ठेके पर UPI से पकड़े गए ‘हिट एंड रन’ के आरोपी! गंगा बैराज पर पुलिस को रौंदने वाले निकले BTech छात्र, कानपुर में सनसनी



कानपुर गंगा बैराज हिट एंड रन केस में बड़ा खुलासा, शराब ठेके के CCTV और UPI पेमेंट से पकड़े गए BTech छात्र, 3 आरोपी फरार

गंगा बैराज पर खून से सनी शाम, चेकिंग के दौरान रौंदे गए पुलिसकर्मी

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में गंगा बैराज पर हुई हिट एंड रन की वारदात ने पूरे पुलिस महकमे और शहर को झकझोर कर रख दिया था। 23 दिसंबर की शाम को जब कोहना थाना क्षेत्र में यातायात पुलिस और स्थानीय पुलिस संयुक्त रूप से चेकिंग अभियान चला रही थी, तभी उन्नाव की ओर से आ रही एक तेज रफ्तार कार ने बैरिकेडिंग तोड़ते हुए सीधे पुलिसकर्मियों को निशाना बना लिया। इस कार में सवार युवकों ने न केवल चेकिंग से बचने की कोशिश की बल्कि भागने के दौरान अटल घाट चौकी प्रभारी संजय कुमार, दारोगा पूरन सिंह और होमगार्ड हरिप्रकाश को कुचलने का प्रयास किया। इस टक्कर में दारोगा पूरन सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए और उनका बायां पैर टूट गया। मौके पर अफरा-तफरी मच गई, जबकि कार सवार युवक अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए।

घटना के बाद मचा हड़कंप, पुलिस महकमे पर उठे सवाल

घटना के तुरंत बाद पूरे कानपुर में सनसनी फैल गई। पुलिसकर्मियों को रौंदकर फरार हो जाना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा था बल्कि यह भी दिखा रहा था कि अपराधियों में कानून का डर किस हद तक कम हो चुका है। घायल पुलिसकर्मियों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया और वरिष्ठ अधिकारियों को मामले की जानकारी दी गई। शुरुआती जांच में यह साफ हो गया था कि आरोपी बेहद तेज रफ्तार में थे और संभवतः नशे की हालत में थे, जिस कारण उन्होंने चेकिंग से बचने के लिए यह खौफनाक कदम उठाया।

कार का कोई सुराग नहीं, जांच में आई बड़ी चुनौती

घटना के बाद कोहना पुलिस ने इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच शुरू की, लेकिन शुरुआती प्रयासों में उस कार का कोई स्पष्ट सुराग नहीं मिल पाया। गंगा बैराज और उसके आसपास के कैमरों में कार की नंबर प्लेट साफ नहीं दिख रही थी। तीन दिन तक पुलिस अलग-अलग एंगल से जांच करती रही, लेकिन न तो कार का पता चला और न ही आरोपियों की पहचान हो सकी। यह मामला पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा था क्योंकि इसमें सीधे पुलिसकर्मियों की जान पर हमला किया गया था।

DCP सेंट्रल के नेतृत्व में बनीं पांच टीमें

मामले की गंभीरता को देखते हुए DCP सेंट्रल श्रवण कुमार सिंह ने खुद मोर्चा संभाला। उनके नेतृत्व में पांच विशेष टीमें बनाई गईं, जिनका उद्देश्य अलग-अलग दिशाओं में जाकर सुराग जुटाना था। इन सभी टीमों का एक साझा व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया, जिसकी निगरानी खुद DCP सेंट्रल कर रहे थे। हर छोटी जानकारी, हर संभावित सुराग को तुरंत साझा किया जा रहा था ताकि जांच की रफ्तार तेज की जा सके।

शराब ठेके के CCTV ने खोला राज

जांच के दौरान पुलिस को उन्नाव के पास स्थित एक शराब ठेके से अहम सुराग मिला। ठेके पर लगे CCTV कैमरे में वही संदिग्ध कार कैद हो गई, जो घटना के समय गंगा बैराज पर देखी गई थी। फुटेज में साफ दिखाई दे रहा था कि कार से पांच युवक उतरते हैं और ठेके के अंदर जाकर शराब खरीदते हैं। कुछ देर बाद सभी युवक फिर से उसी कार में बैठकर वहां से निकल जाते हैं। यह फुटेज पुलिस के लिए गेमचेंजर साबित हुआ।

UPI पेमेंट बना गिरफ्तारी की कड़ी

सबसे चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने देखा कि शराब का भुगतान नकद में नहीं बल्कि UPI के जरिए किया गया था। डिजिटल पेमेंट की यह छोटी सी लापरवाही आरोपियों पर भारी पड़ गई। पुलिस ने ठेके से UPI ट्रांजैक्शन डिटेल्स हासिल कीं और बैंक खातों की जांच शुरू की। कुछ ही समय में इन खातों के जरिए आरोपियों की पहचान हो गई। डिजिटल इंडिया के इस दौर में तकनीक ने अपराधियों को पकड़ने में पुलिस की बड़ी मदद की।

दो आरोपी गिरफ्तार, दोनों निकले BTech छात्र

UPI पेमेंट और CCTV फुटेज के आधार पर पुलिस ने छापेमारी कर दो युवकों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में सामने आया कि दोनों आरोपी BTech के छात्र हैं और पढ़ाई के लिए शहर से बाहर रहते हैं। उनकी उम्र 20 से 22 साल के बीच बताई जा रही है। यह जानकारी सामने आते ही मामला और भी संवेदनशील हो गया क्योंकि आरोपी कोई पेशेवर अपराधी नहीं बल्कि तकनीकी शिक्षा हासिल कर रहे छात्र निकले।

परीक्षा से पहले गिरफ्तारी, करियर पर मंडराया खतरा

JCP आशुतोष कुमार के अनुसार, गिरफ्तार किए गए दोनों छात्रों की 27 दिसंबर को परीक्षा भी थी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपी छात्रों ने पूछताछ में स्वीकार किया कि घटना वाले दिन वे शराब के नशे में थे। चेकिंग देखकर वे घबरा गए और डर के कारण कार भगाने लगे, इसी दौरान पुलिसकर्मियों को टक्कर लग गई। हालांकि पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि कानून अपना काम करेगा, लेकिन चूंकि आरोपी छात्र हैं, इसलिए कार्रवाई में उनके करियर को ध्यान में रखते हुए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

कार में मौजूद थे तीन और युवक, तलाश जारी

पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि घटना के समय कार में कुल पांच युवक सवार थे। इनमें से दो को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि तीन अन्य अभी फरार हैं। पुलिस ने फरार आरोपियों की पहचान कर ली है और उनकी तलाश में लगातार दबिश दी जा रही है। माना जा रहा है कि फरार युवक भी छात्र हैं और गिरफ्तारी से बचने के लिए शहर से बाहर छिपे हो सकते हैं।

घायल पुलिसकर्मियों का हाल, विभाग में आक्रोश

इस घटना में घायल हुए दारोगा पूरन सिंह का इलाज जारी है और डॉक्टरों के अनुसार उन्हें पूरी तरह ठीक होने में समय लगेगा। अन्य दो पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई थीं, हालांकि उनकी हालत स्थिर है। पुलिस विभाग में इस घटना को लेकर आक्रोश है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि अगर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद होंगे कि वे चेकिंग के दौरान पुलिस को कुचलने से भी नहीं डरेंगे, तो यह बेहद गंभीर चिंता का विषय है।

कानून और डिजिटल सबूतों की ताकत

यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि डिजिटल सबूत आज अपराध की दुनिया में कितने अहम हो गए हैं। CCTV फुटेज और UPI ट्रांजैक्शन ने वह काम कर दिखाया, जो कई बार महीनों की मेहनत से भी नहीं हो पाता। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यदि आरोपी नकद भुगतान करते और CCTV से बच निकलते, तो शायद जांच और लंबी खिंचती।

नशा, रफ्तार और डर का घातक मेल

प्राथमिक जांच में यह बात सामने आई है कि नशा, तेज रफ्तार और कानून का डर इस पूरी घटना की जड़ में था। नशे में चूर युवकों ने एक पल में ऐसा फैसला लिया, जिसने न केवल पुलिसकर्मियों की जान खतरे में डाली बल्कि खुद उनके भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा दिया। यह घटना युवाओं के लिए एक कड़ी चेतावनी भी है कि एक गलत कदम कैसे जिंदगी की दिशा बदल सकता है।

कानपुर में सुरक्षा व्यवस्था पर फिर बहस

गंगा बैराज जैसी संवेदनशील जगह पर हुई इस घटना के बाद शहर में सुरक्षा व्यवस्था और ट्रैफिक चेकिंग को लेकर भी बहस छिड़ गई है। पुलिस का कहना है कि चेकिंग अभियान आगे भी सख्ती से जारी रहेगा और ऐसे मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

आगे की कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया

फिलहाल गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया है और पुलिस रिमांड पर लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पूरे मामले की चार्जशीट दाखिल की जाएगी। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि कार किसके नाम पर रजिस्टर्ड थी और क्या वाहन मालिक को भी मामले में आरोपी बनाया जाएगा।

एक घटना, कई सबक

कानपुर का यह हिट एंड रन मामला सिर्फ एक अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि यह डिजिटल सबूतों की ताकत, नशे के खतरों और कानून से बचने की कोशिशों का नतीजा भी है। BTech जैसे प्रोफेशनल कोर्स के छात्र अगर इस तरह की घटनाओं में शामिल पाए जाते हैं, तो यह समाज और शिक्षा व्यवस्था दोनों के लिए गंभीर सोच का विषय है। पुलिस का कहना है कि कानून सबके लिए बराबर है और दोषियों को सजा जरूर मिलेगी, चाहे वे छात्र हों या कोई और।

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