चकबंदी यूनियन अध्यक्ष राजकुमार सिंह की गोली लगने से संदिग्ध मौत, परिजनों ने हत्या बताई, मौके पर पहुंचे पूर्व सांसद धनंजय सिंह।
संदिग्ध हालात में मौत से मचा हड़कंप, अध्यक्ष का खून से लथपथ शव मिला
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। चकबंदी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राजकुमार सिंह की बुधवार शाम शहीद पथ स्थित उनके प्लॉट पर बने कमरे में गोली लगने से संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। खून से सना शव उनके दाहिने हाथ में रिवॉल्वर के साथ बरामद हुआ। यह वारदात सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र में घटित हुई है। घटना की सूचना फैलते ही पूर्व सांसद धनंजय सिंह, पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह सहित कई रसूखदार मौके पर पहुंचे।
पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया, जबकि परिजनों ने हत्या का आरोप लगाकर पूरे मामले को गंभीर मोड़ दे दिया है। रिवॉल्वर की वैधता और मृतक के पास असलहे की मौजूदगी पर सवाल उठ रहे हैं। परिजनों का कहना है कि राजकुमार सिंह के पास कोई लाइसेंसी हथियार नहीं था और रिवॉल्वर कहां से आई, यह बड़ा सवाल है।
ड्राइवर ने शव देखकर दी पुलिस को सूचना
बुधवार सुबह करीब 10 बजे राजकुमार सिंह अपने ड्राइवर केशव राम यादव के साथ घर से निकले थे। सबसे पहले वह अपने दोस्त एल.एन. ओझा के अंसल स्थित फ्लैट पर पहुंचे, जहां थोड़ी देर बातचीत के बाद उन्होंने बताया कि उन्हें नींद पूरी करनी है।
इसके बाद वह अपने शहीद पथ पर स्थित प्लॉट पर पहुंचे और ड्राइवर को कार में ही रुकने को कहा। जब शाम करीब 5 बजे तक भी अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो ड्राइवर ने फोन किया। जवाब न मिलने पर वह अंदर गया और वहां खून से लथपथ हालत में अध्यक्ष का शव देखकर सन्न रह गया। गोली सिर में लगी थी और हाथ में रिवॉल्वर थी। ड्राइवर ने तत्काल परिजनों और पुलिस को सूचना दी।
पुलिस को मौके से मिला रिवॉल्वर, जांच में जुटी फॉरेंसिक टीम
घटना की जानकारी मिलते ही सुशांत गोल्फ सिटी थाना पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गई। इलाके को घेर कर सबूत जुटाए गए। पुलिस ने शव के पास पड़ी रिवॉल्वर को जब्त कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। डीसीपी साउथ निपुण अग्रवाल ने बताया कि शुरुआती जांच में यह आत्महत्या लगती है, लेकिन हर एंगल से जांच की जा रही है। आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है।
फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने कमरे से फिंगरप्रिंट्स, खून के नमूने, मोबाइल और अन्य डिजिटल साक्ष्य जुटाए हैं। अब सवाल यह उठता है कि जिस रिवॉल्वर से गोली चली, वह लाइसेंसी थी या अवैध। पुलिस का दावा है कि हथियार लाइसेंसी प्रतीत हो रही है, लेकिन परिजनों का बयान इस दावे को उलझाता है।
परिजनों का आरोप- यह आत्महत्या नहीं हत्या है
राजकुमार सिंह के भाई पंकज सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, "भाई आत्महत्या नहीं कर सकते। उनके पास आत्महत्या की कोई वजह नहीं थी। वह मजबूत इरादों वाले और सभी से मिलनसार थे। यह सुनियोजित हत्या है।" उन्होंने सवाल उठाया कि अगर रिवॉल्वर उनकी नहीं थी तो वहां कैसे आई? और अगर आत्महत्या करनी ही थी तो सार्वजनिक जगह क्यों चुनी?
हालांकि अभी तक किसी विशेष व्यक्ति पर नामजद आरोप नहीं लगाया गया है। लेकिन परिवार की ओर से साजिश का अंदेशा जताया जा रहा है, जो मामले को आत्महत्या से हत्या की दिशा में मोड़ देता है।
राजकुमार सिंह की छवि: यूनियन नेता से लेकर ज्योतिषाचार्य तक
52 वर्षीय राजकुमार सिंह निगोहां के करनपुर गांव के रहने वाले थे और चकबंदी निदेशालय में बाबू के पद पर तैनात थे। वह कई वर्षों से चकबंदी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष थे और हमेशा निर्विरोध चुने जाते रहे। राजकुमार सिंह ज्योतिष शास्त्र में भी निपुण थे और प्रदेश के कई नेताओं और अधिकारियों के निजी ज्योतिषाचार्य भी माने जाते थे।
पूर्व सांसद धनंजय सिंह से उनकी करीबी जगजाहिर थी। घटना की सूचना मिलते ही धनंजय सिंह, पूर्व राज्यमंत्री राणा अजीत सिंह सहित अन्य नेता घटनास्थल पर पहुंच गए। इससे घटना की संवेदनशीलता और राजकुमार सिंह के प्रभाव का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
पुलिस कर रही हर पहलू से जांच, लेकिन सवाल अब भी कायम
पुलिस का कहना है कि वह हर एंगल से जांच कर रही है और जल्द ही घटना की सच्चाई सामने लाई जाएगी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, हथियार की बैलिस्टिक जांच, मोबाइल कॉल डिटेल्स और सीसीटीवी फुटेज से हकीकत का खुलासा होगा। वहीं परिजन अब इस केस को सीबीआई या SIT से जांच की मांग की तैयारी कर रहे हैं।
इस पूरे मामले ने लखनऊ प्रशासन और चकबंदी विभाग को हिला कर रख दिया है। एक प्रतिष्ठित यूनियन अध्यक्ष की संदिग्ध हालात में मौत और उस पर उठते सवाल न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर रहे हैं बल्कि यह संकेत भी दे रहे हैं कि सच्चाई अभी भी परदे में छिपी है।


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