10 साल की वफादारी का इमोशनल एंड! कानपुर में डॉगी 'गब्बर' को दी गई इंसानों जैसी अंतिम विदाई, घाट पर उमड़ा जनसैलाब



कानपुर में डॉग 'गब्बर' को मालिक ने इंसानों जैसी अंतिम विदाई दी, भैरव घाट पर हुआ अंतिम संस्कार, पूरे शहर में चर्चा


वफादारी की मिसाल बना 'गब्बर', भैरव घाट पर हुआ अंतिम संस्कार

कानपुर के अशोक नगर निवासी युवराज सिंह और उनके पालतू पिटबुल डॉग 'गब्बर' की कहानी इन दिनों पूरे शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। 10 साल तक अपने मालिक और परिवार के साथ भावनात्मक रिश्ता निभाने वाले गब्बर ने हाल ही में दुनिया को अलविदा कह दिया। पर युवराज सिंह ने उसे कचरे की तरह फेंकने के बजाय पूरे हिंदू रीति-रिवाजों से अंतिम संस्कार करने का फ़ैसला किया।

अंतिम विदाई में दिखी इंसानियत, घाट पर जुटी भीड़

जब युवराज सिंह अपने पालतू डॉग गब्बर को अंतिम संस्कार के लिए भैरव घाट लाए, तो घाट पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। दो मन लकड़ी, देसी घी, हवन सामग्री और गंगाजल के साथ युवराज ने गब्बर को वो सम्मान दिया, जो आमतौर पर किसी इंसान को मिलता है। लोगों की भीड़ उस वक्त भावुक हो उठी, जब युवराज ने खुद अपने डॉगी को मुखाग्नि दी।

पंडितों ने कराया पूरा धार्मिक क्रियाक्रम

घाट पर मौजूद पंडितों ने युवराज के इस निर्णय का दिल से सम्मान किया और पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी कराई। गंगाजल से स्नान, हवन सामग्री से पूजा और अंत में गब्बर की आत्मा की शांति के लिए मंत्रोच्चारण—हर परंपरा निभाई गई। यह दृश्य घाट पर मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम करने वाला था।

ड्राइवर बोला- गब्बर परिवार का सदस्य था

युवराज सिंह के ड्राइवर ने बताया कि गब्बर कोई आम डॉगी नहीं था। वह घर के बच्चों जैसा ही था। हर त्योहार, हर खुशी और हर दुख में वह बराबर का सहभागी रहा। घर में उसे कभी जानवर की तरह नहीं बल्कि एक बेटे की तरह देखा गया। ऐसे में उसके जाने के बाद उसे सम्मान देना मालिक की जिम्मेदारी बन गई थी।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ 'गब्बर' का अंतिम संस्कार

घाट पर मौजूद किसी व्यक्ति ने इस पूरे अंतिम संस्कार की कुछ तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर दीं। इसके बाद तो यह खबर वायरल हो गई। लोगों ने युवराज सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने एक नई सोच को जन्म दिया है। जानवरों के प्रति ऐसा प्रेम समाज के लिए उदाहरण है।

पूरे शहर में बनी चर्चा, लोग बोले- ऐसा पहली बार देखा

कानपुर में यह पहली बार देखने को मिला कि किसी पालतू जानवर का अंतिम संस्कार ऐसे पूरे सम्मान के साथ किया गया हो। कई लोगों ने कहा कि उन्होंने पहली बार किसी डॉग के लिए इतने भावुक और संस्कारी तरीके से विदाई देखी है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस घटना की चर्चा करते नजर आ रहे हैं।

वफादारी का एहसान चुकाया मालिक ने

गब्बर ने 10 सालों तक अपने वफादार स्वभाव से पूरे परिवार का दिल जीता था। उसकी सुरक्षा की भावना, बच्चों के प्रति लगाव और समझदारी सभी को भावुक कर देती थी। युवराज सिंह ने अपने पालतू की इस वफादारी का कर्ज चुकाने के लिए उसे अंतिम समय में वो सम्मान दिया, जो आज के इंसानों को भी नसीब नहीं होता।

पशु प्रेम का उदाहरण बनी यह घटना

आज जब लोग रिश्तों को भुला देते हैं, वहीं एक मालिक अपने पालतू के लिए इतना भावुक हो जाए, यह समाज को एक नई दिशा दिखाता है। युवराज सिंह की यह संवेदनशीलता न केवल पशु प्रेम का संदेश देती है, बल्कि इंसानियत की जिंदा मिसाल भी बनती है। इस घटना ने यह साफ कर दिया कि भावनाएं सिर्फ इंसानों में ही नहीं होतीं, जानवरों के लिए भी प्यार और सम्मान उतना ही जरूरी है।

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