हमीरपुर में गधों के झुंड ने 10 साल के मासूम को रौंदा, इलाज के दौरान मौत। लोगों में गुस्सा, मुआवज़े की मांग पर सड़क जाम
हमीरपुर में गधों का कहर: घर के बाहर खेल रहे मासूम की दर्दनाक मौत
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में आवारा जानवरों की समस्या ने अब खतरनाक रूप ले लिया है। पहले कुत्तों का आतंक था, अब गधों के झुंड लोगों की जान के दुश्मन बन चुके हैं। बीते शुक्रवार को एक दर्दनाक हादसे में 10 वर्षीय मासूम की गधों के हमले से मौत हो गई। यह घटना न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि लोगों में भय और आक्रोश दोनों का कारण बनी हुई है।
मंदिर के बाहर दोस्तों संग खेल रहा था सागर, गधों ने किया हमला
यह घटना हमीरपुर नगर के सदर कोतवाली क्षेत्र के कजियाना मुहल्ले की है। दिव्यांग पिता विनेश निषाद का 10 वर्षीय बेटा सागर दोपहर में घर के पास स्थित मंदिर के बाहर अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। उसी दौरान एक झुंड में आए छह से अधिक गधे बेकाबू होकर वहां से गुजरने लगे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक गधे ने सागर के सिर पर जोरदार लात मारी, जिससे वह तुरंत सड़क पर गिर पड़ा। गिरने के बाद अन्य गधों ने भी उसे बेरहमी से रौंदते हुए कुचल दिया। बच्चे की चीख सुनकर लोग दौड़े, लेकिन तब तक वह लहूलुहान हो चुका था।
हालत नाजुक देख कानपुर किया गया रेफर, नहीं बच पाया मासूम
घायल सागर को आनन-फानन में जिला अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताकर उसे कानपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। कई घंटों तक चले इलाज के बाद आखिरकार सागर ने दम तोड़ दिया। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
शव घर पहुंचते ही भड़का गुस्सा, कालपी चौराहे पर शव रखकर किया जाम
जब परिजन सागर का शव घर लेकर पहुंचे तो मोहल्ले में मातम पसर गया। आक्रोशित स्थानीय लोगों ने शव को कालपी चौराहे पर रखकर सड़क जाम कर दिया। प्रदर्शनकारी प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी करने लगे और पीड़ित परिवार को मुआवज़ा देने की मांग की।
घंटों चले जाम के बाद प्रशासन हरकत में आया और अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर लोगों को समझा-बुझाकर शांत कराया। मुआवज़े का आश्वासन मिलने के बाद ही लोगों ने जाम हटाया।
आवारा गधों का बढ़ता आतंक, रोजाना बन रहे हादसे का कारण
हमीरपुर में यह पहली घटना नहीं है। अक्सर देखा गया है कि गधों का झुंड सड़क पर बेखौफ घूमता है, दौड़ते हैं, एक-दूसरे से लड़ते हैं और राह चलते लोगों को अपनी चपेट में ले लेते हैं। कई बाइक सवार, बच्चे, बुजुर्ग पहले भी इनकी चपेट में आकर घायल हो चुके हैं।
इन गधों को पालने वाले लोग उन्हें खुला छोड़ देते हैं। झुंड बनाकर ये जानवर खुलेआम शहर में घूमते हैं और कभी भी किसी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन प्रशासन और नगर निगम की ओर से इन्हें पकड़ने या रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
गधों के बाद अब किसका नंबर? लोग पूछ रहे सवाल
लोगों का कहना है कि पहले आवारा कुत्तों का आतंक था, अब गधों ने शहर को बंधक बना लिया है। खुलेआम घूम रहे ये जानवर न केवल ट्रैफिक में बाधा डालते हैं, बल्कि अब जानलेवा साबित हो रहे हैं।
प्रदेश सरकार द्वारा अन्ना पशुओं को गौशालाओं में रखने का निर्देश जारी किया गया है, लेकिन हमीरपुर में इसका पालन कहीं नज़र नहीं आता। पशु चिकित्सा विभाग और नगर पालिका की घोर लापरवाही के चलते मासूमों की जान जा रही है।
प्रशासन की ‘कागजी कार्रवाई’ बन रही मौत की वजह
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी सिर्फ फाइलों में काम कर रहे हैं। कागजी खाना पूर्ति कर गौशाला की रिपोर्ट भेज दी जाती है, लेकिन धरातल पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
जिले की सड़कों पर गाय, सांड, कुत्ते और अब गधे भी रोजाना खुलेआम घूमते हैं। लेकिन नगर प्रशासन और पशु चिकित्सा विभाग की आंखें इस ओर बंद हैं।
लापरवाही पर कौन लेगा जिम्मेदारी?
सवाल यह है कि एक मासूम की मौत के बाद भी क्या प्रशासन जागेगा? क्या गधों के झुंड को शहर से बाहर किया जाएगा? क्या इस बार दोषियों पर कार्रवाई होगी या फिर एक और ‘कागजी कार्रवाई’ से मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा?
स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही गधों और अन्य आवारा जानवरों को सड़कों से हटाने की ठोस योजना नहीं बनी, तो जनांदोलन किया जाएगा।


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