रोज़गार के अवसर उपलब्ध हों तो उत्तर प्रदेश अपराध मुक्त हो

यह बड़ी विडंबना है कि देश में सबसे बड़ा प्रदेश होने क बावजूद उत्तर प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में रोजगार के अवसर बहुत कम हैं। सरकारी स्तर पर तो ऐसी कोई व्यवस्था पिछले 30 - 40 वर्षों में नहीं की गयी है जिससे राज्य के निवासियों को रोजगार उपलब्ध हो सके। नौकरियों की भी स्थिति ऐसी है कि यदि एक पद भी खाली है तो उसके लिए लगभग एक हज़ार आवेदन प्राप्त होते है। 

केंद्र सरकार की ओर से भी कोई बड़ा उद्योग इस प्रदेश में नहीं लगाया गया और न ही राज्य सरकार ने इस ओर कोई ध्यान दिया। यदि एक भी उद्योग केंद्र सरकार ने लगवाया तो उसमे भी प्रदेश की राजनीतिक व्यवस्था, दबाव और खींचतान के कारण भ्रष्टाचार को जन्म दिया गया और उन उद्योगों को चलने नहीं दिया गया, अब जब वे पूरी तरह से बंदी के कगार पे हैं तो उनकी  सुधि लेने वाला कोई नहीं है।


लखनऊ में स्थित स्कूटर इंडिया, कानपुर की Artificial Lings Manufacturing Company, Lal Imli, B.I.C के सभी संस्थान जो केंद्र सरकार द्वारा कोशित रहे हैं वो भी आज एक-एक कर या तो बंद हो चुके हैं या बंद होने की कगार पर हैं। 

प्राइवेट सेक्टर की कुछ मिलें जिनमे लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त था वो भी अनुचित राजनीतिक दबाव के कारण और मजदूर संघो की राजनीति के कारण तथा तमाम स्थानीय समस्याओं की वजह से बंद हो चुकी हैं जिससे लाखों लोगो का रोजगार समाप्त हो चुका है। कानपुर और उन्नाव के बीच मगरवारा में एक बहुत बड़ा इंडस्ट्रियल स्टेट जो लगभग 40 वर्ष पहले स्थापित किया गया था उसमे भी जो उद्योग लगाए गए वो लम्बे समय तक उत्पादन आरम्भ नहीं कर सके कारण कि उनको उनकी माँग के अनुसार सरकार द्वारा विद्युत् क्षमता उपलब्ध नहीं कराई जा सकी, अंत में उन इकाईयों को भी बंद ही करना पड़ा। यह सब भी बिजली विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण ही हुआ।

राज्य सरकार ने उद्योग बंधू नामक संस्था का भी गठन किया और राज्य में उद्योग स्थापित करने के लिए उद्योग पतियों को सलाह और सहायता उपलब्ध करने का कार्य भी इस विभाग के द्वारा आरम्भ किया गया लेकिन यहाँ भी राजनीतिक दबाव और भ्रष्टाचार ही व्याप्त रहा आज भी यह संस्था संभवतः सरकारी कागजों में तो है परन्तु जमीन पर उसका कोई कार्य नहीं दिखता। Uptron, राज्य सरकार की इकाई सीमेंट कारपोरेशन, चीनी मिलें और कताई मिले भी जो एक समय में राज्य सरकार द्वारा पूरे इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ लगायी गयी थीं और जिनमें राज्य सरकार द्वारा अरबों रुपयों का निवेश किया गया था वो सब भी अंततः राजनीतिक दबाव व भ्रष्टाचार के कारण व्यर्थ हो गया और ऐसे हालात देखते हुए बड़े उद्योग पतियों ने अपना पूरा व्यापर उन राज्यों में स्थानांतरित कर लिया जिन राज्यों में राजनैतिक दबाव व भ्रष्टाचार कम से कम था। बड़े उद्योग पतियों के नए प्रोजेक्ट्स भी उन्ही राज्यों में लगने लगे जहाँ उन्हें राजनैतिक दबाव और भ्रष्टाचार कम नज़र आया लिहाज़ा उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी और इसी के कारण उत्पन्न अपराधों की संख्या दिन पर दिन बढ़ने लगी जो आज अपनी चरम सीमा पर है। प्रदेश से युवा प्रतिभा और श्रमिकों का पलायन भी इसी कारण बढ़ता जा रहा है। 

वर्तमान समय  में उत्तर प्रदेश की जनता योगी सरकार की ओर बड़ी आशा भरी नज़रों से देख रही है उसे यह लगता है की वर्तमान सरकार अपराधों पर तो नियंत्रण कर ही लेगी साथ ही साथ युवा प्रतिभाओं के पलायन पर भी अंकुश लगाने में भी कामयाब होगी। 

इसके लिए सरकार को अपनी औद्योगिक नीति पर न केवल विचार करना होगा बल्कि उसे तेजी से लागू करने का प्रयास भी करना होगा। प्रदेश के उद्योग पतियों को और अन्य प्रदेशों के बड़े औद्योगिक घरानों को भी विश्वास दिलाना होगा कि यदि वे अपने उद्योगों की स्थापना प्रदेश में करते है तो सरकार उन्हें हर प्रकार से सुविधा और सुरक्षा मुहैया कराएगी। उद्योग पतियों और औद्योगिक घरानों को ये विश्वास दिलाने से पहले सरकार को वर्तमान राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों पर कठोर अंकुश लगा कर आपराधिक तत्वों को यथा संभव जड़ से समाप्त करना होगा। 

उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार को अपने स्तर से ही पहल करनी होगी। लाभ देने वाली सरकारी औद्योगिक इकाइयां जो अनुचित दबाव और भ्रष्टाचार के कारण बंद पड़ी हुईं हैं उन्हें अविलम्भ चालू करना और सरकारी स्तर पर नए उद्योग लगा कर उनमे रोजगार के अवसर तुरंत उपलब्ध कराना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए इसी से विकास की गति तेज होगी क्यों की आज भी जनता की अपेक्षा सरकार द्वारा स्थापित संस्थानों में ही कार्य करने की है।

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