झांसी में 4 युवतियों ने भगवान शिव से की शादी, बिना दूल्हे के पूरे वैदिक रीति से हुआ विवाह, सोशल मीडिया पर मचा हड़कंप
बिना दूल्हे की शादी! झांसी में चार युवतियों ने भगवान शिव को बनाया जीवनसाथी
उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के मऊरानीपुर कस्बे में एक ऐसी अनोखी शादी का आयोजन हुआ, जिसने पूरे क्षेत्र का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। यहां चार युवतियों—रेखा, वरदानी, कल्याणी और आरती—ने भगवान शिव से विवाह रचाया। न कोई फेरे हुए, न कोई दूल्हा आया, लेकिन विवाह पूरे पारंपरिक वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न हुआ। इस विवाह में शिवलिंग को प्रतीकात्मक दूल्हा मानते हुए, चारों युवतियों ने उसे वरमाला पहनाई और जीवनभर ब्रह्मचर्य का पालन करने का संकल्प लिया।
ब्रह्माकुमारी आश्रम की अगुवाई में हुआ आयोजन
यह आयोजन ब्रह्माकुमारी संस्था की ओर से मऊरानीपुर के कुंज बिहारी पैलेस में आयोजित किया गया। इस विवाह समारोह में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुए और इस आध्यात्मिक विवाह के साक्षी बने। आयोजकों ने इसे एक भक्ति और आत्मिक समर्पण का विशेष रूप बताया, जो सांसारिक बंधनों से मुक्ति और ईश्वर की ओर उन्मुख जीवनशैली को दर्शाता है।
दुल्हन बनी चारों युवतियां, शिवलिंग को पहनाई वरमाला
रेखा, वरदानी, कल्याणी और आरती चारों ने पारंपरिक लाल जोड़े में खुद को सजाया। उनके हाथों में चूड़ियां थीं, माथे पर सिंदूर नहीं बल्कि भक्ति की चमक थी। विवाह की रस्मों में शिवलिंग को दूल्हे के रूप में सजाया गया, जिसमें उसके ऊपर पगड़ी बांधी गई और भगवान शिव के वाहन नंदी की झांकी भी प्रस्तुत की गई। हर तरफ भजन-कीर्तन, ढोल-नगाड़े और भक्ति रस से माहौल आध्यात्मिक ऊर्जा में डूबा नजर आया।
जीवनभर ब्रह्मचर्य और समाज सेवा का लिया संकल्प
शादी करने वाली चारों युवतियां स्नातक (Graduation) की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं और अब उन्होंने सांसारिक जीवन त्यागकर आत्मिक शांति के मार्ग पर चलने का प्रण लिया है। सभी ने वैदिक मंत्रों के बीच शिवलिंग के समक्ष यह शपथ ली कि वे जीवनभर ब्रह्मचर्य का पालन करेंगी और समाज सेवा में समर्पित रहेंगी। यह शादी अब मऊरानीपुर क्षेत्र में लोगों के बीच प्रेरणा और चर्चा का विषय बनी हुई है।
भगवान शिव को बनाया जीवन साथी
इस आयोजन में यह बताया गया कि भगवान शिव से विवाह केवल धार्मिक रीतियों की खानापूर्ति नहीं, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की आध्यात्मिक प्रतीक है। यह विवाह नारी आत्मबल, आस्था और समर्पण का उदाहरण बना, जहां न दहेज था, न दिखावा—सिर्फ भक्ति और सेवा की भावना थी। ब्रह्माकुमारी आश्रम के प्रतिनिधियों ने इसे 'ईश्वर से सीधा संबंध' बताया, जो सांसारिक मोह माया से मुक्त करता है।
भव्यता में नहीं थी कोई कमी
इस विवाह में किसी भव्य शादी की तरह सारी रस्में निभाई गईं। शिवलिंग को बाकायदा विवाह मंडप में स्थापित किया गया, उसके ऊपर पगड़ी बांधी गई, और चारों दुल्हनें फूलों की माला लेकर विवाह स्थल पहुंचीं। विवाह स्थल पर लगे भजन-संगीत ने माहौल को संगीतमय और भक्तिमय बना दिया। इस अद्वितीय आयोजन की खबर तेजी से सोशल मीडिया और लोक चर्चा का हिस्सा बन गई है।


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