भीख मांगकर 3 हजार कमाता हूं, लेकिन दोनों बीवियां...! भिखारी पति ने जनसुनवाई में कलेक्टर से लगाई अजीब गुहार


खंडवा में भिखारी ने जनसुनवाई में कलेक्टर से शिकायत की- मेरी दो बीवियां रोज झगड़ती हैं, भीख मांगने नहीं जा पाता


भीख मांगकर रोज कमाता है ₹3000, पर बीवियों के झगड़े ने किया परेशान

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में जनसुनवाई के दौरान एक अनोखा मामला सामने आया, जिसने वहां मौजूद अधिकारियों और कलेक्टर तक को चौंका दिया। दरअसल, एक नेत्रहीन भिखारी अपनी दो बीवियों की लड़ाई से इस कदर परेशान हो गया कि उसने कलेक्टर के सामने अजीबोगरीब शिकायत दर्ज करा दी। भिखारी ने कहा कि वह रोजाना 2 से 3 हजार रुपये कमाता है, लेकिन बीवियों के झगड़े के चलते उसका कामकाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

जनसुनवाई में पहुंचा 'परेशान पति', बोला- मेरी बीवियां नहीं मान रहीं

खंडवा कलेक्टर ऋषव कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में चल रही जनसुनवाई में जब एक दिव्यांग भिखारी पहुंचा तो सभी ने सोचा कि यह कोई आर्थिक सहायता की मांग करेगा। लेकिन उसने जो कहा, उससे अफसरों के होश उड़ गए। नेत्रहीन भिखारी शफीक शेख ने कहा, "मेरी दो पत्नियां हैं—शबाना और फरीदा। दोनों दिन-रात आपस में झगड़ती हैं। इनके झगड़े में मेरा रोजगार खराब हो रहा है। मैं भीख नहीं मांग पा रहा।"

'दोनों बीवियां चाहिए, लेकिन झगड़ा नहीं'

शफीक ने बताया कि शबाना से उसकी शादी 2022 में हुई थी, जबकि फरीदा से उसने 2024 में निकाह किया। दोनों बीवियों को वह बराबर प्यार करता है और छोड़ना नहीं चाहता। लेकिन घर में लगातार चल रहे झगड़ों की वजह से वह मानसिक रूप से परेशान हो गया है। उसने कलेक्टर से कहा कि वह चाहता है कि दोनों बीवियां एक छत के नीचे प्रेम से रहें, ताकि वह फिर से अपनी भिक्षावृत्ति में मन लगा सके।

बोला- भीख मांगने नहीं जा पाता, रोज का नुकसान हो रहा

शफीक ने बताया कि वह खंडवा और महाराष्ट्र के बीच चलने वाली बसों और ट्रेनों में भिक्षावृत्ति करता है। उसकी रोजाना की कमाई करीब 3000 रुपये होती है। लेकिन जब घर में बीवियां लड़ती हैं, तो उसे घर पर ही रहकर मामला संभालना पड़ता है। इससे उसकी कमाई पर असर पड़ रहा है और खर्चे पूरे नहीं हो पा रहे। उसने प्रशासन से गुजारिश की कि उसकी बीवियों को समझाया जाए।

कलेक्टर ने मुस्कराकर महिला एवं बाल विकास विभाग को सौंपा मामला

शफीक की अनोखी शिकायत सुनकर पहले तो कलेक्टर ऋषव कुमार गुप्ता कुछ पल के लिए हैरान रह गए। लेकिन फिर उन्होंने मुस्कराते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग को इस मामले की जांच सौंप दी। उन्होंने आदेश दिया कि शफीक की दोनों पत्नियों को बुलाकर समझाइश दी जाए, ताकि पति की कमाई पर असर न पड़े।

कौन है ये शफीक शेख?

शफीक शेख एक नेत्रहीन भिखारी है जो खंडवा से महाराष्ट्र के विभिन्न रूटों पर चलने वाली बसों और ट्रेनों में भीख मांगता है। वह दिव्यांग है लेकिन कमाई के मामले में कई पढ़े-लिखों को पीछे छोड़ता है। रोजाना 2 से 3 हजार रुपये कमाने वाला शफीक अब घरेलू कलह से परेशान है और प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठा है कि उसके ‘गृह युद्ध’ का समाधान हो सके।

अधिकारी भी रह गए दंग

जनसुनवाई में शफीक की बात सुनकर वहां मौजूद विभिन्न विभागों के अधिकारी भी कुछ समय के लिए हतप्रभ रह गए। ज्यादातर मामलों में लोग नौकरी, पेंशन, या ज़मीन के झगड़े लेकर आते हैं, लेकिन यह पहली बार था जब किसी ने बीवियों के झगड़े के चलते रोजगार प्रभावित होने की शिकायत की हो।

अब प्रशासन देगा 'पारिवारिक समझाइश'

महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम अब शफीक की दोनों पत्नियों—शबाना और फरीदा को बुलाकर मामले को समझेगी और दोनों को साथ रहने के लिए तैयार करने की कोशिश करेगी। शफीक को उम्मीद है कि प्रशासन उसकी बात सुनेगा और उसका ‘घरेलू झगड़ा’ खत्म कराएगा, ताकि वह फिर से चैन से अपनी रोजी-रोटी चला सके।

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