लखनऊ में पालतू कुत्ते टोनी की बीमारी से सदमे में आईं दो सगी बहनों ने फिनायल पीकर जान दे दी, जानिए पूरी दर्दनाक घटना
लखनऊ में सामने आई रिश्तों और भावनाओं को झकझोर देने वाली घटना
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने न सिर्फ पूरे इलाके को बल्कि हर उस व्यक्ति को झकझोर कर रख दिया है, जो पालतू जानवरों को परिवार का सदस्य मानता है। पारा थाना क्षेत्र के दोदा खेड़ा जलालपुर इलाके में दो सगी बहनों ने अपने पालतू कुत्ते की बीमारी से टूटकर आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम उठा लिया। यह घटना केवल आत्महत्या की खबर नहीं है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक हालात, और इंसान व जानवर के बीच भावनात्मक रिश्ते की गहराई को भी उजागर करती है।
कौन थीं राधा और जिया, जिनकी एक साथ बुझ गई जिंदगी
इस दर्दनाक घटना में जान गंवाने वाली बड़ी बहन का नाम राधा सिंह था, जिनकी उम्र 24 वर्ष थी, जबकि छोटी बहन जिया सिंह 22 वर्ष की थीं। दोनों बहनें पढ़ी-लिखी थीं और ग्रेजुएट थीं। परिवार के मुताबिक दोनों बहनें बेहद शांत स्वभाव की थीं और घर-परिवार तक ही सीमित जीवन जीती थीं। उनका अधिकांश समय अपने पालतू कुत्ते टोनी के साथ ही गुजरता था, जिसे वे सिर्फ जानवर नहीं बल्कि परिवार का सदस्य मानती थीं।
पालतू कुत्ता ‘टोनी’ और बहनों का अटूट रिश्ता
राधा और जिया के जीवन का सबसे अहम हिस्सा उनका जर्मन शेफर्ड नस्ल का पालतू कुत्ता ‘टोनी’ था। टोनी पिछले करीब एक महीने से गंभीर बीमारी से जूझ रहा था। परिवार ने उसके इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ी। पशु चिकित्सकों को दिखाया गया, दवाइयां चलती रहीं, लेकिन उसकी हालत में कोई खास सुधार नहीं हो रहा था। टोनी की बिगड़ती हालत दोनों बहनों के लिए मानसिक रूप से असहनीय होती जा रही थी।
खाना-पीना छोड़ देती थीं बहनें, जब टोनी कुछ नहीं खाता
पड़ोसियों के मुताबिक टोनी की बीमारी के बाद दोनों बहनों की दिनचर्या पूरी तरह बदल गई थी। अगर टोनी खाना नहीं खाता था, तो राधा और जिया भी खाना नहीं खाती थीं। वे घंटों उसके पास बैठी रहती थीं, उसकी सांसों पर नजर रखती थीं और हर छोटी हरकत पर घबरा जाती थीं। यह लगाव धीरे-धीरे चिंता और फिर गहरे डिप्रेशन में बदलता चला गया।
पहले से मानसिक परेशानी से जूझ रही थी छोटी बहन
परिवार के अनुसार छोटी बहन जिया की मानसिक स्थिति पहले से ही पूरी तरह ठीक नहीं थी। उसका इलाज चल रहा था और वह नियमित दवाइयां भी ले रही थी। टोनी की बीमारी ने उसकी हालत को और बिगाड़ दिया। राधा भी अपनी छोटी बहन और कुत्ते दोनों की चिंता में खुद को संभाल नहीं पा रही थी। घर का माहौल लगातार तनावपूर्ण बना हुआ था।
वह मनहूस बुधवार, जब सब कुछ खत्म हो गया
घटना वाले दिन बुधवार सुबह करीब 11 बजे घर में सामान्य दिनचर्या चल रही थी। मां गुलाब देवी ने दोनों बेटियों को पास की दुकान से कुछ सामान लाने के लिए भेजा था। दोनों बहनें घर से बाहर गईं और थोड़ी देर बाद जब लौटीं तो उनकी हालत सामान्य नहीं थी। वे कराह रही थीं और दर्द से तड़प रही थीं। मां ने जब घबराकर पूछा तो दोनों ने बताया कि उन्होंने फिनायल पी लिया है।
मां की चीख-पुकार और बेटे को फोन
बेटियों की हालत देखकर मां गुलाब देवी के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने तुरंत अपने बड़े बेटे वीर सिंह को फोन किया और घर बुलाया। वीर सिंह आनन-फानन में घर पहुंचा। तब तक दोनों बहनों की हालत और बिगड़ चुकी थी। बिना समय गंवाए उन्हें नजदीकी रानी लक्ष्मी बाई अस्पताल ले जाया गया।
अस्पताल पहुंचते ही बड़ी बहन ने तोड़ा दम
अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने बड़ी बहन राधा सिंह को मृत घोषित कर दिया। छोटी बहन जिया की हालत नाजुक थी, इसलिए उसे तुरंत हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। परिवार को उम्मीद थी कि शायद जिया बच जाए, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। इलाज के दौरान जिया ने भी दम तोड़ दिया।
एक ही दिन में उजड़ गया पूरा परिवार
दोनों बेटियों की मौत की खबर से पूरा परिवार टूट गया। मां गुलाब देवी बेसुध हो गईं। पिता कैलाश सिंह पहले से ही बीमार हैं और बिस्तर पर हैं। उन्हें जब यह खबर दी गई तो उनकी हालत और बिगड़ गई। परिवार पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो।
पहले भी झेल चुका है परिवार बड़ा सदमा
यह परिवार पहले से ही दुखों से घिरा हुआ था। करीब सात साल पहले परिवार के छोटे बेटे की ब्रेन हेमरेज से मौत हो चुकी थी। उस सदमे से परिवार पूरी तरह उबर भी नहीं पाया था कि अब दो जवान बेटियों की एक साथ मौत ने सब कुछ खत्म कर दिया। पिता कैलाश सिंह रुई धुनाई का काम करते थे, लेकिन पिछले छह महीने से वे खुद बीमार चल रहे हैं और काम करने की स्थिति में नहीं हैं।
बड़े भाई पर आ गई जिम्मेदारियों की मार
परिवार का बड़ा बेटा वीर सिंह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता है। अब अचानक उस पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई है। बहनों की मौत का सदमा वह खुद भी झेल नहीं पा रहा है। इलाके के लोग बताते हैं कि वीर सिंह पूरी तरह टूट चुका है और बार-बार यही कह रहा है कि काश समय रहते वह बहनों की हालत समझ पाता।
पड़ोसियों ने बताई अंदर की कहानी
पड़ोसी लखनलाल और अन्य लोगों ने बताया कि दोनों बहनें टोनी को अपने बच्चों की तरह मानती थीं। वे उससे बातें करती थीं, उसके साथ सोती थीं और हर वक्त उसके आसपास रहती थीं। टोनी की बीमारी ने उनके मन में एक अजीब सा डर पैदा कर दिया था कि अगर उसे कुछ हो गया तो वे यह सदमा सहन नहीं कर पाएंगी। दुर्भाग्यवश वही हुआ, जिसका डर उन्हें खाए जा रहा था।
पुलिस ने शुरू की जांच, दर्ज हुआ मामला
घटना की सूचना मिलते ही पारा थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शुरुआती जांच में मामला आत्महत्या का ही प्रतीत होता है, लेकिन हर पहलू की गंभीरता से जांच की जा रही है।
मानसिक स्वास्थ्य और पालतू जानवरों से भावनात्मक जुड़ाव
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा सवाल छोड़ जाती है। पालतू जानवरों से भावनात्मक लगाव स्वाभाविक है, लेकिन जब यह लगाव मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने लगे, तो समय पर मदद और काउंसलिंग बेहद जरूरी हो जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार लंबे समय तक चलने वाला तनाव और डिप्रेशन इंसान को ऐसे खतरनाक फैसले लेने के लिए मजबूर कर सकता है।
परिवार और समाज की भूमिका पर उठते सवाल
इस पूरे मामले में यह सवाल भी उठता है कि क्या परिवार और समाज समय रहते इन संकेतों को पहचान पाया। दोनों बहनों का व्यवहार बदल चुका था, उनका खाना-पीना छूट गया था, वे लगातार उदास रहती थीं। अगर समय रहते मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद ली जाती, तो शायद यह दो जिंदगियां बचाई जा सकती थीं।
इलाके में पसरा मातम और सन्नाटा
घटना के बाद से पूरे इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ है। हर कोई इस बात से हैरान है कि एक पालतू कुत्ते की बीमारी किसी को इस हद तक तोड़ सकती है। लोग परिवार को ढांढस बंधाने पहुंच रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि यह जख्म कभी भर नहीं पाएगा।
एक दर्दनाक सबक और अनकही चेतावनी
लखनऊ की यह घटना एक खामोश चेतावनी है कि मानसिक स्वास्थ्य को हल्के में लेना कितना खतरनाक हो सकता है। भावनाएं इंसान को जोड़ती हैं, लेकिन जब वे नियंत्रण से बाहर हो जाएं, तो जानलेवा साबित हो सकती हैं। राधा और जिया की कहानी हमेशा इस बात की याद दिलाती रहेगी कि समय पर समझदारी, संवाद और मदद कितनी जरूरी है।


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