खेल- खेल में हो गया दर्दनाक कांड― थ्रेड कटर दिल में घुसा, 17 साल के सुरजीत की दर्दनाक मौत, दोस्त बोला- मज़ाक कर रहा था



कानपुर में खेल-खेल में थ्रेड कटर से दिल पंचर, 17 साल के युवक की मौत, फैक्ट्री में काम कर रहे थे दोनों नाबालिग दोस्त।


खेल-खेल में चुभा थ्रेड कटर, दिल में घुसते ही तड़पने लगा सुरजीत

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां एक नाबालिग लड़के की जान महज एक 'खेल' में चली गई। पटेल नगर स्थित एक स्मॉल स्केल जूता फैक्ट्री में 17 वर्षीय सुरजीत अपने 12 साल के दोस्त के साथ मस्ती कर रहा था। खेल-खेल में दोस्त ने मजाक में थ्रेड कटर उठा लिया और उसे चुभा दिया। लेकिन यह चुभन मज़ाक नहीं रही, क्योंकि थ्रेड कटर सीधा सुरजीत के दिल में जा घुसा, जिससे उसका हार्ट पंचर हो गया। इस हादसे ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया।

फैक्ट्री में काम कर रहे थे दोनों बच्चे, मज़ाक बन गया मौत का कारण

घटना मंगलवार की रात करीब 8 बजे की है। पटेल नगर की एक जूता बनाने वाली फैक्ट्री में सुरजीत और उसका 12 वर्षीय दोस्त काम कर रहे थे। काम के बाद दोनों वहीं खेल रहे थे। इसी दौरान सुरजीत ने मजाक में अपने छोटे दोस्त को पीछे से पकड़ लिया। छोटे लड़के ने खुद को छुड़ाने के लिए पास में रखा थ्रेड कटर उठा लिया और मजाक में सुरजीत को चुभा दिया। थ्रेड कटर इतनी तेज़ी से लगा कि सीधा छाती के आर-पार होकर दिल को भेद गया।

घायल होते ही तड़पने लगा सुरजीत, दोस्त ने दी जानकारी

थ्रेड कटर लगते ही सुरजीत मौके पर ही ज़मीन पर गिर पड़ा और बुरी तरह तड़पने लगा। उसके शरीर से खून बहने लगा। ये सब देख उसका दोस्त घबरा गया। उसने सबसे पहले फैक्ट्री मालिक को इस हादसे की जानकारी दी। फैक्ट्री मालिक और अन्य लोग भागते हुए मौके पर पहुंचे और सुरजीत को तत्काल पास के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए। लेकिन वहां डॉक्टरों ने कहा कि मामला गंभीर है और सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया।

कांशीराम अस्पताल में चली गयी सांसें, मौत ने निगला जीवन

सुरजीत को आनन-फानन में कांशीराम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की। लेकिन थ्रेड कटर के घाव ने इतना गहरा नुकसान पहुंचाया था कि डॉक्टर उसे नहीं बचा सके। कुछ ही घंटों के अंदर सुरजीत की मौत हो गई। उसके परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है।

पुलिस को अस्पताल से मिली जानकारी, जांच शुरू

कांशीराम अस्पताल के डॉक्टरों ने इस अप्राकृतिक मौत की सूचना तुरंत पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। एसीपी अभिषेक पांडे ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह हादसा खेल-खेल में हुआ प्रतीत हो रहा है और किसी प्रकार की साजिश की बात सामने नहीं आई है। उन्होंने बताया कि बच्चे द्वारा चुभाया गया थ्रेड कटर सुरजीत के दिल तक जा पहुंचा, जिससे मौत हुई।

मृतक के परिवार ने FIR से किया इनकार, नहीं दी तहरीर

हैरानी की बात ये है कि मृतक सुरजीत के परिजनों ने अब तक पुलिस में कोई भी तहरीर नहीं दी है। पुलिस का कहना है कि यदि परिजन कोई शिकायत करते हैं तो उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के बाद परिवार को सौंप दिया गया है।

फैक्ट्री में नाबालिग बच्चों से काम, बड़ा सवाल!

इस हादसे के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि आखिर कैसे एक स्मॉल स्केल फैक्ट्री में नाबालिग बच्चों से काम लिया जा रहा था? सुरजीत 17 साल का था, जबकि उसका दोस्त सिर्फ 12 साल का। यह घटना यह भी उजागर करती है कि किस तरह कानपुर जैसे बड़े शहर में भी फैक्ट्रियों में बाल मज़दूरी खुलेआम चल रही है।

बच्चे की मौत पर नहीं जागे प्रशासनिक अधिकारी?

इस पूरी घटना ने स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या श्रम विभाग सो रहा है? क्या फैक्ट्री मालिकों पर कोई नियंत्रण नहीं है? एक फैक्ट्री में दो नाबालिगों के काम करने और फिर एक की मौत हो जाने के बावजूद किसी बड़े अधिकारी की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

परिजनों की चुप्पी बनी रहस्य, डर या समझौता?

मृतक के परिजनों द्वारा अब तक केस दर्ज न करवाना भी लोगों को हैरान कर रहा है। क्या परिवार किसी दबाव में है? क्या फैक्ट्री मालिक ने समझौता कर लिया है? या फिर परिजन इस हादसे को महज एक दुर्भाग्यशाली हादसा मानकर आगे बढ़ना चाहते हैं? ये तमाम सवाल अब समाज में चर्चा का विषय बन चुके हैं।

कानपुर पुलिस की निष्क्रियता या संवेदनशीलता?

पुलिस ने सिर्फ औपचारिक जांच कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है और तहरीर न मिलने तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। कानपुर पुलिस की यह कार्रवाई कुछ के लिए संवेदनशील है तो कुछ के लिए निष्क्रियता की मिसाल।

स्थानीय लोगों में शोक और आक्रोश दोनों

सुरजीत की मौत की खबर जैसे ही मोहल्ले में पहुंची, आसपास के लोग फैक्ट्री के बाहर जमा हो गए। कुछ लोगों का कहना है कि फैक्ट्री में पहले भी बच्चे काम करते देखे गए हैं। लोगों में शोक के साथ-साथ इस बात को लेकर गुस्सा भी है कि आखिर कब तक बच्चों को सस्ते मज़दूर समझकर उनका शोषण होता रहेगा।

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