी के आरोप में बंद है।
प्री-प्लान अपहरण और बिक्री की साजिश
पुलिस के अनुसार चारों आरोपियों ने पहले से ही बच्चे को अगवा कर उसे बेचने की योजना बनाई थी। आरोपी आशा देवी ने घटना के बाद खुद ही रिपोर्ट दर्ज कराकर शक से बचने की कोशिश की थी। परंतु पुलिस की गहन जांच और निगरानी में सच्चाई सामने आ गई।
समाज को झकझोरने वाला मामला
इस पूरे मामले ने रिश्तों की आड़ में पनप रहे अपराध की ओर इशारा किया है। मामी जैसे करीबी रिश्ते से विश्वासघात कर भांजे का अपहरण और बिक्री करना समाज को झकझोर देने वाली घटना है। बच्चे की सकुशल बरामदगी से परिवार को राहत मिली है लेकिन इस अपराध ने इंसानियत को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है।
पुलिस की सतर्कता और सराहना
कासगंज पुलिस और सर्विलांस टीम ने पांच महीने की मेहनत से जिस तरह मासूम को सकुशल बरामद किया, उसकी सराहना हर ओर हो रही है। पुलिस अधीक्षक अंकिता शर्मा ने कहा कि ऐसे मामलों में देरी होने पर बच्चों को बरामद करना बेहद मुश्किल हो जाता है लेकिन निरंतर प्रयासों से यह संभव हुआ।


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