गजब लापरवाही! अस्पताल में सो गए बंदी रक्षक, हथकड़ी से हाथ निकालकर साइबर ठग फरार, पुलिस के हाथ खाली


कासगंज जेल से इलाज के लिए लाए साइबर अपराधी ने अस्पताल में बंदी रक्षकों के सोने का फायदा उठाकर हथकड़ी से हाथ निकालकर फरार


अस्पताल में सो गए बंदी रक्षक, हथकड़ी से हाथ निकालकर फरार हुआ कैदी

उत्तर प्रदेश के कासगंज जेल में बंद एक साइबर अपराधी ने पुलिस की पहरेदारी को धता बताते हुए अस्पताल से फरार होकर सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी। यह मामला आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज का है, जहां इलाज के लिए लाए गए इस बंदी ने रात में बंदी रक्षकों के सो जाने का फायदा उठाकर हथकड़ी से हाथ निकाल लिया और चुपचाप भाग निकला। सुबह जब रक्षकों की नींद खुली, तब तक आरोपी काफी दूर निकल चुका था और पुलिस की तलाश अब तक खाली हाथ है।

साइबर अपराध के आरोप में जेल में बंद था आरोपी

फरार हुआ आरोपी 22 वर्षीय संकेत यादव, मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के पाटन थाना क्षेत्र के मोहल्ला स्थापक का निवासी है। कासगंज पुलिस ने उसे एक साइबर ठगी मामले में गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप था कि उसने पूर्व आईपीएस अर्पणा कौशिक की आवाज की नकल कर और उनकी फोटो का इस्तेमाल कर आगरा के एक कारोबारी से ठगी करने की कोशिश की थी। इस मामले में 15 जुलाई को उसे गिरफ्तार कर कासगंज जेल भेजा गया था। गिरफ्तारी के समय उसके पास से 75 सिम कार्ड और चार मोबाइल फोन बरामद हुए थे। उस पर कई जिलों में साइबर ठगी के मामले दर्ज हैं।

पेट दर्द और उल्टी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती

संकेत यादव को पिछले कुछ दिनों से पेट दर्द और उल्टी की शिकायत थी, जिसके बाद शुक्रवार शाम को उसे आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में भर्ती कराया गया। उसकी सुरक्षा के लिए बंदी रक्षक अजीत पांडे और जयंत कुमार को तैनात किया गया था। लेकिन रात में दोनों रक्षक गहरी नींद में सो गए। इसी दौरान रात करीब 2 बजे संकेत ने हथकड़ी से अपना हाथ निकाल लिया और फरार हो गया।

फरारी का पता एक घंटे बाद चला

रात करीब 3 बजे जब बंदी रक्षकों की नींद खुली तो उन्हें संकेत के गायब होने का पता चला। उन्होंने तुरंत आसपास के इलाकों में उसकी तलाश की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। इसके बाद थाना एमएम गेट पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर उसकी खोजबीन की, लेकिन वह हाथ नहीं आया।

तीनों पर केस दर्ज, पुलिस टीम जबलपुर रवाना

इस घटना के बाद कासगंज जेल के उप कारापाल उमेशचंद्र शर्मा की तहरीर पर दोनों बंदी रक्षकों और बंदी संकेत यादव के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। फरार बंदी की तलाश के लिए पुलिस टीम को मध्य प्रदेश के जबलपुर भेजा गया है। पुलिस को शक है कि वह अपने गृह जिले में छिपा हो सकता है।

ठगी के तरीके में माहिर था आरोपी

संकेत यादव पहले चोरी के मोबाइल फोन खरीदने वाली दुकान में काम करता था। बाद में उसने ग्राहक सेवा केंद्र पर काम करना शुरू किया, जहां से उसे साइबर ठगी के तरीके समझ में आए। वह अधिकारियों की डीपी लगाकर और उनकी आवाज की नकल कर लोगों को डराता था और उनसे पैसे ऐंठता था।

सुरक्षा में बड़ी चूक, सवालों के घेरे में जेल प्रशासन

इस फरारी ने जेल प्रशासन और पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अस्पताल में इलाज के दौरान बंदी की निगरानी के लिए नियुक्त रक्षकों का इस तरह सो जाना बड़ी लापरवाही मानी जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, विभागीय जांच शुरू कर दी गई है और दोनों रक्षकों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई भी संभव है।

पुलिस के लिए चुनौती बनी फरार कैदी की तलाश

संकेत यादव जैसे साइबर अपराधी न केवल आर्थिक अपराधों में माहिर होते हैं, बल्कि फरारी के बाद उनकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन जाती है। ऐसे अपराधी तकनीक का इस्तेमाल कर अपनी लोकेशन छुपाने में भी सक्षम होते हैं, जिससे तलाश का काम और कठिन हो जाता है। पुलिस को अब उसके मोबाइल और नेटवर्क संपर्कों की जांच करनी होगी, ताकि जल्द से जल्द उसे पकड़ा जा सके।

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