गाज़ियाबाद में हिस्ट्रीशीटर को पकड़ते वक्त बदमाशों से भिड़े सिपाही सौरभ देशवाल, सिर में गोली लगी, अस्पताल में हुई मौत।
गोलियों की बौछार, पथराव की मार और पीछे हटती पुलिस… लेकिन अकेले डटा रहा ‘वीर सौरभ’, अपनी जान देकर बचा गया वर्दी की शान
उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही सौरभ देशवाल का नाम अब उन बहादुरों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है, जो अपनी जान की बाजी लगाकर ड्यूटी निभा जाते हैं। नोएडा पुलिस का ये जांबाज़ कांस्टेबल गाज़ियाबाद के नाहल गांव में हिस्ट्रीशीटर कादिर को पकड़ते वक्त गोली लगने से शहीद हो गया। उसकी कहानी सिर्फ एक एनकाउंटर नहीं, बल्कि उस हिम्मत की मिसाल है जो हर वर्दीधारी में होनी चाहिए।
सौरभ देशवाल: नाम नहीं, अब एक मिसाल है
शामली के छोटे से गांव बधेव में जन्मा सौरभ देशवाल बचपन से ही पुलिस की वर्दी पहनने का सपना देखता था। 2016 में उसका यह सपना पूरा हुआ, जब उसे पुलिस फोर्स में भर्ती मिल गई। 9 साल की नौकरी में उसने दर्जनों खतरनाक बदमाशों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया। स्पेशल स्टाफ में तैनाती मिली, क्योंकि उसकी हिम्मत और एक्शन के लिए पूरी टीम उस पर भरोसा करती थी।
घटनास्थल: नाहल गांव, गाज़ियाबाद – जहां गोलियों की गूंज ने तोड़ी खामोशी
दिन था 24 मई की रात, समय करीब 10:30 बजे। नोएडा पुलिस को सूचना मिली कि हिस्ट्रीशीटर कादिर अपने घर में मौजूद है। तुरंत एक टीम गठित हुई और सादी वर्दी में दबिश देने नाहल गांव पहुंची। टीम ने कादिर को दबोच भी लिया। लेकिन वापसी के समय, पंचायत भवन के पीछे छिपे बदमाशों ने टीम पर पथराव शुरू कर दिया।
जब पुलिस टीम भागी, तब अकेला भिड़ा सौरभ…
सभी पुलिसकर्मी अचानक हुए पथराव से घबरा कर छिपने की कोशिश करने लगे। लेकिन कांस्टेबल सौरभ देशवाल वहीं डट गया। उसने अकेले ही दर्जनभर बदमाशों का मुकाबला किया। चिल्लाकर टीम को चेताया भी, लेकिन गोलियों की बौछार में एक गोली उसके सिर में लग गई। सौरभ वहीं गिर गया।
अस्पताल में नहीं बच सके 'शेरदिल' सौरभ
घायल सौरभ को तुरंत गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद डॉक्टर उसे नहीं बचा सके। सुबह होते-होते उसकी शहादत की खबर नोएडा से लेकर गाजियाबाद पुलिस महकमे में आग की तरह फैल गई। पत्नी बदहवास हो गई, जिसने रात में उससे आखिरी बार फोन पर खाना खाने की बात की थी।
साधारण नहीं था ऑपरेशन – सादी वर्दी, बिना लोकल पुलिस की सूचना
नोएडा पुलिस ने इस पूरी कार्रवाई की जानकारी गाजियाबाद पुलिस को नहीं दी थी। टीम सादी वर्दी में गई थी ताकि शक न हो। पर जैसे ही गांव में हलचल हुई, कादिर के गुर्गों ने घेराबंदी कर दी। घटना के 45 मिनट बाद जब गाजियाबाद पुलिस को पता चला, तब तक सब कुछ हो चुका था।
नाहल गांव – चंबल के बीहड़ों जैसा इलाका, जहां अपराधियों का राज चलता है
गंग नहर के किनारे बसे गाजियाबाद का नाहल गांव ऐसा इलाका है, जहां आज भी पक्की सड़क नहीं पहुंची। टूटी-फूटी कच्ची सड़क पर वाहन 20 किमी/घंटा की रफ्तार से ज्यादा नहीं चल सकता। ऐसे में बाहर से आई पुलिस टीम अक्सर यहां फंस जाती है। इसी इलाके का फायदा उठाकर बदमाश भाग जाते हैं।
सुबह होते-होते पकड़ा गया कादिर – पुलिस का पलटवार
डीसीपी ग्रामीण की निगरानी में गाजियाबाद पुलिस ने रातभर में दबिश दी और सुबह होते ही कादिर को एक एनकाउंटर में पकड़ लिया। अब कादिर सलाखों के पीछे है, लेकिन सौरभ देशवाल की शहादत ने पूरे यूपी पुलिस महकमे को झकझोर कर रख दिया है।
घर में पसरा मातम, पत्नी की आंखें सूनी…
सौरभ देशवाल की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। आखिरी बार जब उसने फोन किया था, तब कहा था “ड्यूटी पर जा रहा हूं, खाना खा लेना।” किसी को अंदाजा नहीं था कि ये बातचीत आखिरी होगी। बच्चे अभी इतने छोटे हैं कि उन्हें समझ भी नहीं आ रहा कि पापा अब कभी नहीं लौटेंगे।
सौरभ का अंतिम सफर – जन सैलाब के बीच निकली अर्थी
शहीद सौरभ देशवाल की अंतिम यात्रा में उनके गांव बधेव से लेकर आसपास के जिलों तक हजारों लोग उमड़े। फूलों से सजी अर्थी जब निकली, तो “भारत माता की जय” और “सौरभ देशवाल अमर रहें” के नारे आसमान गूंजा गए।
अब सवाल – क्या सिस्टम बदलेगा?
शहीद सौरभ देशवाल की मौत के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं।
- क्यों सादी वर्दी में भेजी गई टीम बिना बुलेटप्रूफ सुरक्षा के?
- क्यों नहीं दी गई गाजियाबाद पुलिस को पहले से जानकारी?
- क्या गांव जैसे नाहल में ऑपरेशन से पहले ड्रोन रैकी या तकनीकी सपोर्ट नहीं होनी चाहिए थी?
इन सवालों के जवाब शायद वक्त देगा, लेकिन जो अपनी ड्यूटी निभाकर चला गया, उसका नाम अब हमेशा के लिए यूपी पुलिस के इतिहास में दर्ज हो गया है।
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