आजकल अपने मुख्यमंत्री यानी "मामाजी" फुल फॉर्म में हैं, सुबह होती है सूरज अभी पूरा उग भी नहीं पाता कि मामाजी अफसरों की मीटिंग शुरू कर देते हैं, बेचारे अफसर रात रात भर सो नहीं पा रहे हैं कि कंही ऐसा न हो कि सुबह नींद न खुल पाए और मामाजी एक ही झटके में निबटा दें। घर में जितनी भी घड़ियां है जितने भी मोबाइल हैं उन सबमें सुबह चार बजे का अलार्म लगा देते है मोबाइल अपने तकिये के नीचे रखते हैं कि पता नहीं कब मामाजी का फोन आ जाए या उनका मेसेज आ जाये l भारी हलाकान हो गये हैं पूरे प्रदेश के आराम तलाब अफसर l पहले कितने अच्छे थे मामाजी न कभी किसी को चमकाते थे न किसी को डांटते थे, मनमर्जी से काम कर रहे थे तमाम अफसर, जनता परेशां होती थी होती रहती थी उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता था लेकिन पिछले कुछ समय से मामाजी को पता नहीं क्या हो गया है, जब भी अफसर लोग एक दूसरे से मिलते है बस एक ही चर्चा करते है कि अचानक मामाजी ने ऐसा रौद्र रूप कैसे धारण कर लिया, रात को बिस्तर पर चले तो जाते है लेकिन नींद नहीं आती। किसी का भी फोन आता है तो लगता है कि मामाजी का फोन न हो मोबाईल देखकर डर लगने लगा है कि पता नहीं कब बज जाए और मामाजी मीटिंग के लिए बुला लें, जो अफसर आठ और नौ बजे सोकर उठते थे वे सुबह "ब्रह्म मुहूर्त" में नहा धोकर साफ सुथरे कपडे पहन कर बैठ जाते हैं कि पता नहीं मामाजी कब किसको बुला लें और आजकल तो एक और मुश्किल हो गयी है मामाजी के जासूस पूरे प्रदेश में घूम रहे हैं और चुपचाप भ्रष्ट अफसरों की रिपोर्ट मामाजी को सौप देते है और मामाजी सुबह सुबह किसी भी जिले के कलेक्टर को उसके जिले के उन भ्रष्ट अफसरों की लिस्ट उन्हें सौप देते है तब कलेक्टर को पता लगता है कि उनकी नाक के नीचे कितना भ्रष्टाचार हो रहा हैं अब कलेक्टर भी धर्म संकट में पड़ कर सोचता है कि वो करे भी तो क्या करे, जब मामाजी ने ही लिस्ट सौपी है तो गोल गपाड़ा भी नहीं कर सकते वरना पहले तो सब कुछ आराम से चल रहा था लेकिन मामाजी की खुफ़िया शाखा चुन चुन कर भृष्ट अफसरों की लिस्ट बना कर उनके सामने रख रही है ,अब तो अफसरों को किसी से भी बात करने में डर सा लगने लगा है कि पता नहीं कौन सी बात मुंह से निकल जाए क्या पता वो मामाजी का जासूस हो ।अब हर आदमी को वे शक की निगाह से देखने लगे हैं हर दूसरा आदमी उन्हें मामाजी की "ख़ुफ़िया शाखा" का जासूस नजर आता है मामाजी को इस बात के लिए धन्यवाद तो देना पड़ेगा कि उन्होंने अफसरों की पीठ पर जीन कस दी है अपना तो मानना है कि मामाजी अपने जासूसों को अपनी पार्टी के नेताओं के पीछे भी लगाओ ताकि पता लगे कि वे क्या गुल खिला रहे हैं।
वे बूढ़े तो दूसरे नेता क्या हैं
कमलनाथ सरकार को पलटाने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक सभा में साफ साफ़ कह दिया कि भले ही लोग मुझे जवान समझें लेकिन मैं बुढ़ापे की तरफ बढ़ रहा हूँ । अपन ने जब से उनकी ये बात सुनी है उन नेताओ के बारे में सोचने के लिए मजबूर हो गए हैं जो सचमुच बूढ़े हो गए है लेकिन अभी भी अपने आप को जवान मानते हैं बाल और मूंछ काली कर अपने आपको जवान साबित करने में लगे हुए है लेकिन सिंधिया जी ने ये कह कर सबकी हालत पतली कर दी है l वैसे महाराज ने ऐसा क्यों कह दिया ये अपनी समझ से बाहर है, अभी उनकी उम्र ही क्या है, चेहरे पर पूरी चमक और ताजगी है, बाल काले हैं, तेज चाल से चलते हैं, भाषण देते है तो पूरा जोश दिखाई देता है, बुढ़ापे का तो एक भी लक्षण नजर नहीं आता, हट्टे कट्टे जवान आदमी हैं लेकिन अपने आप को बुढ़ापे की तरफ अग्रसर होने की बात कह रहे हैं उनकी इस बात से वे तमाम नेता परेशान हो गए है जो सचमुच में बुढया गए है उनको लगने लगा है कि जब महाराज अपने आप को बूढ़ा बताने में जुट गए है तो उन्हें तो अभी तक दूसरा जन्म ले लेना चाहिए था l इधर दोनों ही दलों ने पचास और साठ का फ़ार्मूला तय करने की बात कह दी है और जब से ये खबर सामने आई है बेचारे पचास और साठ से ऊपर वाले नेता अपने आप को अभी से बेरोजगार समझने लगे हैं । अब अपना क्या होगा ये ही चिंता उन्हें खाये जा रही है और इसी चिंता में वे अपनी उम्र से भी ज्यादा बूढ़े दिखने लगे हैं लगता दोनों ही पार्टियों ने तय कर लिया है की अब इन "डुकरों" के दम पर पार्टी चलने वाली है नहीं इसलिए जवानों को सामने लाओ लेकिन यहां तो अच्छा खासा जवान नेता अपने आप को बुढ़ापे की तरफ जाने की बात करने लगा है अपनी तो महाराज से एक ही इल्तजा है कि एक बार आईने के सामने खड़े होकर अपने आप को देख लो उन्हें पता लग पायेगा कि अभी भी उनके चेहरे पर "जवानी की चमक और नूर" लबालब है।
क्या दिन आ आ गये ठोको ताली के
कहते है न वक्त किसी का नही होता, कब राजा को रंक बना दे दे और कब रंक राजा बन जाए कहना मुश्किल है, अब देखो न जिस कॉमेडी के शो में अपने सिध्दू साहेब जज की कुर्सी पर बैठकर तमाम कॉमेडियंस को" जज" किया करते थे उनमें से एक कॉमेडियन "भगवंत मान" भी थे जो सिद्धू साहेब के सामने कॉमेडी कर उनसे अच्छे नंबर पाने कीआशा करते थे ,वक्त ने ऐसा पलटी खाई कि भगवंत मान पंजाब के मुख्यमंत्री बन गए और "ठोको ताली" कहने वाले सिध्दू जी को सुप्रीम कोर्ट ने जेल भेज दिया , बहुत मिन्नतें की सिद्धू साहेब ने कि उनकी तबियत खराब है उन्हें गेंहू से एलर्जी है लेकिन कोर्ट ने कोई बात नहीं मानी और सिध्दू जी एक कैदी बतौर अपना अपना टाइम जेल के कैदियों के बीच में काट रहे है अच्छे भले बीजेपी में थे पता नहीं क्या सोचा कांग्रेस में चले गए गए और फिर ऐसी लाई लुटी कि कंही के नहीं रहे, उनके चक्कर में कांग्रेस के अच्छे अच्छे नेता कांग्रेस से विदा लेकर बीजेपी में चले गए इसलिए किसी ने कहा है कि वक्त की तासीर ही ऐसी होती है।
सुपर हिट ऑफ़ द वीक
"मैं और मेरी प्रेमिका एक समय में बड़े ही सुखी और खुशियों से भरपूर थे", श्रीमान जी ने अपने एक मित्र को बताया
"फिर क्या हुआ अब इतने मायूस क्यों दिखते हो" मित्र ने पूछा
"फिर हम दोनों ने शादी कर ली" श्रीमान जी ने बतला दिया
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