बेगूसराय में 40 डिग्री तापमान के बीच मंत्री ने बांटे 500 कंबल, तस्वीरें वायरल, सोशल मीडिया पर जमकर हो रही फजीहत।
बिहार के बेगूसराय जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने ना केवल स्थानीय लोगों को हैरान कर दिया, बल्कि सोशल मीडिया पर भी जमकर सुर्खियां बटोरीं। भीषण गर्मी और 40 डिग्री तापमान के बीच जब लोग छांव की तलाश में भटक रहे थे, तब राज्य के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता ने एक कार्यक्रम के दौरान 500 से अधिक लोगों को कंबल बांट दिए। यह सुनते ही हर कोई चौंक गया—गर्मी में कंबल?
मंत्री जी का कंबल प्रेम बना हंसी का कारण
यह पूरा मामला बेगूसराय जिले के मंसूरचक प्रखंड के अहियापुर पंचायत का है, जहां 6 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी (BJP) का स्थापना दिवस मनाया जा रहा था। इस मौके पर खुद बिहार सरकार के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता मौजूद थे। मंच से उन्होंने पार्टी की विचारधारा, विकास योजनाएं और संगठन की मजबूती पर भाषण दिया। लेकिन सबका ध्यान तब खिंचा जब मंच से नीचे उतरकर मंत्री जी ने लोगों के हाथों में कंबल थमा दिए।
भीषण गर्मी, सिर पर लू चल रही है, तापमान 40 डिग्री से पार है और इस बीच जब लोगों के हाथों में गरम और भारी कंबल पकड़े गए, तो सबका माथा ठनक गया। तस्वीरें और वीडियो जब सोशल मीडिया पर पहुंचीं, तो इस "समझदारी" पर लोगों ने खूब चुटकी ली।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी "गर्मी में कंबल" की घटना
जैसे ही यह खबर और तस्वीरें ऑनलाइन आईं, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर मीम्स की बाढ़ आ गई। कुछ ने लिखा, "अब सर्दियों में पंखा भी मिलेगा!" तो किसी ने तंज कसा, "बिहार में मौसम से नहीं, नेताओं से सावधान रहें!"। कई यूजर्स ने यह सवाल भी उठाया कि जब जरूरत गर्मी से राहत देने की थी, तो कंबल किस लिए बांटे गए?
बीजेपी स्थापना दिवस बना चर्चा का केंद्र
कार्यक्रम की शुरुआत बीजेपी के स्थापना दिवस के उत्सव के साथ हुई थी। इसमें स्थानीय कार्यकर्ता, मंडल अध्यक्ष, महामंत्री, सरपंच और दर्जनों आम नागरिक उपस्थित थे। मंत्री सुरेंद्र मेहता ने अपने संबोधन में बीजेपी के योगदानों का बखान किया और जनता से जुड़ने की अपील की। लेकिन जिस बात ने इस पूरे आयोजन को सुर्खियों में ला दिया, वह था "कंबल वितरण"।
गर्मी में कंबल बांटना, प्लानिंग या गलती?
इस पूरे घटनाक्रम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह केवल प्लानिंग की चूक थी या फिर "सीज़न" से बेखबर प्रशासनिक रवैये की झलक? आमतौर पर सर्दी के मौसम में इस तरह की पहल होती है, लेकिन अप्रैल की इस चिलचिलाती दोपहर में कंबल बांटना हर किसी को चौंकाने वाला लगा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर इस कार्यक्रम में गमछा, छाता या पानी बोतल जैसी गर्मी से राहत देने वाली चीजें बांटी जातीं, तो ज्यादा उपयोगी होता। लेकिन कंबल मिलने से वे खुद भी असहज हो गए और सोचने लगे कि इसका क्या करें?
मंत्री जी की चुप्पी और प्रशासन की चुपचाप वापसी
जब मीडियाकर्मियों ने इस विषय पर मंत्री जी से सवाल करने की कोशिश की, तो उन्होंने इसे “पूर्व निर्धारित कार्यक्रम का हिस्सा” कहकर टाल दिया। इस प्रतिक्रिया से लोगों का गुस्सा और ज्यादा भड़क गया। वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों ने भी चुप्पी साध ली और कोई स्पष्ट सफाई नहीं दी गई कि आखिर इतनी गर्मी में यह फैसला क्यों लिया गया।
तापमान की मार झेल रहे हैं बिहारवासी
इस समय बिहार के अधिकतर जिलों में तापमान 38 से 42 डिग्री के बीच बना हुआ है। खासकर बेगूसराय में पिछले कुछ दिनों से पारा 41 डिग्री तक पहुंच चुका है। स्कूलों में बच्चों को लू से बचाव के निर्देश दिए जा रहे हैं। ऐसे में इस तरह की गैरमौसमी योजनाएं सरकार की प्राथमिकता और ग्राउंड कनेक्शन पर सवाल खड़े करती हैं।
विपक्ष का हमला—“समझदारी की कंबल रजाई”
राजनीतिक गलियारों में भी इस खबर ने हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा, "ये है बिहार का विकास मॉडल—गर्मी में कंबल और बारिश में धूपघड़ी!" राजद और कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने इस कदम को “बिना सोच-विचार का पब्लिसिटी स्टंट” करार दिया और कहा कि यह जनता की समस्याओं के साथ मज़ाक है।
जनता का क्या कहना है?
स्थानीय लोगों का कहना है कि गर्मी में कंबल वितरण पूरी तरह से अव्यवस्थित सोच का परिणाम है। लोगों को अगर सच में कुछ देना था, तो पंखे, टेंट, छाता या ORS जैसी चीजें ज्यादा जरूरी थीं। अब इन कंबलों को लोग संभालकर नहीं रख पा रहे और कुछ ने तो पहले ही दिन इन्हें बेचने का रास्ता ढूंढ लिया।
इस घटना ने यह दिखा दिया कि योजनाएं अगर जमीन से जुड़ी न हों तो वह उपहास का विषय बन जाती हैं। भले ही मंशा अच्छी हो, लेकिन यदि समय और परिस्थिति के अनुसार योजना न बने, तो वह व्यर्थ हो जाती है। बिहार सरकार को अब ज़रूरत है कि वह लोकल मौसम, ज़रूरत और परिस्थिति के अनुसार ही योजनाएं बनाए, ताकि जनता को वास्तव में राहत मिल सके, न कि सोशल मीडिया पर हंसी।
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