सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र की हत्या का चौंकाने वाला खुलासा, मंदिर के पुजारी का शर्मनाक राज़ जानने की मिली थी सजा!
"शर्मनाक राज़ का पर्दाफाश! पुजारी ने क्यों बनवाया पत्रकार को मौत का शिकार?"
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में जिस पत्रकार राघवेंद्र वाजपेई को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया, उसकी वजह किसी घोटाले की खबर नहीं, बल्कि एक और भी बड़ा और सनसनीखेज राज़ था। पुलिस के मुताबिक, पत्रकार राघवेंद्र ने कारेदेव बाबा मंदिर के अंदर पुजारी को आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिया था। पुजारी शिवानंद बाबा, जो खुद को संत और साधक बताता था, अपनी काली करतूतों से पर्दा उठता देख बौखला उठा और अपने करीबी के जरिए हत्या की सुपारी दे डाली।
"सीतापुर में एक हत्या, जो खोल गई साधुओं की साजिश का चक्रव्यूह!"
34 दिनों की मशक्कत के बाद जब सीतापुर पुलिस ने पत्रकार की हत्या की परतें खोलीं, तो सामने आया पवित्रता की आड़ में छिपा गंदा खेल। जांच में पाया गया कि शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर, अपने निजी फायदे और कुकर्मों को छुपाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता था। जैसे ही राघवेंद्र वाजपेई को मंदिर में पुजारी की हरकतों की जानकारी लगी, बाबा ने उन्हें रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया।
"दो शूटर, एक प्लान और 4 गोलियां! राघवेंद्र की हत्या ऐसे बनी प्लानिंग का हिस्सा"
पुलिस के मुताबिक, बाबा ने अपने विश्वासपात्र निर्मल सिंह से सलाह ली, जिसने असलम गाजी के जरिए दो शूटरों को सुपारी दी। सुपारी की रकम तय हुई और योजना को अंजाम देने के लिए हेमपुर ओवरब्रिज को चुना गया। 8 मार्च की दोपहर, राघवेंद्र को एक के बाद एक चार गोलियां मारी गईं और हत्या के बाद दोनों शूटर फरार हो गए।
"STF, क्राइम ब्रांच की 10 से ज्यादा टीमें शूटरों की तलाश में!"
हत्या के बाद से ही पुलिस की टीमें सक्रिय हो गईं। नोएडा, लखनऊ और सीतापुर समेत कई जिलों में STF और क्राइम ब्रांच की 10 से ज्यादा टीमें तैनात की गईं। अब तक तीन अभियुक्त — शिवानंद बाबा, निर्मल सिंह और असलम गाजी को गिरफ्तार किया जा चुका है। जबकि दोनों शूटरों पर 25-25 हजार का इनाम घोषित कर दिया गया है।
"पत्रकारों में उबाल: प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन, मुआवजे की मांग"
इस जघन्य हत्या के बाद उत्तर प्रदेश समेत देशभर के पत्रकारों में रोष फूट पड़ा। कई जिलों में काली पट्टियां बांधकर प्रदर्शन किए गए, कैंडल मार्च निकाले गए और पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग उठी। साथ ही, पीड़ित परिवार को सरकारी मुआवजा देने की अपील की गई।
"राघवेंद्र वाजपेई कौन थे? क्यों बन गए भ्रष्टाचारियों की आंखों का कांटा?"
राघवेंद्र बाजपेई एक निर्भीक और खोजी पत्रकार थे, जिन्होंने धान खरीद और ज़मीन घोटाले जैसे बड़े मामलों पर रिपोर्टिंग की थी। लेकिन किसी को नहीं पता था कि एक दिन उनका सामना मंदिर के पुजारी के ऐसे राज़ से होगा, जो उनकी जान का कारण बन जाएगा।
"CCTV से खुला राज़, 250 कैमरों की निगरानी में मिले कातिलों के सुराग!"
पुलिस ने 250 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, एक हजार से ज्यादा नंबरों की कॉल डिटेल खंगाली और सैकड़ों संदिग्धों से पूछताछ की। धीरे-धीरे तस्वीर साफ होती गई और हत्या की स्क्रिप्ट का एक-एक कर किरदार सामने आने लगा।
"अब भी फरार हैं दोनों शूटर, क्या बाबा की गुफाओं में छिपे हैं कातिल?"
जहां तीन आरोपी पुलिस की पकड़ में हैं, वहीं दोनों शूटर अब भी फरार हैं। माना जा रहा है कि ये शूटर अब किसी बाबा के शरण में या बाहर के जिलों में छिपे हो सकते हैं। पुलिस ने इनाम घोषित कर रखा है और जल्द गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन तेज़ कर दिया गया है।
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