कुशीनगर में CO का आत्महत्या के टिप्स देने वाला वीडियो वायरल, सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाने के दौरान बोले- 'बिजली के तार पकड़ लो।'
कुशीनगर में प्रशासन का अजीब रवैया
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के खड्डा क्षेत्र में प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम ने सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाने के लिए रामपुर गोन्हा गांव का दौरा किया। इस दौरान खड्डा के सीओ उमेश चंद भट्ट का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो में वह गांववालों को आत्महत्या करने के तरीके बताते नजर आ रहे हैं।
गांव में क्यों पहुंची प्रशासनिक टीम?
रामपुर गोन्हा गांव में रहने वाले 15 परिवारों पर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप है। प्रशासन ने इन परिवारों को बेदखली का नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के बाद SDM ऋषभ पुंडीर, CO उमेश चंद भट्ट और राजस्व विभाग की टीम अतिक्रमण हटाने के लिए गांव पहुंची।
गांववालों की दलील और महिला का दर्द
गांववालों ने अधिकारियों से कहा कि वे इस जमीन पर वर्षों से रह रहे हैं और उनकी रोजी-रोटी इसी पर निर्भर है। एक महिला ने दर्द भरे लहजे में कहा, "जब खेत ही नहीं रहेगा, तो हम जिंदा रहकर क्या करेंगे? सरकार हमें गोली मरवा दे तो बेहतर है।"
महिला की बात सुनकर CO उमेश चंद भट्ट ने गुस्से में कहा, "बहुत सी ट्रेनें जा रही हैं, बिजली के तार हैं, मरने के बहुत से तरीके हैं।" यह बयान सुनकर गांववालों में आक्रोश फैल गया।
CO के इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में CO गांववालों को आत्महत्या के सुझाव देते हुए स्पष्ट रूप से नजर आ रहे हैं। वायरल वीडियो ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
गांववाले प्रशासन से जमीन पर रहने की अनुमति देने की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि, "सरकार को हमें हटाने की जगह बसाने की योजना बनानी चाहिए।"
वहीं, प्रशासन का कहना है कि यह सरकारी जमीन है और इसे खाली करना अनिवार्य है। अधिकारियों के अनुसार, "गांववालों को पहले ही नोटिस जारी किया जा चुका था।"
नेताओं और संगठनों की प्रतिक्रिया
इस घटना पर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने भी नाराजगी जाहिर की है। विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि गरीबों को घर देने की बजाय उन्हें बेघर किया जा रहा है।
CO उमेश चंद भट्ट के बयान पर आम जनता और सोशल मीडिया यूजर्स ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। लोग इसे प्रशासनिक संवेदनहीनता का उदाहरण मान रहे हैं।
वायरल वीडियो के बाद उच्च अधिकारियों ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। CO के बयान पर कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है।
कुशीनगर की यह घटना न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि संवेदनशील मुद्दों पर भी जिम्मेदार अधिकारियों के बयान कितने गैर-जिम्मेदार हो सकते हैं। सरकार और प्रशासन को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत है।
यह घटना प्रशासन की संवेदनशीलता की कमी को उजागर करती है और यह सुनिश्चित करती है कि जिम्मेदार अधिकारी अपनी भाषा और कार्यशैली पर नियंत्रण रखें।
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