अलीगढ़ में 30 साल से सरकारी क्वार्टर पर कब्जा जमाए बैठे रिटायर्ड JE को हाई कोर्ट आदेश के बाद नगर निगम ने खाली कराया।
30 साल से कब्जा जमाए बैठे बाबू को हटाया गया
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में नगर निगम को एक ऐसे सरकारी क्वार्टर को खाली कराने में पूरे 30 साल लग गए, जिस पर एक रिटायर्ड जूनियर इंजीनियर गय्यूर अहमद ने कब्जा कर रखा था। यह क्वार्टर नगर आयुक्त आवास के पीछे स्थित है। नगर निगम ने काफी प्रयासों के बाद आखिरकार बुधवार को इस अवैध कब्जे से छुटकारा पाया। इस कार्यवाही के लिए नगर निगम को हाई कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
अदालत में गुमराह करने का प्रयास, अब ताले में बंद हुआ कब्जा
जानकारी के अनुसार, गय्यूर अहमद नगर निगम में जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। सेवा के दौरान उन्हें यह आवास आवंटित किया गया था, लेकिन रिटायरमेंट के बाद भी वह इसे खाली करने को तैयार नहीं थे। उन्होंने अदालत में गलत तथ्य प्रस्तुत करते हुए लंबे समय तक आवास पर अपना कब्जा बनाए रखा। इस बीच नगर आयुक्त समेत कई अधिकारियों ने उन्हें नोटिस दिए, लेकिन हर बार हाई कोर्ट का हवाला देकर वह बचते रहे।
नगर आयुक्त की सख्ती से बदली तस्वीर
हाल ही में कार्यभार संभालने के बाद नगर आयुक्त प्रेम प्रकाश मीणा ने इस मामले में सख्ती दिखाई। उन्होंने मूल पत्रावली तलब की और नगर निगम के सहायक आयुक्त वीर सिंह को इस पर तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए। कोर्ट में रिट याचिका खारिज हो चुकी थी, इसके बावजूद जब कब्जा नहीं हटाया गया तो नगर आयुक्त ने नाराजगी जताई और अंतिम नोटिस जारी किया।
भारी फोर्स के साथ पहुंची टीम, कब्जे में लिया गया क्वार्टर
बुधवार को नगर निगम की टीम, जिसमें एसीएम प्रथम, थाना सिविल लाइन के प्रभारी निरीक्षक, संपत्ति लिपिक विजय गुप्ता और अन्य अधिकारी शामिल थे, मौके पर पहुंची। वीडियोग्राफी के साथ क्वार्टर का ताला खुलवाया गया और उसे नगर निगम की संपत्ति घोषित करते हुए नए ताले और बोर्ड के साथ कब्जे में ले लिया गया।
फ्री होल्ड के नाम पर भी किया था खेल
रिटायर्ड जेई गय्यूर अहमद ने आवास को फ्री होल्ड कराने की कोशिश भी की थी। इसके लिए उन्होंने शासनादेश के खिलाफ जाकर नजूल नीति के तहत प्रार्थना पत्र दिया था। लेकिन 1997 में जिलाधिकारी अलीगढ़ ने इसे खारिज कर दिया था और 2010 में इसकी धनराशि भी वापस कर दी गई थी। बावजूद इसके, उन्होंने क्वार्टर को नहीं छोड़ा।
नगर आयुक्त ने टीम को दी बधाई
नगर आयुक्त प्रेम प्रकाश मीणा ने कहा कि 30 साल पुराना यह अतिक्रमण हटाना आसान नहीं था, लेकिन संपत्ति विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस की टीम ने बेहतरीन समन्वय के साथ यह कार्य पूरा किया। उन्होंने बताया कि अब अन्य सरकारी आवासों की भी समीक्षा की जा रही है और जल्द ही सभी अवैध कब्जों पर कार्रवाई होगी।
सरकारी संपत्तियों पर अब नहीं चलेगा कब्जा
नगर निगम की इस सख्त कार्रवाई से अब बाकी अवैध कब्जेदारों में भी हलचल मच गई है। गय्यूर अहमद का मामला उदाहरण बन गया है कि कितने वर्षों तक सरकारी संसाधनों पर निजी कब्जा जमाकर संस्थान को नुकसान पहुंचाया गया। अब प्रशासन सख्त रवैया अपनाते हुए सभी ऐसे मामलों पर नजर रखेगा।
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