भारत-पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध 1999 में 60 दिनों तक लड़ा गया था। इस युद्ध के पीछे पाकिस्तान का पहला मकसद उस सड़क पर कब्जा करना था जो सड़क लद्दाक को कश्मीर से जोड़ती है और दूसरा मकसद था कि भारतीय सेना सियाचिन से भी पीछे हट जाए। पाकिस्तान ने अपने दोनों मकसदों में कामयाब होने के लिए उस समय के आर्मी चीफ परवेज़ मुशर्रफ के नेतृत्व में 'आपरेशन बद्र' शुरू किया। इस आपरेशन के तहत पाकिस्तान ने अपने करीब 4500 से 5000 सैनिकों को जिहादियों के भेष में कारगिल शिफ्ट कर दिया था।
कारगिल की ऊंची पहाड़ियों में पाकिस्तानी सैनिकों ने कब्जा जमाना शुरू कर दिया था और ये सैनिक अपने खाने-पीने के समान के साथ-साथ भारी मात्रा में हथियार भी ले कर पहुचे थे। पाकिस्तानी सैनिक एक लंबे युद्ध की तैयारी से आये थे, वह ये मान के करिगिल की चोटी पर बैठे थे की युद्ध लंबा चलेगा। भारतीय सेना को पाकिस्तान की इस साज़िश की भनक लग गयी और फिर भारतीय सेना ने पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए 'आपरेशन विजय' शुरू कर दिया। पाकिस्तान को मात देने के लिए भारत सरकार की तरफ़ से करीब 2 लाख सैनिकों को कारगिल भेजा गया। यह लड़ाई 2 महीने तक चली और इसका अंत 26 जुलाई 1999 में भारत की जीत के साथ हुआ और इसमे भारत के करीब 500 से ज़्यादा सैनिक शहीद हो गए।
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