'नई बहू' के सामने 'पुरानी बहू' की 'बखत' बचती कँहा हैं



व्यंगकर्ता: चैतन्य भट्ट

आजकल अपने पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक  महाकोशल के बड़े नेता 'अजय  भैया'  यानि 'अजय विश्नोई' अपने पूरे  फॉर्म में हैं अभी तक तो अपन ने 'एंग्री यंग मैन ' के बारे में सुना था पर ये तो 'एंग्री ओल्ड मैन '  हो रहे हैं, धकापेल एक के बाद एक ट्वीट  कर अपने मामाजी यानि शिवराज सिंह और उनकी सरकार को लपेटे में लिए पड़े हैं उनकी नाराजी इस बात की है कि महाकौशल  को मंत्रीमंडल मे पर्याप्त स्थान नहीं मिला है  मात्र एक  राज्य मंत्री  के अलावा,  जबकि  ग्वालियर, चम्बल, सागर, शहडोल  से हर दूसरा और तीसरा विधायक  मंत्री बन कर ऐश कर रहा है और महाकौशल के बड़े बड़े जोधा नेता मंत्री की कुर्सी की तरफ ताकते ताकते  अपना टाइम पास कर रहे हैं अब तो उनका क्रोध इतना बढ़ गया है कि उन्होंने मामाजी  से साफ़ साफ़ कह दिया कि  जब आप किसी को प्रभारी मंत्री  नहीं बना पा रहे हो तो कम से कम खुद  ही जबलपुर और रीवां  के प्रभारी मंत्री बन  जाओ l वैसे अपने को तो ये मालूम है कि जब बाबूलाल गौर को  हटाकर  मध्यप्रदेश में किसे  मुख्यमंत्री की जागीर सौंप दी जाए इस पर दिल्ली में  विचार  मंथन चल रहा था तब अजय   भैया ने ही शिवराज सिंह के पक्ष में मुहिम चलाई  थी, जबरदस्त  लॉबिंग  की थी तब कंही जाकर मामाजी का नाम फाइनल हुआ था पर अब उन्ही मामाजी ने भैया से  मुंह  मोड़ लिया है, न पहले के  ट्वीट पर  संज्ञान ले रहे थे  और न ही अब के ट्वीट पर कोई रिएक्शन दिखा रहे हैं l अपने अजय भैया तो बड़े पुराने नेता है उनको इस बात की जानकारी तो  होगी  कि  जब घर में 'नयी बहू' आती है तो  'पुरानी  बहुओं' की बखत अपने आप कम हो जाती है  सारा घर नई बहू की  खुशामद मेँ  लग जाता है, उसके आराम, उसके  ख़ाने  पीने, नहाने धोने, सोने जागने  हर बात की  चिंता  करता है और इसमें  पुरानी  बहुओं को भी पूरा साथ अपनी सास और  ससुर का देना पड़ता हैl नई बहू भी अपनी शर्ते मनवाने    मेँ पीछे   नहीं रहती  और पूरे  घर को  मानना पड़ता है ये तो एक बहू की बात हुई पर भैया  आपकी पार्टी  मेँ तो  कई  सारी  'नई  बहुओं'   ने एंट्री मारी है  इतनी  सारी नई  बहुएं जिस घर  में आ गयी हो तो पुरानियों  को कौन पूछेगा  l अब आप लोग 'पुरानी बहुएं'  हो गयी हो चुपचाप  घर का  काम धाम  सम्भालो और नई बहुओं की सेवा  सुश्रुषा करो  पहले कहा जाता था 'ओल्ड इस गोल्ड' पर अब आप लोगों की स्थिति देख कर कहा जाता है 'ओल्ड इस फोल्ड एंड मोल्ड' यानि झुको और मुड़  जाओ l दूसरी बात महाकौशल के नेताओ में इतनी दम  रही भी कहाँ  है कि वे कोई चीज छीन कर ला सकेँ वे तो हमेशा से पिछलग्गू  बने रहे, जो दे दिया तो स्वीकार कर लिया, अब कोई नहीं दे रहा है तो  इतना  रंज काहे का, यदि  इतना  ही आक्रोश है महाकौशल की उपेक्षा का  तो इकठ्ठे  हो जाओ और बजा दो बिगुल, पर अपने को मालूम है कि  ऐसा होना इस जनम में तो क्या  सात जन्मों में भी संभव नहीं है इसलिए भैया ये 'ट्वीट वीट'  छोडो अपनी  विधायक  गिरी करते रहे और ईश्वर  पर भरोसा रखो l


आखिर मंत्री जी की पत्नी है भाई 

प्रदेश में इस बात का बड़ा हल्ला है कि प्रदेश के स्वास्थ मंत्री जी की धर्मपत्नी को तमाम सीनियर्स डाक्टरों को  पीछे छोड़ते हुए संयुक्त संचालक बना दिया गया  रातों रात  ऑर्डर  भी निकल गए और सीनियर टापते रह गएl बताया तो ये भी जा रहा है कि वे 'सेकिंड क्लास' की अफसर है  और उन्हें 'फर्स्ट क्लास'  का पद दे दिया गया, लोग बाग़ हल्ला मचा  रहे हैं कि ऐसा कैसे हो गया l इनको शायद गोस्वामी तुलसीदास  की ये  चौपाई याद  नहीं है जिसमें कहा गया है 'समरथ को नहीं दोष गुसाईं' अरे भाई वो  स्वास्थ मंत्री की धर्मपत्नी है इतना हक़ तो उनका बनता ही है  कि  वे सौ डाक्टरों को  पीछे  छोड़ते हुए संयुक्त संचालक बन जायें यदि स्वास्थ मंत्री इतना भी न कर पाए तो फिर काहे के  स्वास्थ मंत्री, फिर दूसरी बात ये भी तो समझो स्वास्थ  मंत्री जी किस गुट को 'बिलॉंग' करते  है उस गट के किसी नेता को हाथ लगाने की हिम्मत न तो मामाजी की है और न ही उनकी पार्टी की, वे जैसा चाहते है होता है और क्यों न हो जिनकी  बदौलत  बीजेपी वाले  फिर से सत्ता पर काबिज हुए हैं उनके  'अत्त' तो सहने ही पडेंगे और वो ही  बीजेपी और  मामाजी दोनों ही कर  रहे हैं अब बेचारे दूसरे सीनियर डाक्टर  इस बात का विरोध भी नहीं कर पा रहे है क्योकि पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर कौन ले जिसके  अंडर में रहना है उससे पन्गा लेना ठीक नहीं है इसलिए  चुपचाप इस अन्याय को सह रहे हैं  अपनी  तो स्वास्थ  मंत्री को एक ही सलाह हैं एक बार मेँ ही स्वास्थ विभाग का प्रमुख सचिब बना दो  धर्मपत्नी  जी को बार बार की झंझट ही ख़त्म, जब जूनियर सीनियर का मसला ही नहीं है तो फिर कुछ ही संभव है l


सुपर हिट ऑफ़ द वीक


तुम्हारी  बजाय अगर मेरी शादी किसी 'शैतान' से भी हो जाती तो भी मैं इतनी दुखी नहीं रहती जितनी  तुम्हारे साथ हूँ श्रीमती जी ने गुस्से में श्रीमान जी से कहा


पगली ! खून के रिश्तों में कभी शादी नहीं होती  श्रीमान जी ने उसे  समझाया

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