राष्ट्रीय परिवार दिवस पर लोगों ने क्षेत्र के बड़े संयुक्त परिवार को दी शुभकामनाएं और बधाई, परिवार में है 40 लोग

 


खेती-बाड़ी घर सब संयुक्त खाते में 

रिपोर्ट: प्रतीक जायसवाल

वाराणसी। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस पर कोरौती गांव के एक बड़े संयुक्त परिवार को लोगों ने शुभकामनाएं और बधाई दी है। एक साथ इतने लोगों को संयुक्त परिवार में रहने के कारण इस परिवार की चर्चा क्षेत्र में हमेशा रहती है। इस संयुक्त परिवार में आज भी 40 लोग एक साथ रहते हैं। 40 लोगों का यह कुनबा चौथी पीढ़ी में एक परिवार की तरह हंसी खुशी के साथ रहता है। इस भारी भरकम परिवार में आज भी निर्णय सामूहिक भागीदारी से लिया जाता है। परिवार के सभी लोग एक दूसरे का जहां सम्मान और आदर करते हैं वही विशेष अवसरों पर पूरे परिवार के लोगों खूशी खुशी अलग-अलग जिम्मेदारियों को उठाते है।घर का सारा कार्य आपसी सहमती से होता हैं। परिवार की खेती बाड़ी बाग बगीचा सब कुछ अविभाज्य है। चौथी पीढ़ी के छोटे बच्चे भी अपने परिवार पर गर्व करते हैं। हालांकि परिवार के कई लोग रोजी-रोटी और व्यवसाय के लिए मुंबई में रहते हैं। पर आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं।हर  छोटे-बड़े काम के अवसर पर परिवार के सारे लोग गांव में  एक छत के नीचे इकटट्ठे होते हैं। परिवार बड़ा होने के बावजूद आज तक एक इंच भूमि का बटवारा नहीं हुआ है। 

परिवार के पूर्व में मुखिया रहे संग्राम सिंह एक प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे और आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया था। स्वाभिमानी होने के कारण उन्होंने न तो कभी पेंशन की मांग की थी और न ही सरकारी पेंशन ली थी। परिवारी जन बताते हैं कि संग्राम सिंह अपने अपने एकमात्र पुत्र शमशेर बहादुर सिंह के साथ अपने भतीजे माया शंकर सिंह और उमा शंकर सिंह को एक बराबर का तवज्जो देते थे।इन्होंने भतीजे और बच्चों को एक साथ रहने की सीख दी थी। उसी संकल्प पर आज तक यह परिवार चल रहा है।


परिवार की मुखिया इस समय 94 वर्षीय राधा देवी है। जो इस समय मुंबई में है। वर्ष भर में तीन चार बार गांव में आती रहती है।इनकी देवरानी शांति सिंह इस समय परिवार में वरिष्ठता क्रम पर दूसरे नंबर पर हैं। इन वयोवृद्ध लोगों की आंखों चौथी पीढ़ी के बच्चों को देखने और अपनी गोद में खिलाने का सुख प्राप्त कर रही है। परिवार के ही रविंद्र सिंह बताते हैं कि मौके पर जब कभी बुआ, बहनों और बेटियों का जुटान होता है तो परिवार के लोगों की कुल संख्या 65 के ऊपर पहुंच जाती है। पत्नी, भाभी, बहने और बुआ तथा नई बहुयें मिलकर सबके लिए भोजन पानी की व्यवस्था करती है। न तो कोई बहु और बहन लोगों की इतनी संख्या से उबती है और ना ही इतने बड़े परिवार को बोझ समझती हैं।

खेती बाड़ी का काम देखने वाले देवेंद्र सिंह बताते हैं कि चाहे पंपसेट की मरम्मत हो या ट्रैक्टर ठीक कराना हो  घर के सारे कमासुत लोग लोग मदद करते रहते हैं। घर के बड़े बेटे विजेंद्र सिंह का कहना है कि लड़कियों की शादी हो या लड़को का तिलक विवाह लोग सभी स्वेच्छा से आर्थिक मदद करते हैं।

चौथी पीढ़ी में इस समय सबसे छोटे युग प्रताप हैं जो अभी 4 महीने के हैं। वे परिवार के लोगों के आंखों के तारे हैं। इतने बड़े परिवार का एक साथ रहना पारिवारिक प्रेम को दर्शा रहा है। जहां पर सभी लोग हंसते-हंसते अपने घर के सारे काम आसानी से करते रहते हैं और अपने संयुक्त परिवार पर गर्व भी करते हैं।

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