हरिद्वार में बिजली कटौती से नाराज कांग्रेस विधायक ने खंभे पर चढ़कर अफसरों की लाइट काटी, वीडियो वायरल, केस दर्ज
हरिद्वार में बिजली कटौती ने पकड़ा सियासी तड़का
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले से सामने आई यह घटना इन दिनों पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है। झबरेड़ा विधानसभा क्षेत्र में लगातार हो रही बिजली कटौती ने स्थानीय जनता को ही नहीं बल्कि उनके जनप्रतिनिधि को भी इस कदर नाराज कर दिया कि मामला सड़कों से निकलकर सीधे बिजली के खंभों तक जा पहुंचा। कांग्रेस विधायक वीरेंद्र जाती का एक वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है, जिसमें वह खुलेआम बिजली के खंभे पर चढ़ते हुए और अधिकारियों के सरकारी आवासों की बिजली काटते नजर आ रहे हैं। इस अनोखे और विवादित प्रदर्शन ने न सिर्फ प्रशासन को हिला दिया, बल्कि सत्ता और विपक्ष के बीच नई सियासी बहस को भी जन्म दे दिया है।
रोजाना घंटों गुल रहती थी बिजली, जनता में उबाल
झबरेड़ा और आसपास के इलाकों में बीते कई दिनों से बिजली आपूर्ति को लेकर हालात बेहद खराब बताए जा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बिना किसी पूर्व सूचना के रोजाना पांच से आठ घंटे तक बिजली काट दी जाती थी। गर्मी, उमस और रोजमर्रा की जरूरतों के बीच बिजली गुल होने से आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया था। छोटे दुकानदारों से लेकर बड़े कारोबारियों तक को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था। मोबाइल चार्जिंग, पानी की सप्लाई, छोटे उद्योग, आटा चक्की, डेयरी और अन्य जरूरी सेवाएं सब कुछ बिजली पर निर्भर हैं। ऐसे में बिजली कटौती ने जनता की परेशानी को कई गुना बढ़ा दिया था।
विधायक का आरोप, विभाग ने नहीं सुनी जनता की आवाज
कांग्रेस विधायक वीरेंद्र जाती का कहना है कि उन्होंने बिजली कटौती की समस्या को लेकर लगातार विभागीय अधिकारियों से संपर्क किया था। करीब दस दिनों तक उन्होंने फोन कॉल, बैठक और मौखिक शिकायतों के जरिए बिजली आपूर्ति दुरुस्त करने की मांग की, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला। विधायक का आरोप है कि अधिकारियों ने न तो जमीनी हालात समझे और न ही जनता की परेशानी को गंभीरता से लिया। जब आम लोग घंटों अंधेरे में रहने को मजबूर थे, तब अधिकारी आराम से अपने सरकारी आवासों में बिजली का आनंद ले रहे थे।
खंभे पर चढ़ा विधायक, शुरू हुआ हाई वोल्टेज प्रदर्शन
आखिरकार नाराज विधायक ने वह कदम उठा लिया जिसने पूरे राज्य का ध्यान झबरेड़ा की ओर खींच लिया। समर्थकों के साथ विधायक रुड़की पहुंचे। उनके साथ एक सीढ़ी, बिजली काटने के औजार और मोबाइल कैमरे थे। सबसे पहले वह बोट क्लब इलाके में पहुंचे, जहां बिजली विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियर के सरकारी आवास के बाहर एक बिजली का खंभा मौजूद था। विधायक बिना किसी हिचक के खंभे पर चढ़ गए और सीधे उस लाइन को काट दिया जिससे अधिकारी के घर में बिजली सप्लाई हो रही थी। यह पूरा दृश्य कैमरे में रिकॉर्ड किया गया और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
एक के बाद एक अफसरों के घरों की कटी बिजली
पहले अधिकारी के बाद विधायक का काफिला आगे बढ़ा। अगला पड़ाव था बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर का सरकारी आवास। वहां भी वही दोहराया गया। विधायक खंभे पर चढ़े और लाइन काट दी। इसके बाद तीसरे अधिकारी, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर के घर की बिजली भी काटी गई। विधायक का कहना था कि अगर जनता को बिना बताए घंटों अंधेरे में रखा जा सकता है, तो अधिकारियों को भी कम से कम एक घंटे तक बिजली के बिना रहकर यह एहसास होना चाहिए कि आम लोग किन हालात से गुजरते हैं।
वीडियो वायरल, सोशल मीडिया पर तीखी बहस
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सामने आया, वैसे ही प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कुछ लोग विधायक के इस कदम को जनता की आवाज मानते हुए तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ इसे कानून व्यवस्था का मजाक बता रहे हैं। वीडियो में विधायक खुद यह कहते हुए नजर आते हैं कि अधिकारी एक घंटे की बिजली कटौती में परेशान हो गए, जबकि जनता रोजाना पांच से आठ घंटे बिना बिजली के रहने को मजबूर है। फेसबुक, एक्स और व्हाट्सऐप पर यह वीडियो तेजी से शेयर हुआ और देखते ही देखते यह राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया।
बिजली विभाग ने दर्ज कराई शिकायत
मामला बढ़ता देख बिजली विभाग भी हरकत में आ गया। विभाग की ओर से रुड़की सिविल लाइंस थाने में विधायक वीरेंद्र जाती के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि विधायक ने बिना किसी आधिकारिक शटडाउन के बिजली लाइन काटी, जो बेहद खतरनाक हो सकता था। इससे न सिर्फ बड़ा हादसा हो सकता था, बल्कि सरकारी संपत्ति को नुकसान और सरकारी कार्य में बाधा भी पहुंची। विभाग का कहना है कि नियमों के तहत ही बिजली कटौती की जाती है और विधायक का यह कदम पूरी तरह गैरकानूनी है।
बिना शटडाउन लाइन काटने का गंभीर आरोप
बिजली विभाग की शिकायत में यह भी कहा गया है कि बिजली लाइन काटने से पहले किसी तरह का तकनीकी शटडाउन नहीं लिया गया था। ऐसे में करंट लगने का खतरा न सिर्फ विधायक को बल्कि आसपास मौजूद लोगों को भी हो सकता था। विभाग का दावा है कि बिजली जैसी संवेदनशील सेवा से जुड़ा यह कृत्य जानलेवा साबित हो सकता था। शिकायत में इसे नियमों का उल्लंघन और सरकारी काम में सीधा दखल बताया गया है।
विधायक बोले, यह जनता की लड़ाई है
विधायक वीरेंद्र जाती ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका यह कदम पूरी तरह जनता के हित में था। उन्होंने कहा कि जब अधिकारी और विभाग जनता की आवाज नहीं सुनते, तब जनप्रतिनिधि को सड़क पर उतरना पड़ता है। विधायक का कहना है कि उन्होंने कोई निजी स्वार्थ नहीं देखा, बल्कि सिर्फ यह दिखाना चाहा कि जिन लोगों को बिजली कटौती का फैसला लेना होता है, उन्हें भी उसकी तकलीफ समझनी चाहिए। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर जनता को राहत नहीं मिली, तो उनका संघर्ष जारी रहेगा।
झबरेड़ा में कारोबारियों की परेशानी
झबरेड़ा क्षेत्र में बिजली कटौती का सबसे ज्यादा असर छोटे और मध्यम कारोबारियों पर पड़ा है। दुकानदारों का कहना है कि बिजली न होने से फ्रिज, कूलर, मशीनें और डिजिटल भुगतान सिस्टम ठप हो जाते हैं। इससे ग्राहक लौट जाते हैं और रोज की कमाई पर सीधा असर पड़ता है। कई कारोबारियों ने बताया कि बिजली कटौती के चलते उन्हें जनरेटर का सहारा लेना पड़ा, जिससे खर्च और बढ़ गया। किसानों को भी सिंचाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि ट्यूबवेल और मोटर बिजली पर ही निर्भर हैं।
आम जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर आम जनता की राय भी बंटी हुई है। कुछ लोगों का कहना है कि विधायक ने वही किया जो अधिकारियों को पहले ही करना चाहिए था। जनता की परेशानी को अनदेखा करने वाले अफसरों को इस तरह का सबक मिलना जरूरी था। वहीं कुछ लोग इसे खतरनाक और गलत तरीका मान रहे हैं। उनका कहना है कि कानून हाथ में लेना किसी भी जनप्रतिनिधि को शोभा नहीं देता, चाहे समस्या कितनी भी गंभीर क्यों न हो।
सियासत गरमाई, आरोप-प्रत्यारोप तेज
विधायक के इस कदम के बाद उत्तराखंड की राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस इसे जनता की आवाज बताते हुए सरकार और बिजली विभाग पर हमला बोल रही है। वहीं सत्ताधारी दल के नेता इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का तरीका बता रहे हैं। उनका कहना है कि अगर हर जनप्रतिनिधि इस तरह कानून तोड़ने लगे, तो व्यवस्था कैसे चलेगी। राजनीतिक बयानबाजी के बीच असली मुद्दा यानी बिजली आपूर्ति सुधार पर अभी भी सवाल बने हुए हैं।
प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती
इस घटना ने प्रशासन के सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। एक तरफ बिजली विभाग को अपनी कार्यप्रणाली और कटौती के कारणों को स्पष्ट करना होगा, तो दूसरी तरफ कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी भी प्रशासन की है। विधायक के खिलाफ दर्ज शिकायत पर क्या कार्रवाई होगी और बिजली कटौती की समस्या का स्थायी समाधान कैसे निकलेगा, इस पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
क्या बदलेगा बिजली व्यवस्था का हाल
हरिद्वार और झबरेड़ा क्षेत्र में यह सवाल अब हर किसी की जुबान पर है कि क्या इस हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद बिजली व्यवस्था में सुधार होगा या नहीं। जनता उम्मीद कर रही है कि इस घटना के बाद विभाग गंभीरता से कदम उठाएगा और बिना सूचना की लंबी बिजली कटौती पर लगाम लगेगी। वहीं यह मामला आने वाले दिनों में राजनीतिक और कानूनी मोड़ भी ले सकता है।
जनता बनाम सिस्टम की नई तस्वीर
झबरेड़ा की यह घटना सिर्फ एक विधायक के प्रदर्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस टकराव की तस्वीर है जिसमें आम जनता और सिस्टम आमने-सामने खड़े नजर आते हैं। जब संवाद टूटता है, तो विरोध के तरीके भी असामान्य हो जाते हैं। बिजली के खंभे पर चढ़ा विधायक इसी टूटे हुए संवाद का प्रतीक बन गया है, जिसने पूरे प्रदेश को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर समस्या की जड़ कहां है और समाधान कैसे निकलेगा।


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