Kanpur: शुक्लागंज गंगा पुल पर मंडरा रहा खतरा, 147 साल पुराने ब्रिज में आई दरार, हमेशा के लिए होगा बंद



कानपुर: 147 साल पुराना शुक्लागंज गंगा पुल अब हमेशा के लिए ‘ताले’ में कैद हो जाएगा। दो दिन पहले ब्रिक पिलर का एक हिस्सा ढहने के बाद शुक्रवार को एक और पिलर में दरार आ गई। ऐसे में इसे खतरनाक मानकर पीडब्ल्यूडी ने पैदल पुल के लोहे के गेट तक बंद कर दिए। अब साइकिल सवार तक आवागमन नहीं कर सकेंगे। पुल बंद की सूचना भी दोनों तरफ लगा दी गई है। अंग्रेजों का बनाया यह पुल इतिहास के पन्ने में दर्ज हो जाएगा। पीडब्ल्यूडी ने मरम्मत का प्रस्ताव भी लौटा दिया है। विभाग का कहना है कि मरम्मत की कोई संभावना नहीं है इसलिए 29 लाख का मांग पत्र ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। 

सेतु निगम ने एक नए पुल का प्रस्ताव रखा है। पुल के तीन ब्रिक्स पिलर में दरार के चलते पिछले साल जून में पीडब्ल्यूडी ने ऊपरी हिस्से में आवागमन बंद कर दीवार खड़ी कर दी थी, इसके बावजूद नीचे पैदल पुल से साइकिल सवार और बाइक वाले आते-जाते रहे। दो दिन पहले पिलर का हिस्सा ढहा तो बगल के पिलर में भी शुक्रवार को दरार आ गई। आलम यह है कि पुल के नीचे लोहे के गर्डर तब गल गए हैं। ट्रश यानी लोहे की कैंची जगह-जगह जंग के कारण कहीं गल गई तो कहीं गलने लगी है। 


इंजीनियरिंग का साफ नियम है कि लोहे का मेन्टीनेंस हर साल होना चाहिए अन्यथा यह धीरे-धीरे जंग की वजह से मजबूती खोने लगता है। पुल पर 27 फुलगेज पिलर ब्रिक्स बनाए गए थे। ब्रिक्स की जिंदगी 100 साल मानी जाती है। पड़ताल में सामने आया कि पुल की रोड बनाने का काम 2013 में पीडब्ल्यूडी ने किया था इसके बाद कभी देखा तक नहीं। 

अंग्रेजों ने कानपुर को उन्नाव-लखनऊ से जोड़ने के लिए 1875 में पुल का निर्माण कराया था। निर्माण ईस्ट इंडिया के इंजीनियरों ने कराया था। इससे बनाने में सात साल चार महीने लगे थे। मैस्कर घाट पर प्लांट लगाया गया था। अंग्रेजों ने यातायात के लिए पुल का निर्माण कराया था जबकि इसी पुल के करीब ही ट्रेनों के संचालन के लिए 1910 में रेलवे ब्रिज बनवाया था। 

सेतु निगम के संयुक्त प्रबंध निदेशक राकेश सिंह के मुताबिक कैंट पुल पर बोझ कम करने के लिए ही झाड़ी बाबा से शुक्लागंज तक और पुल बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। इसमें दो पुल बनेंगे। लागत लगभग ढाई सौ करोड़ आएगी। इसके बनने से कानपुर-शुक्लागंज को जोड़ने के लिए सौ सालों के ट्रैफिक लोड को खत्म किया जा सकता है क्योंकि मौजूदा शुक्लागंज पुराने पुल की जिदंगी खत्म हो चुकी है। उसमें 20 करोड़ रुपए लगाया जाना समीचीन नहीं होगा। 

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