UP: सस्पेंड इंस्पेक्टर बना चायवाला! झांसी के प्रमुख चौराहे पर खोली दुकान, बोले- ‘न्याय नहीं मिला तो अब यही सही’


झांसी में सस्पेंड इंस्पेक्टर मोहित यादव ने परिवार के पालन-पोषण के लिए फुटपाथ पर चाय की दुकान खोली. बोले- जब तक बहाली नहीं होगी, यही काम करूंगा.


झांसी के सस्पेंड इंस्पेक्टर की नई जंग – अब चौराहे पर बेच रहे चाय

उत्तर प्रदेश के झांसी में एक सस्पेंड इंस्पेक्टर इस समय सुर्खियों में हैं. कभी वर्दी पहनकर कानून की रक्षा करने वाले मोहित यादव अब झांसी के इलाइट चौराहे पर चाय बेचते नजर आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि जब तक उनकी बहाली नहीं होती, तब तक वे इसी दुकान से परिवार का पेट पालेंगे.

दरअसल, 15 जनवरी को पुलिस लाइन में तैनात इंस्पेक्टर मोहित यादव और प्रतिसार निरीक्षक (आरआई) सुभाष सिंह के बीच विवाद हो गया था. यह विवाद इतना बढ़ा कि पुलिस विभाग ने मोहित यादव को सस्पेंड कर दिया. इंस्पेक्टर ने इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन जब कहीं से न्याय नहीं मिला, तो उन्होंने चाय की दुकान खोलने का फैसला किया.

अब झांसी के प्रमुख इलाइट चौराहे के फुटपाथ पर उनका ठेला लग चुका है. सुबह-शाम लोग उनकी चाय पीने पहुंच रहे हैं. वहीं, सोशल मीडिया पर भी यह मामला छाया हुआ है. मोहित यादव का चाय बेचते हुए वीडियो वायरल हो चुका है, जिसमें वह अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बता रहे हैं.


परिवार चलाने के लिए उठाया यह कदम

सस्पेंड इंस्पेक्टर मोहित यादव ने कहा,
"मुझे किसी से कोई उम्मीद नहीं है. जब तक बहाली नहीं होगी, मुझे अपने परिवार का पेट पालना है. मैंने चाय की दुकान खोलने का फैसला किया है."

उन्होंने पुलिस विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि "मेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा गया है. मेरी पत्नी और मेरा फोन टेप किया जा रहा है. मुझे न्याय नहीं मिल रहा."

मोहित यादव का दावा है कि उन पर लगे सभी आरोप झूठे हैं और उन्हें विभाग ने साजिश के तहत सस्पेंड किया है. अब वह न्याय के इंतजार में चाय बेच रहे हैं.


चाय की दुकान बनी चर्चा का विषय

इलाइट चौराहे पर लगने वाली यह चाय की दुकान अब झांसी के लोगों के लिए चर्चा का विषय बन चुकी है. जो लोग पहले इंस्पेक्टर मोहित यादव को पुलिस की वर्दी में देखते थे, वे अब उन्हें चाय बेचते देख रहे हैं.

  • उनकी दुकान पर लोग सिर्फ चाय पीने नहीं, बल्कि उनके साथ सहानुभूति जताने भी आ रहे हैं.
  • कुछ लोग उनकी कहानी सुनकर समर्थन में खड़े हो गए हैं, जबकि कुछ इसे पुलिस विभाग की नाकामी बता रहे हैं.
  • सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से वायरल हो रहा है, और लोग पूछ रहे हैं कि क्या एक अधिकारी के लिए ऐसा फैसला सही था?

हालांकि, इस पूरे मामले में पुलिस विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.


क्या इंसाफ मिलेगा या चाय की दुकान ही बन जाएगी रोजी-रोटी?

मोहित यादव फिलहाल अपनी चाय की दुकान चलाने में व्यस्त हैं, लेकिन उनकी आंखों में अब भी न्याय की उम्मीद दिखती है. उनका कहना है कि अगर उन्हें न्याय मिला तो वे दोबारा अपनी ड्यूटी जॉइन करना चाहेंगे, लेकिन अगर बहाली नहीं हुई, तो वह चाय की दुकान ही चलाते रहेंगे.

यह मामला यह दिखाता है कि किस तरह एक अधिकारी को अपनी वर्दी गंवाने के बाद फुटपाथ पर दुकान लगानी पड़ी. यह सिर्फ एक निलंबन की कहानी नहीं, बल्कि एक इंस्पेक्टर की जिंदगी का वह मोड़ है, जहां वह न्याय और रोजी-रोटी के बीच संघर्ष कर रहा है.

अब देखना यह होगा कि क्या मोहित यादव को फिर से पुलिस की वर्दी पहनने का मौका मिलेगा या फिर वह हमेशा के लिए चौराहे पर चाय बेचने को मजबूर रहेंगे.

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