लखनऊ ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 में देश में तीसरा स्थान पाकर 7-स्टार GFC रेटिंग हासिल की, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
लखनऊ ने देशभर को चौंकाया, स्वच्छता में किया धमाका
लखनऊ ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में इतिहास रचते हुए देशभर के बड़े शहरों में तीसरा स्थान हासिल कर लिया है। राजधानी ने सिर्फ एक साल में 44वें स्थान से छलांग लगाकर सीधे टॉप-3 में एंट्री की है। गुरुवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने लखनऊ को प्रेसिडेंशियल अवार्ड प्रदान किया। इस ऐतिहासिक मौके पर उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने पुरस्कार ग्रहण किया।
लखनऊ को यह सम्मान 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में मिला है। साथ ही पहली बार उत्तर प्रदेश की राजधानी को 7-Star Garbage Free City (GFC) रेटिंग भी प्राप्त हुई है। इस रेटिंग का मतलब है कि लखनऊ अब कचरा प्रबंधन के मामले में देश के सबसे बेहतरीन शहरों में शामिल हो चुका है।
कचरा प्रबंधन में लखनऊ ने रचा इतिहास
लखनऊ ने उत्तर प्रदेश के इतिहास में पहली बार 7-Star GFC रेटिंग हासिल की है। GFC यानी Garbage Free City रेटिंग देश के कचरा प्रबंधन मानकों पर आधारित होती है। इससे यह साबित होता है कि शहर में डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, रिसाइक्लिंग और अपशिष्ट निस्तारण की प्रक्रिया पूरी तरह सुव्यवस्थित हो चुकी है।
राज्य मिशन निदेशक, एसबीएम शहरी अनुज कुमार झा ने बताया कि एक साल में लखनऊ ने जबरदस्त प्रगति की। डोर-टू-डोर कलेक्शन 48% से बढ़कर 62% तक पहुंच गया। वहीं, अपशिष्ट प्रसंस्करण दर 85% से ऊपर चली गई है। अब लखनऊ दृश्यमान स्वच्छता के मामले में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और गोवा जैसे राज्यों से भी बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
प्रयागराज बना सबसे स्वच्छ गंगा शहर
प्रयागराज नगर निगम को स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में सबसे स्वच्छ गंगा शहर का खिताब मिला है। प्रयागराज ने गंगा की स्वच्छता के लिए विशेष प्रयास किए, जिसे महाकुंभ 2025 की तैयारियों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। इस दौरान प्रयागराज के सैनिटेशन मैनेजमेंट को भी मंत्रालय ने विशेष सराहना दी।
गोरखपुर को दोहरी कामयाबी
गोरखपुर ने भी इस बार स्वच्छता में इतिहास रच दिया है। गोरखपुर को सफाईमित्र सुरक्षित शहर श्रेणी में तीसरा स्थान और 3-10 लाख आबादी वर्ग में चौथा स्थान प्राप्त हुआ है। इसके अलावा गोरखपुर को 5-Star GFC रेटिंग भी मिली है। इसका मतलब है कि गोरखपुर में सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा के साथ-साथ कचरा प्रबंधन में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
आगरा बना उत्तर प्रदेश का उभरता स्वच्छ शहर
आगरा ने भी स्वच्छ सर्वेक्षण में शानदार प्रदर्शन किया है। आगरा को उभरता स्वच्छ शहर घोषित किया गया है और राष्ट्रीय स्तर पर 32वां स्थान प्राप्त हुआ है। आगरा ने पहली बार 5-Star GFC रेटिंग हासिल की है। यह सफलता आगरा की शहरी स्वच्छता के प्रति नई प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
मुरादाबाद, बिजनौर और शमशाबाद ने भी किया कमाल
मुरादाबाद ने 3-10 लाख आबादी वर्ग में राष्ट्रीय स्तर पर 10वां स्थान पाया है। वहीं, नगर पालिका परिषद बिजनौर ने मध्यम शहरों की श्रेणी में 29वां और शमशाबाद ने 95वां स्थान प्राप्त किया है। ये आंकड़े उत्तर प्रदेश के छोटे और मझोले शहरों के स्वच्छता अभियान की गंभीरता को दर्शाते हैं।
महाकुंभ 2025 के लिए उत्तर प्रदेश को मिला विशेष पुरस्कार
उत्तर प्रदेश को महाकुंभ 2025 के दौरान नवोन्मेषी और टिकाऊ स्वच्छता पहल के लिए स्वच्छ महाकुंभ 2025 पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। इसका मतलब है कि राज्य ने अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ आधुनिक स्वच्छता मानकों का संतुलन बखूबी साधा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में सफाई क्रांति
नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने कहा कि लखनऊ की ऐतिहासिक 7-Star GFC रेटिंग, आगरा के उभरते स्वच्छ शहर पुरस्कार और प्रयागराज के गंगा शहर सम्मान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में चल रही सफाई क्रांति का परिणाम है। उन्होंने कहा कि नगर निकायों, नागरिकों और शहरी संस्थाओं के सामूहिक प्रयासों से उत्तर प्रदेश ने स्वच्छता में नया कीर्तिमान स्थापित किया है।
उत्तर प्रदेश बनेगा भारत का सबसे स्वच्छ राज्य
राज्य के प्रमुख सचिव शहरी विकास विभाग ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने इस बार ODF++ और Water+ श्रेणियों में भी उल्लेखनीय प्रगति की है। कठोर निगरानी, प्रशिक्षण और सख्त पर्यवेक्षण के चलते यह संभव हो पाया है। उनका कहना है कि अब राज्य का अगला लक्ष्य है— भारत का सबसे स्वच्छ राज्य बनना।
क्यों खास है यह उपलब्धि?
उत्तर प्रदेश के 20 बड़े शहरों में से 6 शहरों को 5-Star GFC रेटिंग मिलना एक बड़ी उपलब्धि है। लखनऊ, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, मुरादाबाद और बिजनौर जैसे शहरों ने मिलकर राज्य को देश के सबसे स्वच्छ राज्यों की सूची में पहुंचा दिया है।
यह सफाई अभियान सिर्फ रैंकिंग की दौड़ नहीं, बल्कि लोगों की जीवनशैली में बदलाव की मिसाल बन रहा है। उत्तर प्रदेश अब स्वच्छता के नए मानकों की ओर तेजी से बढ़ रहा है।


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