गंगोह में ठेकेदार ने मजदूरी देने से मना किया तो यूपी पुलिस बनी सहारा, विधवा की बेटी की कराई शादी, इलाके में हो रही तारीफ।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के गंगोह इलाके में इंसानियत और खाकी की मिसाल पेश करते हुए जो हुआ, उसने पूरे जिले को भावुक कर दिया। एक गरीब विधवा महिला, जिसके सिर से पति का साया उठ चुका था, उसकी बेटी की शादी तय हो चुकी थी। लेकिन जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया कि बेटी की डोली उठे, इससे पहले मां की उम्मीदें टूटने लगीं। जिस ठेकेदार के यहां वो मजदूरी करती थी, उसने 40 दिनों की मजदूरी देने से इनकार कर दिया। कर्ज मांगने पर भी तिरस्कार मिला। उस असहाय मां ने जब आसमान की तरफ देखा तो भगवान ने पुलिस के रूप में मदद भेज दी।
गंगोह थाने की पुलिस ने जो किया, वो नज़ीर बन गया। थाने पहुंचे महिला के आंसुओं ने खाकी को झकझोर दिया और फिर जो हुआ, उसने सहारनपुर में यूपी पुलिस की दरियादिली की एक नई कहानी लिख दी।
बेटी की शादी, लेकिन खाली जेब… मजदूरी भी नहीं मिली
गंगोह कस्बे की एक बुज़ुर्ग विधवा महिला दिन-रात मेहनत करके किसी तरह घर चला रही थी। अपनी बेटी की शादी तय की थी और उसी के लिए थोड़ा-थोड़ा पैसा जोड़ रही थी। महिला के मुताबिक वह पिछले 40 दिनों से एक निर्माण साइट पर मजदूरी कर रही थी, लेकिन ठेकेदार ने न तो पैसे दिए और न ही उधार देने को तैयार हुआ। ऐसे में शादी की तारीख नज़दीक आने लगी और महिला की आंखों में नींद गायब हो गई।
‘थाने’ बनी आखिरी उम्मीद… पुलिस ने भी निभाया ‘परिवार’ जैसा फर्ज
परेशानी में डूबी महिला ने साहस जुटाया और गंगोह कोतवाली पहुंची। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को अपनी पूरी कहानी सुनाई। शुरुआत में पुलिस ने संवेदना जताई, लेकिन फिर सिर्फ सहानुभूति नहीं, बल्कि जिम्मेदारी भी ली। महिला को थाने में अस्थायी रूप से काम भी दिया गया और साथ ही भरोसा दिलाया गया कि पुलिस बेटी की शादी का पूरा इंतजाम करेगी।
पुलिसवालों ने उठाया शादी का पूरा खर्चा, दिया बेटी को भरपूर तोहफा
गंगोह थाने के सभी पुलिसकर्मियों ने मिलकर चंदा इकट्ठा किया और शादी के तमाम इंतजाम कर डाले। कपड़े, जेवर, घरेलू सामान, शादी का मंडप, खाना-पीना, सब कुछ खुद पुलिस ने संभाला। खुद पुलिसकर्मी बाराती बने, कन्यादान किया, बेटी को आशीर्वाद दिया और तोहफे भी दिए। शादी किसी शाही आयोजन से कम नहीं थी।
'हम बेटी के पिता हैं' – गूंजा पुलिस थाने का हर कोना
शादी के दौरान एक दृश्य ने सबकी आंखें नम कर दीं। जब महिला की बेटी को विदा किया जा रहा था, तो गंगोह थाने का हर पुलिसवाला उसे बेटी मानकर उसके सिर पर हाथ रख रहा था। किसी ने मंगलसूत्र भेंट किया तो किसी ने गृहस्थी का सामान। ये नज़ारा देखने वालों ने कहा – “खाकी के पीछे भी एक दिल धड़कता है, जो सिर्फ कानून नहीं, इंसानियत भी निभाना जानता है।”
इलाके में तारीफों की बौछार, लोग बोले – ‘UP पुलिस अब भरोसे का नाम है’
गंगोह के लोग अब हर चर्चा में इस शादी का जिक्र कर रहे हैं। जिन हालातों में एक मां अपने बच्चे की शादी को लेकर बेबस थी, उस वक्त यूपी पुलिस ने जो इंसानियत दिखाई, वो सिर्फ कानून का डर नहीं, खाकी की गरिमा का सम्मान भी बढ़ा गई। गांव के बुज़ुर्गों से लेकर युवाओं तक हर किसी ने इस पहल की सराहना की है।
महिला बोली – ‘पुलिस नहीं, मेरे लिए फरिश्ते हैं’
शादी के बाद उस महिला ने मीडिया से कहा, “मेरे लिए तो अब पुलिस ही भगवान हैं। मेरी बेटी की शादी अगर हुई तो इन्हीं की वजह से हुई। मैं पूरी ज़िंदगी शुक्रगुज़ार रहूंगी।” उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन वो खुशी के थे।
जब ठेकेदार ने मुंह मोड़ा, तब पुलिस बनी उम्मीद की किरण
जिस ठेकेदार ने महिला को उसकी मेहनत की कमाई से भी वंचित किया, उसने ना केवल उसका भरोसा तोड़ा बल्कि उसे मजबूरी की हालत में भी झटक दिया। लेकिन इस महिला की कहानी ये साबित करती है कि जब इंसान बेज़ार होता है, तब सरकार के कुछ फरिश्ते जैसे लोग उसका सहारा बन जाते हैं।
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