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टॉयलेट सीट पर बैठ कर कोर्ट की सुनवाई में शामिल हुआ युवक, अब चुकानी पड़ी महंगी कीमत—गुजरात हाईकोर्ट ने अवमानना में घसीटा, नोटिस जारी



गुजरात हाईकोर्ट की वर्चुअल सुनवाई में टॉयलेट से शामिल युवक को अवमानना नोटिस, कोर्ट ने गरिमा भंग पर जताई सख्ती।


शौचालय से सुनवाई में शामिल युवक पर हाईकोर्ट का सख्त रुख

गुजरात हाईकोर्ट ने वर्चुअल सुनवाई के दौरान टॉयलेट सीट पर बैठे एक युवक के वायरल वीडियो पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना की कार्यवाही शुरू कर दी है। ये मामला 20 जून का है, जब आरोपी युवक एक क्रिमिनल केस की वर्चुअल सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए शामिल हुआ था। वायरल वीडियो में युवक टॉयलेट सीट पर बैठा हुआ नजर आया, जिससे अदालत की गरिमा पर सवाल खड़े हुए।

यह घटना उस समय हुई, जब न्यायमूर्ति निर्जर एस देसाई एक चेक बाउंस केस की सुनवाई कर रहे थे। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही इसने न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता को लेकर चिंताओं को जन्म दे दिया।

30 जून को कोर्ट ने जताई नाराजगी, 3 जुलाई को जारी हुआ आदेश

इस मामले को गंभीर मानते हुए न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया और न्यायमूर्ति आरटी वच्छानी की खंडपीठ ने 30 जून को सुनवाई करते हुए स्वत: संज्ञान लिया। कोर्ट ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वीडियो में दिखाई दे रहे व्यक्ति के खिलाफ Contempt of Court की कार्यवाही शुरू की जाए।

3 जुलाई को अपलोड किए गए आदेश में यह कहा गया कि वीडियो न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाता है और इसे तुरंत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाया जाना चाहिए।

सूचना एवं प्रौद्योगिकी रजिस्ट्रार को कोर्ट ने दिए अहम निर्देश

खंडपीठ ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी रजिस्ट्रार को आदेश दिया कि वे वर्चुअल सुनवाई के दौरान अनुशासनहीन व्यवहार को रोकने के लिए कोई प्रभावी तकनीकी व्यवस्था तैयार करें। कोर्ट ने चिंता जताई कि यह पहली घटना नहीं है, बल्कि ऐसी हरकतें बार-बार हो रही हैं, जो न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता को चुनौती देती हैं।

अब्दुल समद को जारी हुआ नोटिस—अब देना होगा जवाब

अदालत के अनुसार, वीडियो में जो व्यक्ति दिख रहा है उसका नाम अब्दुल समद है, जो सूरत जिले के किम गांव का निवासी है। वह उस केस में शिकायतकर्ता था, जिसमें FIR रद्द करने की याचिका दाखिल की गई थी।

अब्दुल समद को अब नोटिस जारी किया गया है कि वह अदालत को यह स्पष्ट करे कि उसके खिलाफ Contempt of Courts Act, 1971 की धारा 2(सी) के तहत मुकदमा और सजा क्यों न दी जाए। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

पहले भी सामने आए हैं वर्चुअल सुनवाई में अनुशासनहीनता के मामले

गुजरात हाईकोर्ट में कोविड-19 के बाद से वर्चुअल सुनवाई की सुविधा शुरू की गई थी, जिसे YouTube पर लाइव स्ट्रीम किया जाता है। लेकिन यह पहली बार नहीं है कि वर्चुअल सुनवाई को लेकर अनुशासनहीनता सामने आई हो।

मार्च 2025 में एक व्यक्ति को टॉयलेट से वर्चुअल सुनवाई में शामिल होने के लिए ₹2 लाख का जुर्माना लगाया गया था और सामुदायिक सेवा का आदेश दिया गया था।

वहीं अप्रैल में एक अन्य केस में वीडियो कॉल के दौरान एक व्यक्ति सिगरेट पीते हुए नजर आया था, जिसे कोर्ट ने ₹50,000 जुर्माना देकर चेतावनी दी थी।



कोर्ट ने बार-बार दी है सख्त हिदायत

गुजरात हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वर्चुअल सुनवाई, भले ही डिजिटल माध्यम से हो, लेकिन इसका अनुशासन, मर्यादा और गरिमा उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी फिजिकल कोर्ट में होती है।

बार-बार की गई चेतावनियों के बावजूद ऐसी घटनाएं सामने आना कोर्ट की गरिमा के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही हैं। इसीलिए अब अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए चेतावनी दी है कि अगली बार ऐसी घटनाओं पर और भी कड़ा एक्शन लिया जाएगा।

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