जयपुर थाने में युवक की संदिग्ध मौत से बवाल, 6 पुलिसकर्मी सस्पेंड, मनीष की पत्नी को संविदा नौकरी और परिवार को 10 लाख मुआवजा।
संदिग्ध हालात में पुलिस कस्टडी में युवक की मौत
राजस्थान की राजधानी जयपुर से सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां सदर थाने में चोरी के आरोपी युवक मनीष पांडे की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। पुलिस का दावा है कि मनीष ने थाने में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, लेकिन परिजनों का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि पुलिसिया टॉर्चर का नतीजा है। इस घटना के बाद इलाके में जबरदस्त आक्रोश फैल गया।
हिरासत में लिया गया था युवक, रात में फंदे पर झूलता मिला
मनीष पांडे (उम्र 28) को जयपुर सदर थाना पुलिस ने शनिवार सुबह बाइक चोरी के शक में हिरासत में लिया था। वह मांग्यावास इलाके में किराए पर रह रहा था और मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला था। थाने में पूछताछ के दौरान मनीष को कुछ समय के लिए अकेला छोड़ दिया गया। पुलिस के अनुसार, इसी दौरान उसने थाने के अंदर फांसी लगा ली।
पुलिस का दावा: अस्पताल ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका
थाने में युवक को फंदे पर लटका देखकर पुलिसकर्मी उसे तुरंत बनीपार्क सैटेलाइट अस्पताल ले गए, जहां से उसे एसएमएस अस्पताल रेफर किया गया। वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मौत की खबर फैलते ही परिजनों और सामाजिक संगठनों का गुस्सा भड़क उठा।
परिवार ने लगाए गंभीर आरोप, शव को लेने से किया इनकार
मनीष के परिजन रविवार को एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठ गए और शव को लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने पुलिस पर मनीष को पीट-पीटकर मारने का आरोप लगाया। परिजनों का कहना है कि हिरासत में टॉर्चर किया गया, जिसकी वजह से मनीष की जान गई।
पुलिस कमिश्नर ने लिए एक्शन, छह पुलिसकर्मी निलंबित
घटना की गंभीरता को देखते हुए जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सदर थाने के सीआई सहित छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया। साथ ही घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
सरकार ने मानी परिजनों की मांगें, 10 लाख का मुआवजा और नौकरी
धरने पर बैठे परिवार और प्रशासन के बीच मध्य रात्रि तक बातचीत चली, जिसके बाद समझौता हुआ। राज्य सरकार ने सामाजिक संगठनों के माध्यम से 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया। इसके अलावा मनीष की पत्नी को संविदा पर नौकरी देने की भी घोषणा की गई।
धरने पर बैठे कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास
इस विवाद ने सियासी तूल भी पकड़ लिया। कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवार के साथ धरने पर बैठ गए। उन्होंने सरकार से दोषियों पर सख्त कार्रवाई और पीड़ित परिवार को पूरी मदद देने की मांग की।
थाने की कार्यप्रणाली पर सवाल, उठी निगरानी की मांग
घटना के बाद आम जनता और मानवाधिकार संगठनों की ओर से पुलिस थानों में हिरासत के दौरान हो रहे अमानवीय व्यवहार और निगरानी तंत्र की कमी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। मनीष की मौत ने पूरे सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर टिकी निगाहें
फिलहाल शव का पोस्टमार्टम एसएमएस अस्पताल में कराया जा रहा है और रिपोर्ट का सभी को इंतजार है। यदि रिपोर्ट में चोट या बाहरी टॉर्चर के संकेत मिलते हैं तो मामला पूरी तरह पलट सकता है। न्यायिक जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।
पुलिस की छवि पर बड़ा धक्का
जयपुर जैसे मेट्रो शहर में इस तरह की घटना से पुलिस प्रशासन की छवि को भारी नुकसान हुआ है। यह घटना सवाल उठाती है कि आखिर कस्टडी में इंसानी जान की सुरक्षा कितनी सुनिश्चित है और थानों में मॉनिटरिंग तंत्र कितना प्रभावी है।


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