Air India Plane Crash में जलकर मर गए यात्री! शवों की पहचान के लिए होगा DNA टेस्ट, जानिए पूरी वैज्ञानिक प्रक्रिया



Air India हादसे में शवों की पहचान अब DNA टेस्ट से होगी। जानिए क्या है डीएनए टेस्ट और कैसे 1000 सैंपल से होगी पुष्टि


अहमदाबाद प्लेन क्रैश: जब मौत पहचान छीन ले, तो विज्ञान बनता है आखिरी सहारा

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में हुए भीषण विमान हादसे ने देश को गहरे सदमे में डाल दिया है। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171, जिसमें कुल 242 लोग सवार थे, टेकऑफ के चंद मिनटों बाद ही क्रैश होकर बीजे मेडिकल कॉलेज के पास एक हॉस्टल बिल्डिंग से टकरा गई। हादसे की भयावहता इतनी थी कि कई शव बुरी तरह जल गए, जिससे उनकी पहचान कर पाना लगभग नामुमकिन हो गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुष्टि की कि अब मृतकों की पहचान के लिए लगभग 1000 लोगों के डीएनए टेस्ट किए जाएंगे।

DNA टेस्ट से होगी शवों की शिनाख्त, फॉरेंसिक लैब में चलेगा काम

इस हादसे में जिन शवों की पहचान नहीं हो सकी है, उनके परिजनों के डीएनए सैंपल लिए जाएंगे और मृतकों के अवशेषों से प्राप्त डीएनए से मिलान किया जाएगा। यह प्रक्रिया गुजरात के गांधीनगर स्थित फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) और नेशनल फोरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (NFSU) में होगी। अमित शाह के अनुसार, सरकार इसकी पूरी जिम्मेदारी खुद उठा रही है।

डीएनए क्या होता है और क्यों है यह इतनी अहम कड़ी?

डीएनए (Deoxyribonucleic Acid) शरीर की कोशिकाओं में पाया जाने वाला वह अनोखा कोड है, जो हर इंसान की अलग पहचान तय करता है। यह जानकारी हमें हमारे माता-पिता से मिलती है और शरीर के लक्षणों से लेकर बीमारियों तक, सबका खाका इसमें दर्ज होता है।

डीएनए की संरचना और कार्यप्रणाली: गहराई से समझिए

डीएनए एक दोहरी कुंडली की तरह होता है, जिसमें चार नाइट्रोजन बेस (A, T, C, G) मिलकर एक सीढ़ी जैसी बनावट बनाते हैं। इसकी संरचना और अनुक्रम ही किसी भी इंसान को अलग बनाते हैं। इस डीएनए की जांच करके वैज्ञानिक यह तय करते हैं कि कौन सा सैंपल किस व्यक्ति से मेल खाता है।

कैसे किया जाता है डीएनए टेस्ट?

डीएनए टेस्टिंग एक अत्यंत वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसमें कई चरण होते हैं:

  • सैंपल कलेक्शन: मृतक के दांत, हड्डी, बाल या ऊतक से लिया जाता है। परिजनों से मुख-स्वाब या रक्त सैंपल लिया जाता है।
  • डीएनए निष्कर्षण: लैब में सैंपल से डीएनए को रसायनों की मदद से अलग किया जाता है।
  • डीएनए प्रवर्धन: PCR तकनीक से डीएनए को लाखों गुना बढ़ाया जाता है।
  • डीएनए प्रोफाइलिंग: STR नामक यूनिक क्षेत्रों का विश्लेषण कर प्रोफाइल तैयार की जाती है।
  • मिलान प्रक्रिया: मृतक और परिजनों के प्रोफाइल का कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर से मिलान किया जाता है।

कितने दिन लगेंगे परिणाम आने में?

आमतौर पर इस प्रक्रिया में 7 से 14 दिन लगते हैं, लेकिन ऐसी आपात स्थिति में इसे 3 से 5 दिन में भी पूरा किया जा सकता है। रिपोर्ट आने के बाद शव परिजनों को अंतिम संस्कार हेतु सौंपे जाएंगे।

क्यों 1000 लोगों के टेस्ट की जरूरत?

एक शव की पुष्टि के लिए कई परिजनों (जैसे माता, पिता, संतान, भाई-बहन) से नमूने लिए जाते हैं ताकि पुष्टि में सटीकता रहे। इसी कारण कुल टेस्ट की संख्या 1000 तक पहुंच रही है।

डीएनए टेस्टिंग में आ रही चुनौतियां

हादसे के कारण शवों की हालत बेहद खराब है। कई जगह डीएनए निकालना कठिन हो गया है। दूषित सैंपल परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, सरकार और वैज्ञानिक दोनों मिलकर हर तकनीकी चुनौती से पार पाने का प्रयास कर रहे हैं।

कहां और कैसे लिए जा रहे हैं सैंपल?

बी.जे. मेडिकल कॉलेज के कसोटी भवन में विशेष व्यवस्था की गई है, जहां परिजन अपने पहचान पत्रों के साथ सैंपल दे सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव धनंजय द्विवेदी ने बताया कि सभी सैंपल को सख्त सुरक्षा और साफ-सफाई के साथ संग्रहित कर लैब में भेजा जा रहा है।

डीएनए लैब्स में कैसी हैं सुविधाएं?

गांधीनगर स्थित दोनों फॉरेंसिक संस्थान भारत की सबसे एडवांस्ड लैब्स में गिने जाते हैं। यहां PCR मशीनें, डीएनए सीक्वेंसर और कोल्ड स्टोरेज की सुविधा है। विशेषज्ञों की टीम दिन-रात काम कर रही है ताकि परिजनों को जल्द से जल्द जानकारी दी जा सके।

विज्ञान ही आखिरी उम्मीद बना है

इस हादसे के बाद कई परिवार सिर्फ एक अंतिम झलक या विदाई की आस में डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। इस तकनीक ने एक बार फिर यह साबित किया है कि जब दृश्य प्रमाण मिट जाते हैं, तब अदृश्य कण यानी डीएनए ही सबसे मजबूत कड़ी साबित होता है।

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