बिजनौर जिला अस्पताल में बिजली गुल होते ही डायलिसिस मशीन बंद हुई, युवक की हालत बिगड़ी, इलाज न मिलने से मौत हो गई।
अस्पताल की एक लापरवाही, छीन ले गई ज़िंदगी
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के जिला अस्पताल में शर्मनाक लापरवाही का मामला सामने आया है। 26 वर्षीय सरफराज नाम के युवक की डायलिसिस के दौरान मौत हो गई, जब हॉस्पिटल की बिजली अचानक चली गई और डायलिसिस मशीन बंद हो गई। उस वक्त सरफराज का आधा खून मशीन में ही था। बिजली गुल होने के बाद भी अस्पताल में मौजूद जनरेटर को चालू नहीं किया गया क्योंकि उसमें डीजल नहीं था।
डायलिसिस के बीच बिजली गुल, मशीन ने छोड़ा साथ
सरफराज की डायलिसिस प्रक्रिया चल रही थी, तभी बिजली चली गई। मशीन अचानक रुक गई और खून का प्रवाह बीच में ही रुक गया। परिजन तुरंत मदद के लिए दौड़े लेकिन अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही ने एक कीमती जान छीन ली। परिजन रोते रहे, गिड़गिड़ाते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
डीजल न होने से जनरेटर भी हुआ बेकार
अस्पताल में जनरेटर की व्यवस्था थी लेकिन उसमें डीजल नहीं था। स्टाफ ने जब परिजनों को बताया कि डीजल खत्म हो चुका है, तब लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। पूरे अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। मरीज की मां सलमा ने बताया कि उसके बेटे को पेट में तेज दर्द होने लगा। डॉक्टरों ने इंजेक्शन और दवाई दिलवाई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
सीडीओ निरीक्षण पर थे मौजूद, मौत होते ही खुद पहुंचे मौके पर
सरफराज की मौत के समय बिजनौर के मुख्य विकास अधिकारी (CDO) पूर्ण बोरा अस्पताल के निरीक्षण पर थे। जैसे ही उन्हें डायलिसिस के दौरान मरीज की मौत की जानकारी मिली, वो तुरंत मौके पर पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि पांच और मरीजों का डायलिसिस प्रोसेस भी अटका पड़ा है क्योंकि पंखे, मशीन और लाइट सभी बंद थे।
सीडीओ ने मंगवाया डीजल, फौरन शुरू कराया जनरेटर
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए CDO ने तुरंत अपने स्टाफ को 50 लीटर डीजल मंगवाने के निर्देश दिए और जनरेटर चालू कराया। उन्होंने पूरे डायलिसिस विभाग की हालत का जायज़ा लिया। गंदगी, खराब मशीनें और लचर प्रशासन देखकर उन्होंने सख्त जांच के आदेश दिए।
डायलिसिस विभाग संजीवनी फर्म के जिम्मे, पर नहीं पहुंचता डीजल
अस्पताल प्रशासन की माने तो डायलिसिस डिपार्टमेंट का ठेका संजीवनी डायलिसिस फर्म के पास है। लेकिन फर्म का मैनेजर समय पर डीजल नहीं मंगवाता। नतीजतन, जब भी बिजली जाती है, मरीज़ों की जान पर बन आती है। एक डायलिसिस प्रक्रिया में जहां तीन घंटे लगने चाहिए, वहां पांच घंटे लगते हैं, जिससे मरीज़ों की हालत और बिगड़ जाती है।
सरफराज की मां का दर्द: ‘मैं कहती रही जनरेटर चलाओ, पर किसी ने नहीं सुना’
सरफराज की मां सलमा ने बताया कि उसके बेटे को बेचैनी हो रही थी। डायलिसिस के दौरान जब बिजली गई तो आधा खून मशीन में फंसा रह गया। डॉक्टरों ने इंजेक्शन लाने को कहा, उन्होंने दौड़कर इंजेक्शन भी लाया, पर सरफराज की हालत सुधर नहीं सकी। उन्होंने स्टाफ से बार-बार जनरेटर चलाने को कहा लेकिन जवाब मिला कि डीजल नहीं है।
CDO ने दिए जांच के आदेश, जब्त हुए सारे रिकॉर्ड
मुख्य विकास अधिकारी पूर्ण बोरा ने बताया कि बिजनौर जिला अस्पताल की कई शिकायतें पहले से मिल रही थीं, इसलिए वह खुद निरीक्षण पर पहुंचे थे। उनके सामने ही एक युवक की जान चली गई। उन्होंने तुरंत डायलिसिस डिपार्टमेंट के सभी रिकॉर्ड जब्त करने के आदेश दिए। साथ ही कहा कि डॉ. उषा जो कि अस्पताल की प्रभारी हैं, उन्हें साफ तौर पर व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए गए हैं।
अस्पताल की दशा दयनीय, मशीनें गंदगी में लिपटी
निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि डायलिसिस विभाग की मशीनें, दवाइयां और अन्य उपकरण गंदगी में पड़े हैं। मरीजों के लिए पीने का पानी तक साफ नहीं है। यह अस्पताल की बदहाल स्थिति का आईना दिखाता है, जहां इलाज की बजाय मौत मिल रही है।
उच्चस्तरीय जांच की मांग, दोषियों पर कार्रवाई तय
सरफराज की मौत ने पूरे जिले को हिलाकर रख दिया है। परिजनों ने मांग की है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और लापरवाह कर्मचारियों व ठेकेदार पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो। वहीं सीडीओ ने भरोसा दिलाया है कि जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


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