रामगोपाल हत्याकांड: दुर्गा विसर्जन पर चली गोली, कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला- सरफराज को फांसी, 9 को उम्रकैद; जानिए 14 महीने की पूरी जंग



बहराइच रामगोपाल मर्डर केस में कोर्ट ने सरफराज को फांसी और 9 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जानें घटना से फैसला तक की टाइमलाइन।


बहराइच में दुर्गा विसर्जन पर गोलीकांड, 14 महीने बाद आया बड़ा कोर्ट फैसला

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में पिछले साल दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान जो तनाव शुरू हुआ था, वही घटना अब ऐतिहासिक न्याय का मिसाल बन गई है। 13 अक्टूबर 2024 की रात, महसी थाना क्षेत्र के महराजगंज इलाके में धूमधाम से चल रहा दुर्गा प्रतिमा विसर्जन अचानक तनाव में बदल गया। डीजे पर बजते गानों को लेकर दो पक्षों में बहस शुरू हुई और देखते ही देखते पत्थरबाजी और फायरिंग शुरू हो गई। इस हंगामे में रामगोपाल मिश्रा नामक युवक को गोली लग गई और घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद बहराइच का यह इलाका दंगे की चपेट में आ गया, प्रशासन को कर्फ्यू तक लगाना पड़ा और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया।

परिवार की 14 महीने लंबी लड़ाई, कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय

रामगोपाल की हत्या के बाद उसका परिवार न्याय के लिए लगातार संघर्ष करता रहा। कोर्ट में मामला पहुंचा और 14 महीने की कड़ी कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार गुरुवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार यादव ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुख्य आरोपी सरफराज को फांसी की सजा और अन्य 9 दोषियों- अब्दुल हमीद, मोहम्मद फहीम, सैफ अली, मोहम्मद तालिब, जावेद खान, मोहम्मद जीशान, शोएब खान, ननकऊ और मारूफ को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही सभी पर भारी जुर्माना भी लगाया गया। कोर्ट के फैसले से रामगोपाल के परिवार को न्याय मिला और उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे।

कोर्ट में फैसले का माहौल, परिवार के दर्द और सुकून के पल

फैसले के दिन कोर्ट परिसर में गहमागहमी थी। रामगोपाल के पिता कैलाश नाथ मिश्रा, जो पिछले चार दिन से मेडिकल कॉलेज में भर्ती थे, जब फैसले की खबर मिली तो वे भावुक हो गए। मां मुन्नी देवी खुद को संभाल नहीं पाईं और उनकी आंखों से आंसू रुक नहीं पाए। परिवार ने कहा- “भगवान के घर देर है, अंधेर नहीं।” रामगोपाल की पत्नी रोली मिश्रा ने भी कोर्ट का आभार जताते हुए कहा कि उनकी बस एक ही मांग थी कि पति के हत्यारों को फांसी मिले। अदालत ने उनकी आवाज सुनी और आज उन्हें सुकून मिला है।

बचाव पक्ष की दलीलें और सरफराज परिवार की बेबसी

जहां पीड़ित पक्ष ने कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक राहत बताया, वहीं बचाव पक्ष का कहना था कि इस घटना को आत्मरक्षा के मामले से जोड़कर हत्या करार दिया गया, जो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि वे उच्च न्यायालय में इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। कोर्ट का फैसला सुनते ही सरफराज की बहन सदमे में आकर बेहोश हो गई, वहीं उसके परिवार के अन्य सदस्य भी फूट-फूटकर रो पड़े।

दोषियों पर सख्त सजा और जुर्माना

अदालत ने दोषियों पर अलग-अलग राशि का जुर्माना भी लगाया। सरफराज पर 1.30 लाख रुपये, मोहम्मद फहीम, सैफ अली, मारूफ अली, ननकऊ, जिशान, शोएब और फहीम पर 1.50 लाख रुपये, जावेद पर 1.20 लाख रुपये और तालिब पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। सजा के साथ-साथ इस जुर्माने ने दोषियों के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

13 महीने 26 दिन में हुआ ट्रायल, सरकारी वकील ने बताई तेज न्याय की मिसाल

सरकारी अधिवक्ता प्रमोद सिंह ने बताया कि यह केस न्यायिक व्यवस्था की तेज रफ्तार का उदाहरण है। 13 महीने 26 दिन में सुनवाई पूरी हुई और फैसला आया। 21 नवंबर 2025 को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था और 9 दिसंबर को दोषियों को सजा सुनाई गई। यह दिखाता है कि यदि प्रशासन और न्यायिक प्रक्रिया ईमानदारी से चले, तो पीड़ित परिवार को समय पर न्याय मिल सकता है।

घटना से फैसले तक की पूरी टाइमलाइन

  • 13 अक्टूबर 2024: दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान गोली चलने की घटना, मौके पर ही एफआईआर दर्ज
  • 11 जनवरी 2025: पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की
  • 18 फरवरी 2025: कोर्ट में आरोप तय किए गए
  • 4 मार्च 2025 से 26 सितंबर 2025: सबूत, गवाह और दस्तावेज पेश करने की प्रक्रिया पूरी हुई
  • 4 अक्टूबर 2025: आरोपी के बयान दर्ज
  • 21 नवंबर 2025: कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
  • 9 दिसंबर 2025: दोषियों को सजा सुनाई गई
  • 11 दिसंबर 2025: अंतिम सजा और जुर्माना सुनाया गया

प्रशासन ने बढ़ाई सुरक्षा, इलाके में तनाव न फैले इसकी तैयारी

फैसले के बाद पुलिस और प्रशासन ने एहतियातन इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है। रातभर पेट्रोलिंग और पैनी निगरानी की जा रही है ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना या भीड़ जमा न हो। पुलिस ने कहा है कि कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन के इस रुख से स्थानीय लोगों को भी राहत मिली है।

कोर्ट की नजर में यह केस क्यों खास

इस केस में न्यायिक प्रक्रिया की गति, साक्ष्यों की मजबूती, गवाहों की सुरक्षा और निष्पक्ष सुनवाई ने न केवल रामगोपाल के परिवार को इंसाफ दिलाया, बल्कि बहराइच की जनता में भी न्याय व्यवस्था के प्रति भरोसा मजबूत किया है। दुर्गा विसर्जन जैसे धार्मिक मौके पर हुई ऐसी घटना ने पूरे प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए थे। अब जब कोर्ट ने सख्त सजा सुनाई, तो यह संदेश भी गया कि अपराधियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

पीड़ित और आरोपी परिवार के अलग-अलग भाव

जहां एक तरफ पीड़ित परिवार के लिए यह राहत का पल है, वहीं आरोपी पक्ष के लिए यह दिन बेहद दर्दनाक रहा। सरफराज की बहन की बेहोशी, परिवार की चीखें कोर्ट के फैसले की गंभीरता को बयां करती हैं। इसके बावजूद पीड़ित परिवार और इलाके के लोग फैसले को एक बड़ी जीत मान रहे हैं।

सामाजिक और राजनीतिक असर

रामगोपाल हत्याकांड के बाद इलाके में कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने पीड़ित परिवार के पक्ष में आवाज उठाई थी। कई बार धरना-प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपे गए। कोर्ट के इस फैसले के बाद सामाजिक तौर पर लोगों में न्याय के प्रति उम्मीद जगी है। स्थानीय नेताओं ने भी फैसले का स्वागत किया और इसे पीड़ितों की जीत बताया।

भविष्य की चुनौतियां और हाईकोर्ट की निगरानी

बचाव पक्ष द्वारा हाईकोर्ट में अपील करने की घोषणा के बाद अब मामला उच्च न्यायालय तक जाएगा। आगे की प्रक्रिया और फैसले की मॉनिटरिंग हाईकोर्ट करेगा, जिससे कानूनी लड़ाई अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। लेकिन फिलहाल, बहराइच की जनता और रामगोपाल का परिवार न्याय मिलने से संतुष्ट है।

एक ऐतिहासिक फैसला, अपराधियों को मिली कड़ी सजा

रामगोपाल हत्याकांड ने जिस तरह पूरे क्षेत्र को झकझोरा, उसी तरह कोर्ट के फैसले ने कानून का डंडा दिखा दिया है। फांसी और उम्रकैद की सजा से यह संदेश गया है कि किसी भी समाज में हत्या और दंगे की सजा माफ नहीं हो सकती। अब बहराइच में रामगोपाल की आत्मा को सुकून और उसके परिवार को सच्चा इंसाफ मिला है।

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