जौनपुर: जन्माष्टमी पर “मुझे नौ लखा मंगा दे” गाने पर अश्लील डांस, नौ पुलिसकर्मी सस्पेंड; थाने से मंडप तक मचा हड़कंप



जौनपुर में जन्माष्टमी पर थाने में अश्लील डांस का वीडियो वायरल, नौ पुलिसकर्मी निलंबित, जांच के बाद कार्रवाई तेज।

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट


जौनपुर पुलिस महकमे में जन्माष्टमी में अश्लील डांस कांड से मचा हड़कंप

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर हुआ एक अशोभनीय आयोजन पूरे पुलिस महकमे के लिए शर्मनाक साबित हुआ। बदलापुर थाना परिसर में हुए इस आयोजन में फिल्म शराबी का मशहूर गीत “मुझे नौ लखा मंगा दे रे ओ सैया दीवाने” बजते ही डांस का रंग ऐसा चढ़ा कि थाने की गरिमा ही दांव पर लग गई। नर्तकी ने भड़काऊ अंदाज में प्रदर्शन किया और मौजूद पुलिसकर्मी व कुछ स्थानीय लोग तालियां बजाते रहे। किसी ने इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बना लिया, जो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसके बाद पुलिस विभाग में खलबली मच गई।

थानाध्यक्ष के निलंबन से शुरू हुई कार्रवाई

वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ ने घटना को गंभीरता से लेते हुए बदलापुर थानाध्यक्ष को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यही नहीं, मामले की जांच का जिम्मा एसपी सिटी आयुष श्रीवास्तव को सौंपा गया। जांच रिपोर्ट में साफ हुआ कि इस आयोजन में केवल थानाध्यक्ष ही नहीं बल्कि दो दरोगा और छह सिपाही भी सक्रिय रूप से मौजूद थे। पुलिस की वर्दी में रहते हुए इस तरह के आयोजन में भाग लेना अनुशासनहीनता माना गया और सभी नौ पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर बना डांस पार्टी

मामला केवल एक साधारण आयोजन का नहीं था बल्कि यह थाने के भीतर आयोजित तथाकथित “सांस्कृतिक कार्यक्रम” था। जन्माष्टमी के धार्मिक उत्सव को मनाने के लिए पुलिसकर्मियों ने कार्यक्रम रखा था, लेकिन इसके बहाने डांस पार्टी का आयोजन कर दिया गया। गाने की चयन से लेकर प्रदर्शन के अंदाज तक सब कुछ विवादास्पद रहा। पुलिस चौकी में भक्ति गीतों की जगह फिल्मी गाने पर नृत्य होना और उसमें पुलिसकर्मियों का शामिल होना कानून-व्यवस्था की गंभीरता पर सवाल खड़ा करता है।

सोशल मीडिया पर छाया वीडियो, जनता में आक्रोश

जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर पहुंचा, इसे लेकर जनता में आक्रोश फैल गया। स्थानीय नागरिकों ने सवाल उठाया कि जो पुलिस जनता को अनुशासन सिखाने का दावा करती है, वही वर्दी में रहते हुए इस तरह की लापरवाही कैसे कर सकती है। वीडियो पर लगातार प्रतिक्रियाएं आईं और लोगों ने इसे धर्म और पुलिस सेवा दोनों की गरिमा का अपमान बताया। यही जनदबाव उच्च अधिकारियों तक पहुंचा और तत्काल कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी।

उच्च अधिकारियों की सख्त चेतावनी

एसपी डॉ. कौस्तुभ ने मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि वर्दीधारी से अनुशासन और सेवा भावना की उम्मीद की जाती है। इस तरह की गतिविधियां पुलिस की छवि खराब करती हैं और भविष्य में अगर कोई भी अधिकारी या सिपाही इस तरह के कृत्य में शामिल पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस घटना को पूरे विभाग के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है।

प्रशासनिक स्तर पर मंथन और भविष्य की रणनीति

यह घटना सिर्फ एक थाने तक सीमित नहीं रही बल्कि पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गई। पुलिस प्रशासन अब इस पर विचार कर रहा है कि भविष्य में ऐसे आयोजन पर रोक लगाने के लिए क्या कदम उठाए जाएं। आदेश जारी करने की तैयारी है कि धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम थानों में न आयोजित हों और यदि आवश्यक हो तो केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित रहें, न कि मनोरंजन पार्टी में तब्दील हों।

जनता और पुलिस के रिश्तों पर असर

इस घटना का असर जनता और पुलिस के आपसी भरोसे पर भी पड़ा है। जहां जनता पुलिस से आदर्श व्यवहार की उम्मीद करती है, वहीं इस तरह के आयोजन ने विश्वास को चोट पहुंचाई है। हालांकि, अधिकारियों द्वारा त्वरित कार्रवाई से यह संदेश जरूर गया कि कानून सबके लिए समान है, चाहे वह वर्दीधारी ही क्यों न हो।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ