कानपुर के थाने में भजन-कीर्तन और ढोल-मंजीरा: भाजपाइयों का हाई वोल्टेज हंगामा, थानेदार बोले– “अब प्रभु ही मालिक हैं!”


कानपुर के फजलगंज थाने में साउंड सिस्टम जब्ती के खिलाफ बीजेपी कार्यकर्ताओं का ढोल-मंजीरा संग विरोध, थाने में भजन-कीर्तन।


आस्था और प्रशासन की टकराहट: कानपुर के फजलगंज थाने में अनोखा प्रदर्शन
कानपुर में एक बार फिर नवरात्र के धार्मिक माहौल के बीच पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिला है। इस बार विवाद का कारण बना है एक साउंड सिस्टम, जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया। मगर इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब भाजपा कार्यकर्ता सीधे थाने पहुंच गए और ढोल-मंजीरा लेकर भजन-कीर्तन शुरू कर दिया।

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में फजलगंज थाना अचानक भक्ति रस में डूब गया, मगर ये भक्ति स्वेच्छा से नहीं, विरोध के रूप में आई थी। बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने थाने को ही राम दरबार बना डाला, और ढोल-मंजीरे की थाप पर सरकार व प्रशासन के खिलाफ सुर छेड़ दिए।

साउंड सिस्टम जब्ती बना विवाद का बीज
पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब नवरात्र के दौरान निकाली गई ‘जवारे यात्रा’ के साथ जा रही एक लोडर गाड़ी में लगे साउंड सिस्टम को पुलिस ने जब्त कर लिया। स्थानीय भाजपा नेताओं का कहना है कि यात्रा के दौरान तो कोई रोक-टोक नहीं हुई, लेकिन जब कार्यक्रम समाप्त होने के बाद साउंड सिस्टम वापस लौट रहा था, तभी उसे रोककर थाने में बंद कर दिया गया।

भाजपाईयों की भक्ति से गूंज उठा थाना परिसर
बीजेपी के पूर्व मंडल अध्यक्ष अरविंद सिंह अपने समर्थकों के साथ फजलगंज थाने पहुंचे। किसी आम प्रदर्शन की तरह नारेबाज़ी नहीं, बल्कि उन्होंने ढोल-मंजीरे और भजन कीर्तन का रास्ता अपनाया। "राम जी चले डोली सजाके..." जैसे भजन गूंजे, तो थाने में तैनात पुलिसकर्मी भी हक्के-बक्के रह गए।

अरविंद सिंह बोले – सरकार को बदनाम करने की साजिश
अरविंद सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह कार्रवाई जानबूझकर की गई है, ताकि हिंदू आस्थाओं को ठेस पहुंचे और राज्य सरकार को बदनाम किया जा सके। उनका आरोप है कि पुलिस की यह सख्ती सिर्फ एक पक्षीय है और इसका मकसद धार्मिक आयोजन को बाधित करना है।

‘लोडर छोड़ने’ के वादे से मुकरा प्रशासन?
भाजपा नेताओं का कहना है कि शनिवार को ही पुलिस अधिकारियों से इस मुद्दे पर बातचीत की गई थी, जिसमें लोडर को छोड़ने का आश्वासन मिला था। लेकिन जब सोमवार तक भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो मजबूर होकर कार्यकर्ताओं को थाने में प्रदर्शन करना पड़ा।

पुलिस का पक्ष – लोडर सीज है, कोर्ट से मिलेगा छुटकारा
फजलगंज थाने के अंतर्गत आने वाले एसीपी स्वरूप नगर ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि लोडर को विधिक कारणों से सीज किया गया है और अब इसे केवल कोर्ट के आदेश से ही छोड़ा जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि इस जानकारी से पीड़ित पक्ष को अवगत करा दिया गया है।

रामनवमी विवाद के बाद अब नया मोर्चा
गौरतलब है कि कानपुर में रामनवमी के दिन भी डीजे और साउंड सिस्टम को लेकर पुलिस और हिंदू संगठनों के बीच तीखी बहस हुई थी। रावतपुर क्षेत्र में शोभायात्रा से पहले डीजे के उपकरण जब्त करने पर खासा बवाल मचा था। उस मुद्दे की आंच अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी कि नया विवाद फजलगंज थाने में सामने आ गया है।

थानाध्यक्ष की प्रतिक्रिया – “माथा पकड़ लिया!”
जब थाने के अंदर ढोल-मंजीरा और भजन कीर्तन शुरू हुआ, तो वहां तैनात थानाध्यक्ष ने दोनों हाथों से सिर पकड़ लिया और कहा – “अब प्रभु ही मालिक हैं!” अंदर माहौल किसी सत्संग पंडाल जैसा हो चला था और पुलिसकर्मी न तो रोक पाए, न ही कोई सख्ती दिखा सके।

लोकल प्रशासन की उलझन
इस तरह के विरोध प्रदर्शन ने पुलिस प्रशासन को दुविधा में डाल दिया है। एक ओर धार्मिक भावनाएं हैं, दूसरी ओर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी। ऐसे में कार्यवाही करना या न करना – दोनों ही स्थितियां संवेदनशील बन जाती हैं।

राजनीतिक रंग लेता मामला
भाजपा कार्यकर्ताओं का यह विरोध केवल साउंड सिस्टम के जब्ती तक सीमित नहीं है। इसमें स्पष्ट रूप से सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं और स्थानीय प्रशासन के बीच अविश्वास की भावना झलकती है। यही कारण है कि इस बार का प्रदर्शन ‘न्याय की मांग’ से कहीं ज़्यादा ‘राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन’ जैसा दिखा।

शहर में बढ़ रही है धार्मिक आयोजनों पर पुलिस की सख्ती?
कानपुर में बीते एक सप्ताह के भीतर तीन अलग-अलग मामलों में धार्मिक आयोजनों के दौरान साउंड सिस्टम या डीजे पर पुलिस की सख्ती देखी गई है। इससे ना सिर्फ आयोजक बल्कि आम जनता भी सवाल उठाने लगी है कि क्या प्रशासन अब धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कर रहा है?

समाप्ति नहीं, शुरुआत है यह विरोध?
बीजेपी कार्यकर्ताओं का यह अनोखा और ‘भक्ति-मय’ प्रदर्शन सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर ढोल-मंजीरे वाले इस अनूठे विरोध के वीडियो जमकर शेयर हो रहे हैं।

भविष्य में क्या होगा?
यह कहना अभी मुश्किल है कि इस विवाद का अंत कैसे होगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि पुलिस और स्थानीय हिन्दू संगठनों के बीच अविश्वास की खाई गहरी होती जा रही है। अगर समय रहते समाधान नहीं निकला, तो भविष्य में और अधिक तीखे टकराव देखने को मिल सकते हैं।

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