जैसे ही हुआ श्रीकृष्ण का जन्म, टूट गई बेड़ियां! जौनपुर के बरईपार में गूंजा नंदोत्सव, भक्त झूमे-नाचे



बरईपार, जौनपुर में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्म और नंदोत्सव पर झूम उठे श्रद्धालु, कथा स्थल पर माखन-मिश्री का वितरण।

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट


नेवढ़िया में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के बरईपार क्षेत्र स्थित नेवढ़िया ग्राम सभा में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन भक्तिभाव के साथ जारी है। इस कथा कार्यक्रम का चौथा दिन भक्तों के लिए सबसे अधिक उत्साहजनक रहा, जब व्यासपीठ से भोलानाथ पांडेय महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की दिव्य कथा का भावपूर्ण वर्णन किया।

जैसे ही जन्मे श्रीकृष्ण, खुल गईं वसुदेव-देवकी की बेड़ियां

शनिवार को भाद्रपद मास की कृष्ण अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण की लीला का विस्तार से वर्णन हुआ। कथावाचक भोलानाथ पांडेय महाराज ने बताया कि श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में कैद माता देवकी और पिता वसुदेव के बीच हुआ। जैसे ही बालकृष्ण का जन्म हुआ, वैसे ही चमत्कारिक रूप से वसुदेव और देवकी की बेड़ियां खुल गईं, पहरेदार गहरी नींद में सो गए और कारागार के दरवाजे स्वतः खुल गए।

यशोदा की गोद में पहुंचे नंदलाल

कथा में आगे बताया गया कि वसुदेव जी ने शिशु कृष्ण को टोकरी में रखकर यमुना पार की और गोकुल में नंदबाबा के घर पहुंचे। वहां यशोदा माता के बगल में जन्मी कन्या को लेकर लौट आए। इस तरह लीला स्वरूप श्रीकृष्ण का लालन-पालन नंदगांव में यशोदा और नंद बाबा की गोद में हुआ। यह घटना पृथ्वी पर धर्म की पुनः स्थापना और अधर्म के विनाश का संकेत थी।

कथा स्थल पर माखन-मिश्री का हुआ वितरण

श्रीकृष्ण जन्म की लीला की खुशी में कथा स्थल को रंग-बिरंगी झालरों, पुष्पों और दीपों से सजाया गया। इस अवसर पर माखन-मिश्री का प्रसाद श्रद्धालुओं के बीच बांटा गया। भक्तों ने श्रीकृष्ण के बालरूप की झांकी देखी और राधा-कृष्ण भजनों पर झूमते, नाचते हुए नंदोत्सव का उत्सव मनाया। पूरा वातावरण “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” के जयकारों से गूंज उठा।

नंदोत्सव में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

कथा का यह पर्व भक्तों के लिए अध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत बना। श्रीकृष्ण के जन्म का वृतांत सुनते ही उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कुछ श्रद्धालु तो नंदोत्सव की मस्ती में इतने डूबे कि पारंपरिक नृत्य करते हुए पूरी रात नाचते रहे। भक्ति संगीत की धुनों पर रासलीला का दृश्य उपस्थित जनसमूह को वृंदावन की अनुभूति करा रहा था।

यजमान परिवार ने निभाई आयोजन की पूरी जिम्मेदारी

इस सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन सोबिता देवी और हीरालाल तिवारी सपरिवार के यजमानी में हो रहा है। तिवारी परिवार ने पूरे आयोजन में विशेष सेवा भावना दिखाई, जिससे भक्तों को कोई असुविधा न हो। उन्होंने श्रद्धालुओं के लिए बैठने की व्यवस्था, जलपान और भंडारे की समुचित व्यवस्था की थी।

श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति, गांव में छाया भक्ति का रंग

शनिवार को आयोजित कृष्ण जन्मोत्सव कार्यक्रम में राजेश तिवारी, बृजेश तिवारी, नन्हे लाल तिवारी, अखिलेश तिवारी समेत अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। स्थानीय ग्रामीणों के अलावा आस-पास के गांवों से भी बड़ी संख्या में भक्तों ने आकर भाग लिया। पूरा नेवढ़िया गांव भक्ति की लहरों में डूबा नजर आया।

धार्मिक आयोजनों से जाग रही सांस्कृतिक चेतना

इस कथा आयोजन से न सिर्फ लोगों में आध्यात्मिक भावनाएं जागृत हो रही हैं, बल्कि यह कार्यक्रम ग्रामीण सांस्कृतिक जीवन में नई चेतना भी भर रहा है। युवा पीढ़ी भी इस आयोजन में भागीदारी कर रही है, जिससे आने वाली पीढ़ियों को धर्म और संस्कृति से जुड़ने की प्रेरणा मिल रही है। भक्ति संगीत, शंखध्वनि, दीप सज्जा और प्रसाद वितरण जैसे आयोजनों ने ग्रामीणों को अपने सनातन मूल्यों की याद दिला दी।

श्रीकृष्ण की लीलाओं से मिल रहा मानवता का संदेश

कथावाचक भोलानाथ पांडेय महाराज ने कथा के माध्यम से यह भी बताया कि श्रीकृष्ण केवल एक देवता नहीं, बल्कि एक युग पुरुष थे, जिनका प्रत्येक कार्य धर्म की पुनर्स्थापना के लिए था। उनकी बाल लीलाएं प्रेम और भक्ति की प्रतीक हैं, वहीं कंस वध और गीता उपदेश जैसे कार्य समाज में न्याय, कर्म और सत्यमार्ग पर चलने का संदेश देते हैं। ऐसे आयोजनों के माध्यम से जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा और दिशा मिलती है।

यह आयोजन 7 दिनों तक लगातार चलेगा और अंतिम दिन भंडारा व पूजन के साथ समापन होगा। जो भक्तजन इस कार्यक्रम में अभी सम्मिलित नहीं हो पाए हैं, उनके लिए यह सुनहरा अवसर है। श्रीकृष्ण जन्म की लीला को देखने, सुनने और आत्मसात करने से जीवन में शांति, आनंद और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

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