पेट में भरा था करोड़ों का सोना! मुरादाबाद में पकड़े गए 'जिंदा तिजोरी' तस्कर, डॉक्टरों ने निकाले 27 गोल्ड कैप्सूल



मुरादाबाद में 4 तस्करों के पेट से निकले 1 करोड़ के 27 सोने के कैप्सूल, गिरोह में शामिल थे डॉक्टर, एजेंट और फाइनेंसर



मुरादाबाद: पेट से निकला ‘सोने का खजाना’, पुलिस की दबिश में उजागर हुआ करोड़ों की तस्करी का नेटवर्क

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक पुलिस कार्रवाई ने पूरे प्रदेश को हिला दिया, जब एक अपहरण केस की तह में जाकर पुलिस ने चार ऐसे तस्करों को पकड़ा जिनके पेट में छिपा था 1 करोड़ रुपये का सोना। ये कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि असलियत है, जहां दुबई और सऊदी से लौटे इन तस्करों के पेट से डॉक्टरों ने ऑपरेशन के बिना 27 गोल्ड कैप्सूल निकाले। ये सभी पेट में सोना निगलकर उसे देश में लाने का खतरनाक खेल खेल रहे थे।

शुक्रवार को मुरादाबाद में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब खबर आई कि छह लोगों का अपहरण हो गया है। शुरुआती जांच में पुलिस ने जब एक संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ा तो पूरे मामले की परतें खुलती चली गईं। अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में सामने आया कि छह में से चार लोग पेट में सोना लेकर घूम रहे हैं। जैसे ही ये खुलासा हुआ, पुलिस ने तुरंत चारों को हिरासत में लेकर जिला अस्पताल में दाखिल कराया। डॉक्टरों ने खास डाइट देकर धीरे-धीरे उनके पेट से कुल 27 गोल्ड कैप्सूल निकाले जिनका कुल वजन 1 किलो 58 ग्राम बताया गया। बाजार में इनकी कीमत लगभग 1 करोड़ रुपये है।

जाने किसके पेट से कितना निकला सोना

तस्करों की पहचान शाने आलम, मूतल्ल्वी, अजरुद्दीन और जुल्फेकार अली के रूप में हुई है। चारों रामपुर जिले के टांडा क्षेत्र के निवासी हैं।

  • शाने आलम के पेट से निकले 3 कैप्सूल, जिनका कुल वजन 114.71 ग्राम था।
  • मूतल्ल्वी के पेट से 8 कैप्सूल बाहर निकाले गए और 2 अब भी अंदर हैं, कुल वजन 311.83 ग्राम।
  • अजरुद्दीन के पेट से भी 8 कैप्सूल निकले, वजन 320.12 ग्राम।
  • जुल्फेकार अली के पेट से 8 कैप्सूल निकले जिनका वजन 313.59 ग्राम रहा।

कैसे खुला ‘गोल्ड गैंग’ का राज?

शुक्रवार को अपहरण की खबर मिलते ही पुलिस हरकत में आई और मोर्चा संभालते हुए ड्राइवर सहित कुल सात लोगों को छुड़ा लिया। जब पुलिस को संदेह हुआ कि अपहरण का कारण केवल फिरौती नहीं बल्कि सोना तस्करी भी हो सकता है, तो मेडिकल जांच कराई गई। अल्ट्रासाउंड में जब गोल्ड कैप्सूल की पुष्टि हुई तो पूरा पुलिस महकमा चौकन्ना हो गया। जांच में यह भी सामने आया कि अपहरणकर्ताओं को पहले से पता था कि ये लोग पेट में सोना लेकर आ रहे हैं। योजना थी कि इनका पेट चीरकर सोना निकाल लिया जाए, लेकिन गांव वालों की सतर्कता और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से उनकी साजिश नाकाम हो गई।

कैसे काम करता है यह इंटरनेशनल तस्करी नेटवर्क?

पूछताछ में चारों तस्करों ने बताया कि उन्हें दुबई ट्रैवल वीजा पर भेजा जाता था, जहां फाइनेंसर पहले से इंतजाम कर देते थे। वहीं सोने के कैप्सूल तैयार कर निगलवाए जाते और फिर भारत भेजा जाता। मुंबई एयरपोर्ट से होते हुए ये लोग अपने गांव पहुंचते, जहां भोजन के बाद मल के जरिए ये कैप्सूल बाहर निकाले जाते। उनका एक तय हिस्सा तस्कर रखते और बाकी सोना फाइनेंसर को सौंपते थे।

इस गैंग में केवल तस्कर ही नहीं, बल्कि ट्रैवल एजेंट, डॉक्टर और हाई प्रोफाइल फाइनेंसर भी जुड़े हुए हैं। पूरी साजिश हाई लेवल नेटवर्क के तहत चल रही थी। लंबे समय से ये धंधा जारी था और अब जाकर इसका खुलासा हो पाया।

मुरादाबाद पुलिस की सूझबूझ से बचे 6 जीवन

पुलिस अधीक्षक रणविजय सिंह के अनुसार, यदि समय रहते कार्रवाई न होती तो अपहरणकर्ताओं की योजना के तहत इनका पेट चीरकर सोना निकाला जा सकता था जिससे जान भी जा सकती थी। दो अपहरणकर्ताओं को मुठभेड़ में पकड़ लिया गया है जबकि बाकी की तलाश जारी है।

फिलहाल चारों आरोपियों को तस्करी के आरोप में जेल भेज दिया गया है और गिरोह के बाकी सदस्यों की तलाश में पुलिस की छापेमारी जारी है। इस पूरे घटनाक्रम ने मुरादाबाद समेत पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है और अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

यह मामला सिर्फ सोने की तस्करी का नहीं, बल्कि जानलेवा और संगठित अपराध का है, जिसमें अबतक न जाने कितने लोग बिना आवाज़ के इस काले खेल का हिस्सा बनते आ रहे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ