इंसानी खोपड़ियों वाला फार्महाउस! नरभक्षी राजा कोलंदर की 25 साल पुरानी हैवानियत का पर्दाफाश, कोर्ट ने सुनाई सजा



25 साल बाद मिला इंसाफ! नरभक्षी राजा कोलंदर और उसके साले को डबल मर्डर में उम्रकैद, फार्महाउस से मिली थीं 14 खोपड़ियां।


सीरियल किलर या शैतान? राजा कोलंदर की 25 साल पुरानी वो दहशत, जिसने रायबरेली को हिला दिया था

उत्तर प्रदेश के इतिहास में दर्ज एक ऐसा नाम जो आज भी लोगों को झकझोर देता है—राजा कोलंदर। सीरियल किलर, नरभक्षी और इंसानी खोपड़ियां जमा करने वाला ये दरिंदा 25 साल से कानून की आंखों में धूल झोंकता रहा, लेकिन अब जाकर उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। लखनऊ की एडीजे कोर्ट नंबर-5 ने शुक्रवार को राजा कोलंदर और उसके साले बच्छराज कोल को डबल मर्डर केस में दोषी ठहराया और उम्रभर के लिए सलाखों के पीछे भेज दिया। साथ ही कोर्ट ने दोनों पर ढाई-ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

राजा कोलंदर: इंसानी भेजा पीने वाला दरिंदा

साल 2000 में जब 22 वर्षीय मनोज कुमार सिंह और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव लखनऊ से रीवा के लिए रवाना हुए, तब किसी को अंदाज़ा नहीं था कि वो इस नरभक्षी की भूख का शिकार बनेंगे। आखिरी बार उन्हें रायबरेली के हरचंदपुर में चाय की दुकान पर देखा गया। इसके बाद दोनों रहस्यमयी ढंग से गायब हो गए। परिजनों ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और पुलिस की पड़ताल शुरू हुई।

कुछ हफ्तों बाद प्रयागराज के शंकरगढ़ के घने जंगलों में दोनों के क्षत-विक्षत शव बरामद हुए। जांच ने जब रफ्तार पकड़ी तो नाम आया—राजा कोलंदर का। वो न केवल हत्या करता था, बल्कि लोगों के सिर काटकर खोपड़ियां फार्महाउस में सजाता था और इंसानी मस्तिष्क का सूप बनाकर पीता था।

फार्महाउस बना था खौफ की गुफा—14 इंसानी खोपड़ियां बरामद

जब पुलिस ने राजा कोलंदर के फार्महाउस पर छापा मारा, तो जो मंजर देखा उससे रोंगटे खड़े हो गए। वहां 14 इंसानी खोपड़ियां करीने से सजाई गई थीं। कोर्ट में पेश गवाहियों के अनुसार, राजा कोलंदर तंत्र-मंत्र और नरभक्षण में यकीन रखता था। सिर काटकर वह इंसान के भेजे को उबालकर पीता था। फार्महाउस में कई जानवरों की हड्डियां और तांत्रिक सामग्रियां भी मिलीं।

25 साल पुरानी फाइल, लेकिन अब मिला इंसाफ

मनोज और रवि की हत्या का मामला दर्ज तो 2000 में हुआ, लेकिन चार्जशीट दाखिल हुई 21 मार्च 2001 को। कानूनी पेचिदगियों के चलते सुनवाई 2013 में शुरू हो सकी और अब 2025 में जाकर इंसाफ मिला। कोर्ट ने कहा कि यह मामला केवल हत्या नहीं, बल्कि सभ्य समाज के मूल्यों को लहूलुहान करने वाला है। दोषियों को समाज में रहने का कोई अधिकार नहीं।

धीरेंद्र सिंह केस में भी पहले ही मिल चुकी है उम्रकैद

राजा कोलंदर और बच्छराज कोल को इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही साल 2012 में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा सुना चुका है। इस केस में भी राजा के फार्महाउस से इंसानी अवशेष और खोपड़ियां मिली थीं। कोर्ट ने इन घटनाओं को जघन्य अपराधों की श्रेणी में रखा।

कौन है नरभक्षी राजा कोलंदर?

पूर्वांचल के माफिया और तांत्रिक परंपराओं से जुड़ा हुआ राजा कोलंदर एक ट्रक ड्राइवर से सीरियल किलर बना। बचपन से ही वह मौत और खून में अजीब किस्म की रुचि रखता था। उसकी पत्नी और बेटे ने भी कोर्ट में उसके अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र के लिए जुनून की पुष्टि की। अदालत ने इन गवाहियों के आधार पर इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ केस माना।

गवाहों ने खोले राज: ‘राजा खून से नहाता था’

सुनवाई के दौरान कई गवाहों ने चौंकाने वाले खुलासे किए। एक गवाह ने बताया कि राजा इंसानी खून से स्नान करता था। दूसरा गवाह बोला—"राजा ने खुद बताया कि इंसानी भेजा खाने से ताकत मिलती है।" कोर्ट में पेश सबूतों में डीएनए रिपोर्ट, कॉल डिटेल्स, और फार्महाउस से बरामद नरकंकाल भी शामिल थे।

कोर्ट का फैसला: उम्रकैद के साथ जुर्माना

लखनऊ एडीजे कोर्ट नंबर-5 के जज रोहित सिंह ने दोनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई और साथ ही ढाई-ढाई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने कहा कि यह केवल हत्या नहीं बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध है।

कब्र में भी कांप उठेगी आत्मा—ऐसी थी कोलंदर की क्रूरता

जांच के दौरान एक और खुलासा हुआ—राजा कोलंदर अपने फार्महाउस के गुप्त तहखाने में खोपड़ियों को गिनती में रखता था। हर खोपड़ी पर एक नंबर लिखा था। वह उन्हें अपने "अध्यात्मिक गुरु" की उपस्थिति मानता था। उसने 14 से ज्यादा लोगों की हत्या की बात कुबूल की थी।

अब भी कई राज दफन—जांच एजेंसियों की नजर

राजा कोलंदर पर अभी कई अन्य केस भी लंबित हैं। पुलिस को शक है कि फार्महाउस के पास की जमीन में और भी शव दफन हो सकते हैं। एनआईए और एटीएस जैसी एजेंसियां अब इस केस की गहराई से जांच करने में जुटी हैं।

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