लखनऊ में STF ने 50 हजार की इनामी ठग प्रियंका सिंह को पकड़ा, 2011 से अरबों की निवेश ठगी में थी मुख्य आरोपी
लखनऊ के पॉश इलाके से ठग क्वीन की गिरफ्तारी
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पॉश PGI इलाके में बुधवार को उस वक्त हड़कंप मच गया जब यूपी एसटीएफ की टीम ने एक हाई-प्रोफाइल अपार्टमेंट में दबिश देकर 50 हजार रुपए की इनामी महिला ठग प्रियंका सिंह को गिरफ्तार कर लिया. सौभाग्यम अपार्टमेंट के 12वें फ्लोर पर स्थित फ्लैट नंबर 1205 से पकड़ी गई प्रियंका पिछले कई सालों से फरार थी और ललितपुर, वाराणसी, गाजीपुर, आजमगढ़, मऊ, भदोही और लखनऊ तक फैले निवेश ठगी नेटवर्क की मास्टरमाइंड मानी जाती थी.
एसटीएफ के मुताबिक, प्रियंका सिंह साल 2011 से चल रहे जेकेवी लैंड एंड डेवलपर्स इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी की असिस्टेंट डायरेक्टर थी, जिसने ‘सुरक्षित एफडी’ के नाम पर हजारों निवेशकों से करोड़ों रुपये की ठगी की.
STF की गुप्त कार्रवाई और गिरफ्तारी की कहानी
एसटीएफ को कई महीनों से प्रियंका की लोकेशन को लेकर पुख्ता इनपुट मिल रहे थे. ललितपुर पुलिस द्वारा दी गई सूचना और सर्विलांस टीम की मदद से प्रियंका का मोबाइल ट्रेस किया गया. बुधवार सुबह करीब 9 बजे एसटीएफ टीम ने PGI इलाके के सौभाग्यम अपार्टमेंट की 12वीं मंजिल पर घेरा डाला. जब टीम ने दरवाजा खटखटाया, तो सामने से एक महिला बाहर आई जो बेहद घबराई हुई थी. यही प्रियंका सिंह थी, जिसके चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था. गिरफ्तारी के वक्त वह साधारण कपड़ों में थी, लेकिन उसकी बेचैनी बता रही थी कि अब बचने का कोई रास्ता नहीं.
गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ उसे सीधे गोमतीनगर स्थित यूनिट ऑफिस लेकर गई, जहां उससे घंटों तक पूछताछ की गई.
2011 से शुरू हुआ ठगी का साम्राज्य
पूछताछ में प्रियंका ने जो खुलासे किए, उन्होंने जांच एजेंसियों को भी चौंका दिया. उसने बताया कि साल 2011 में उसने अपने पति राजेश कुमार सिंह, दुर्गेश जायसवाल और विक्रांत त्रिपाठी के साथ मिलकर “जेकेवी लैंड एंड डेवलपर्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड” नाम की कंपनी बनाई थी. इस कंपनी का रजिस्टर्ड ऑफिस लखनऊ के हजरतगंज स्थित महात्मा गांधी मार्ग पर था, जबकि इसका ब्रांच ऑफिस ललितपुर में खोला गया था.
प्रियंका कंपनी की असिस्टेंट डायरेक्टर थी, जबकि दीपक शुक्ला और आशीष श्रीवास्तव को डायरेक्टर बनाया गया था. कंपनी का दावा था कि वह किसानों और निवेशकों के पैसों को सुरक्षित एफडी में लगाकर उन्हें 12-15% वार्षिक रिटर्न देगी.
‘सुरक्षित निवेश’ के नाम पर अरबों का घोटाला
कंपनी ने अखबारों, टीवी विज्ञापनों और रोड शो के जरिए प्रचार किया कि वह 100% गारंटी वाले निवेश स्कीम चला रही है. लोगों को यह भरोसा दिलाया गया कि उनका पैसा कंपनी की फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं में पूरी तरह सुरक्षित रहेगा और हर महीने ब्याज मिलेगा. इस ‘गोल्डन ऑफर’ के लालच में हजारों निवेशक फंस गए.
कंपनी ने निवेशकों से बैंक खाते खुलवाए, फर्जी एफडी रसीदें जारी कीं और धीरे-धीरे करोड़ों रुपये का साम्राज्य खड़ा कर लिया. कई लोगों ने अपने जीवनभर की कमाई इस कंपनी में लगा दी. कुछ ने जमीन बेची, तो कुछ ने जेवर गिरवी रखे.
निवेशकों के साथ विश्वासघात
जब रकम भारी हो गई, तब कंपनी के डायरेक्टर्स और प्रियंका सिंह ने धीरे-धीरे ऑफिस बंद करना शुरू किया. फोन स्विच ऑफ कर दिए गए, वेबसाइट हटा दी गई और लखनऊ के हजरतगंज स्थित ऑफिस पर ताला लटक गया. अचानक एक दिन कंपनी का पूरा स्टाफ लापता हो गया. निवेशक दर-दर भटकने लगे.
2019 में ललितपुर कोतवाली में पहली एफआईआर दर्ज हुई, जिसमें प्रियंका सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया. इसी केस में प्रियंका पर बाद में 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया.
निवेशकों के दर्द की कहानी
ललितपुर के निवासी रामकुमार तिवारी, जिन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए 5 लाख रुपये कंपनी में लगाए थे, आज भी ठगे जाने की पीड़ा झेल रहे हैं. उनका कहना है कि प्रियंका और उसकी टीम ने हर मीटिंग में भरोसा दिलाया था कि ‘पैसा दोगुना होगा’, लेकिन अंत में सब कुछ खत्म हो गया. इसी तरह जौनपुर के राकेश मिश्र और वाराणसी की मंजू देवी ने भी एफडी की फर्जी रसीदें दिखाकर ठगे जाने की पुष्टि की है.
18 मुकदमों में वांछित थी प्रियंका सिंह
प्रियंका सिंह के खिलाफ अब तक कुल 18 एफआईआर दर्ज हैं. ये सभी मुकदमे धोखाधड़ी, जालसाजी, और निवेश ठगी से जुड़े हैं. इनमें ललितपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, वाराणसी, मऊ और लखनऊ की पुलिस थानों में दर्ज केस शामिल हैं.
29 जून 2025 को कंपनी के डायरेक्टर आशीष श्रीवास्तव को मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार किया गया था. उसी के बाद झांसी रेंज के डीआईजी ने प्रियंका सिंह पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया.
STF का बयान और आगे की कार्रवाई
एसटीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रियंका सिंह की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं है, बल्कि यह एक बड़े नेटवर्क पर चोट है. पूछताछ के दौरान प्रियंका ने अपने पति राजेश और अन्य साथियों के ठिकानों की जानकारी दी है. टीम अब बाकी फरार आरोपियों की तलाश में जुटी है.
एसटीएफ का कहना है कि यह गिरफ्तारी आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांचों में से एक को जन्म दे सकती है, क्योंकि कंपनी ने कई फर्जी खातों के जरिए पैसे को रियल एस्टेट और सोने की खरीद में लगाया था.
ठग क्वीन की आलीशान लाइफस्टाइल
जांच में यह भी सामने आया है कि फरारी के दौरान प्रियंका ने लखनऊ, इंदौर और भोपाल में कई जगहों पर महंगे फ्लैट किराए पर लिए थे. उसने फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनवाकर अपनी पहचान बदली थी. इसके अलावा, उसने एक विदेशी बैंक खाते के जरिए लेनदेन भी किया.
एसटीएफ ने उसके कब्जे से कई बैंक पासबुक, 4 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप और 3 सिम कार्ड बरामद किए हैं. इसके अलावा, कुछ निवेश अनुबंध भी मिले हैं जिनमें निवेशकों के नाम और रकम दर्ज हैं.
कंपनी की जांच में ED और EOW की एंट्री
अब इस केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की एंट्री हो गई है. सूत्रों के मुताबिक, ED ने कंपनी के खातों की फॉरेंसिक ऑडिट शुरू कर दी है. आशंका है कि कंपनी ने अलग-अलग राज्यों के करीब 2000 निवेशकों से लगभग 250 करोड़ रुपये जुटाए थे.
ललितपुर पुलिस का कहना है कि प्रियंका और उसके साथियों ने यह रकम जमीन और गोल्ड इन्वेस्टमेंट के नाम पर अलग-अलग कंपनियों में निवेश की.
कोर्ट में पेशी और आगे की सुनवाई
गिरफ्तारी के बाद प्रियंका सिंह को लखनऊ कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे ट्रांजिट रिमांड पर ललितपुर भेजा गया. पुलिस अब उससे पूछताछ कर रही है ताकि बाकी फरार आरोपियों की लोकेशन का पता चल सके.
ललितपुर एसपी ने कहा कि प्रियंका से कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं, जो इस पूरे घोटाले की जड़ तक पहुंचने में मदद करेंगे.
जनता को चेतावनी: ‘सुरक्षित निवेश’ के नाम पर न फंसें
इस पूरे मामले के बाद प्रशासन ने निवेशकों को चेतावनी दी है कि किसी भी निजी कंपनी या व्यक्ति की ‘FD स्कीम’ में पैसा लगाने से पहले उसके लाइसेंस और SEBI पंजीकरण की जांच जरूर करें. आम लोगों से अपील की गई है कि वे ऐसी ठगी का शिकार न बनें और किसी भी संदिग्ध स्कीम की जानकारी पुलिस को दें.
प्रियंका सिंह की गिरफ्तारी ने यह साबित कर दिया है कि अपराध चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, कानून की पकड़ से बचना नामुमकिन है. ‘ठग क्वीन’ के रूप में मशहूर प्रियंका ने 14 साल तक फरारी में रहकर अपनी पहचान छिपाई, लेकिन आखिरकार यूपी एसटीएफ की टीम ने उसे पकड़ लिया. अब यह देखना बाकी है कि जांच एजेंसियां इस ठगी के साम्राज्य की जड़ तक पहुंचकर पीड़ितों को कब तक न्याय दिला पाती हैं.


0 टिप्पणियाँ
आपका विचार हमारे लिए महत्वपूर्ण है, कृपया अपनी राय नीचे लिखें।