कटनी में अज्ञात शव को कूड़ा गाड़ी में ढोया गया, इंसानियत शर्मसार, शव वाहन होते हुए भी नहीं दिया गया अंतिम सम्मान।
कटनी में लावारिस शव के साथ शर्मनाक व्यवहार, वीडियो वायरल
मध्य प्रदेश के कटनी जिले से एक बेहद अमानवीय और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। जिला अस्पताल परिसर स्थित पोस्टमार्टम हाउस से एक अज्ञात शव को नगर निगम की कचरा ट्रॉली में डालकर मुक्तिधाम पहुंचाया गया। इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सामने आने के बाद प्रशासन की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जबकि समाजसेवी संस्था द्वारा उपलब्ध कराए गए शव वाहन को इस्तेमाल न करना और कूड़ा गाड़ी में शव को भेजना प्रशासन की लापरवाही और मानवीय मूल्यों की अनदेखी का स्पष्ट प्रमाण है।
72 घंटे तक शव की नहीं हुई पहचान, फिर भी नहीं मिला सम्मान
जानकारी के अनुसार, कठनी के कुठला थाना क्षेत्र में एक अज्ञात शव मिला था। पुलिस ने शव को अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। शव की 72 घंटे तक पहचान नहीं हो सकी, जिसके बाद उसे अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम भेजने की तैयारी की गई। परंतु इस प्रक्रिया में शव को कूड़ा ढोने वाली ट्रॉली में डालकर भेजा गया, जो बेहद अपमानजनक और संवेदनहीन कृत्य माना जा रहा है।
इंसानियत को रौंदता प्रशासन, संवेदनाएं हुईं खत्म
कटनी जिला प्रशासन, पुलिस और नगर निगम पर सवालों की बौछार शुरू हो गई है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से समाजसेवी संस्था द्वारा शव वाहन उपलब्ध कराए जाने के बावजूद इसका इस्तेमाल न करना और लावारिस शव को कचरे की तरह घसीटना, साफ दर्शाता है कि व्यवस्थाएं अब सिर्फ औपचारिकताओं की गुलाम बन चुकी हैं। इंसानियत और संवेदनशीलता का इस तरह हनन एक चिंता का विषय है।
लोहे की छड़ से शव को ट्रॉली में खींचा, वीडियो ने खोली पोल
घटना के वायरल वीडियो में देखा गया कि नगर निगम की कचरा ट्रॉली में शव को लोहे की छड़ से घसीटते हुए लोड किया गया, फिर उसे खुली ट्रॉली में ही मुक्तिधाम की ओर रवाना कर दिया गया। शव की कोई ढँकने की व्यवस्था नहीं थी। चार कंधे देना तो दूर, शव को कूड़े की तरह फेंकना और ढोना—यह दर्शाता है कि सरकारी सिस्टम के लिए इंसानी शव की कोई कीमत नहीं बची है।
थाना प्रभारी की सफाई पर उठे सवाल
कुठला थाना प्रभारी ने मीडिया से बात करने से कतराते हुए सिर्फ इतना कहा कि "अज्ञात शवों की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है, वाहन की व्यवस्था भी वही करता है। हमारे स्टाफ ने मौके पर मौजूद रहकर प्रक्रिया पूरी कराई है।" लेकिन सवाल ये उठता है कि जब शव वाहन मौजूद था, तो उसका इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया?
कटनी की छवि पर दाग, मानवाधिकारों की अनदेखी
इस घटना ने न सिर्फ प्रशासन की संवेदनहीनता उजागर की है, बल्कि पूरे जिले की मानवाधिकार स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर सरकारें गरीबों और बेसहारा लोगों के सम्मान की बातें करती हैं, दूसरी ओर जमीनी हकीकत में लावारिस शव को कचरे की गाड़ी में फेंककर मुक्तिधाम भेजा जाता है। यह सिर्फ शव नहीं, मानवता की गरिमा का भी अंतिम संस्कार है।
सवालों के घेरे में समाजसेवक भी
जिस समाजसेवी संस्था ने शव वाहन उपलब्ध कराया है, उनके प्रतिनिधियों की चुप्पी भी संदेहास्पद है। जब ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, तब ऐसे संगठनों की भूमिका पर भी सवाल खड़े होते हैं। आखिर यह वाहन किसके लिए है, यदि अज्ञात और निर्धन शवों के लिए नहीं?
शव चाहे अज्ञात हो या गरीब, अंतिम सम्मान का अधिकारी है
हर शव एक इंसान का शरीर होता है, चाहे वह पहचाना गया हो या नहीं, उसके साथ मानवीय गरिमा से व्यवहार किया जाना चाहिए। अज्ञात शव का अपमान सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सामूहिक मानवीय चेतना का अपमान है। प्रशासन, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की यह नाकामी पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता की मिसाल बन चुकी है।


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