Prayagraj Mahakumbh Stampede: देवरिया जिले के बुजुर्ग श्रद्धालु गुलाब प्रसाद 4 दिन तक लापता रहे। जब वह घर लौटे, तो उनकी आंखों में डर और दर्द साफ झलक रहा था। उन्होंने बताया कि किस तरह भगदड़ में लाशों के बीच से निकलकर उन्होंने खुद को बचाया।
प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ के बाद 4 दिन तक लापता रहे देवरिया के बुजुर्ग, जब घर लौटे तो सुनाई आंखों देखी दास्तान—"हर तरफ लाशें, मौत का सन्नाटा"
‘भगदड़ में चारों तरफ लाशें थीं, मैं लापता हो गया था…’
प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान के दौरान हुई भगदड़ में देवरिया जिले के रुद्रपुर थाना क्षेत्र के निबही गांव के रहने वाले बुजुर्ग गुलाब प्रसाद (65) लापता हो गए थे। परिवार वाले उनकी खोजबीन में जुटे थे, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल रहा था।
4 दिन तक गायब रहने के बाद जब वह आज सुबह अपने घर लौटे, तो उन्होंने जो दर्दनाक मंजर बताया, वह रूह कंपा देने वाला था।
“मैं महाकुंभ में संगम स्नान के लिए गया था। 27 जनवरी को मैं प्रयागराज पहुंचा, लेकिन फिर अचानक भगदड़ मच गई। मेरे आसपास लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर रहे थे। मैं खुद को संभाल नहीं पाया और भीड़ के बीच में फंस गया। चारों तरफ चीख-पुकार, रोने-चिल्लाने की आवाजें, और लाशें बिछी थीं। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं।”—गुलाब प्रसाद, महाकुंभ भगदड़ पीड़ित
‘लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर रहे थे, कोई किसी की मदद नहीं कर पा रहा था’
गुलाब प्रसाद ने बताया कि पहले तो माहौल सामान्य था, लेकिन अचानक भीड़ अनियंत्रित हो गई। लोग धक्का-मुक्की करने लगे, कुछ फिसलकर गिर गए और फिर भगदड़ मच गई।
“जो लोग गिर गए, वे फिर उठ नहीं पाए। कुछ के ऊपर लोग चढ़कर निकल रहे थे। यह देखकर मेरी रूह कांप गई। मैं भी फंस गया था, लेकिन किसी तरह खुद को बचाते हुए भीड़ से बाहर निकलने की कोशिश की।”—गुलाब प्रसाद
‘खौफनाक रातें, भूख-प्यास से तड़पता रहा’
चार दिन तक गुलाब प्रसाद भटकते रहे। उनके पास मोबाइल नहीं था, इसलिए परिवार से संपर्क नहीं हो पाया। उन्होंने बताया कि पहली रात उन्होंने एक मंदिर के बाहर बिताई, जहां भगदड़ में बिछड़े कई लोग बैठे थे।
“मैं बहुत डरा हुआ था। मुझे भूख और प्यास लगी थी, लेकिन न कुछ खाने को मिला और न पीने को। कोई मदद नहीं कर रहा था, हर कोई बस अपने परिवार को खोजने में लगा था।”—गुलाब प्रसाद
‘मेरी मौत की खबर फैल चुकी थी, परिवार रो रहा था’
गुलाब प्रसाद जब घर लौटे, तो परिवारवालों को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ। उनके बेटे रामकिशोर प्रसाद ने बताया कि पूरे गांव में यह खबर फैल गई थी कि भगदड़ में पिता जी की मौत हो गई है। घर में मातम छा गया था।
“हमने मीडिया और प्रशासन से मदद मांगी। तस्वीरें वायरल कीं, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। परिवार के सभी लोग बहुत डरे हुए थे। जब पिताजी अचानक घर लौटे, तो हमें लगा कि यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।”—रामकिशोर, पुत्र
प्रशासन पर उठे सवाल: भगदड़ रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं थे?
इस घटना के बाद प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। महाकुंभ में इतनी बड़ी भगदड़ कैसे हुई? क्या सुरक्षा व्यवस्था नाकाफी थी?
प्रमुख सवाल जो प्रशासन को घेर रहे हैं:
- भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त पुलिसबल क्यों नहीं था?
- भगदड़ रोकने के लिए बैरिकेडिंग क्यों नहीं की गई?
- आपातकालीन मेडिकल सेवाएं इतनी देर से क्यों पहुंचीं?
भगदड़ की जांच के आदेश, पीड़ितों को मुआवजा देने की घोषणा
प्रयागराज प्रशासन ने इस हादसे की जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि घायलों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी घटना को लेकर रिपोर्ट तलब की है।
महाकुंभ में जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए जरूरी सुझाव
अगर आप महाकुंभ 2025 में जाने की योजना बना रहे हैं, तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें:
जिंदा लौटे गुलाब प्रसाद, लेकिन हादसे की यादें डरावनी
गुलाब प्रसाद किस्मत से बच गए, लेकिन इस हादसे की यादें उन्हें जिंदगीभर सताती रहेंगी। उन्होंने सरकार से सुरक्षा इंतजामों को और मजबूत करने की अपील की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
“भगदड़ में मैंने जो देखा, वो भूल नहीं सकता। उम्मीद है कि सरकार आगे से ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर इंतजाम करेगी।” – गुलाब प्रसाद
0 टिप्पणियाँ