प्रेमानंद महाराज ने आश्रम से निकलकर भक्तों को दिए दर्शन, वृंदावन में गूंजे राधा रानी के जयकारे, भक्तों में दिखी अपार खुशी
प्रेमानंद महाराज ने निकाली मिनी पदयात्रा, वृंदावन में गूंजे जयकारे
लंबे समय से बंद थी प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा
प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा पिछले कुछ समय से पूरी तरह बंद थी। वृंदावन में उनके स्वास्थ्य में गिरावट आने के बाद उनके आश्रम प्रबंधन ने यह निर्णय लिया था कि महाराज की पदयात्रा अनिश्चितकाल के लिए रोक दी जाएगी। इस निर्णय के बाद से ही भक्त निराश थे, क्योंकि महाराज की पदयात्रा उनके दैनिक जीवन का प्रमुख हिस्सा मानी जाती है।
हर सुबह जब महाराज वृंदावन की गलियों में राधे-राधे नाम का संकीर्तन करते हुए पदयात्रा निकालते थे, तो सैकड़ों भक्त उनके साथ जुड़ जाते थे। लेकिन स्वास्थ्य कारणों से यह सिलसिला रुक गया था, जिससे भक्तों में मायूसी छा गई थी।
आज की सुबह बनी भक्तों के लिए सौगात
रविवार की सुबह वृंदावन के भक्तों के लिए सौगात लेकर आई। 12 अक्टूबर की प्रातः बेला में प्रेमानंद महाराज अचानक अपने आश्रम से बाहर निकले। पहले तो लोगों को विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जैसे ही महाराज ने परिक्रमा मार्ग की ओर कदम बढ़ाए, भक्तों में उल्लास की लहर दौड़ पड़ी।
महाराज ने अपने आश्रम के चारों ओर परिक्रमा लगाई और भक्तों को दर्शन दिए। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति भावविभोर हो उठा। भक्तों ने महाराज को देखकर “राधा नाम” के जयकारे लगाए और पूरा वृंदावन भक्ति रस में डूब गया।
भक्तों की खुशी का ठिकाना नहीं
लंबे समय से महाराज के दर्शन को तरस रहे भक्त आज भावुक हो उठे। प्रेमानंद महाराज की झलक पाने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उनके आश्रम के चारों ओर उमड़ पड़ी। कई भक्त जो महीनों से आश्रम के बाहर सुबह-सुबह महाराज की पदयात्रा की प्रतीक्षा में खड़े रहते थे, आज उन्हें वह क्षण देखने को मिला जिसकी उन्हें लंबे समय से आस थी।
महाराज ने परिक्रमा मार्ग तक जाकर भक्तों को संक्षिप्त पदयात्रा का अनुभव कराया। भले ही यह पूरी पदयात्रा नहीं थी, लेकिन उनके कदमों को चलते देख भक्तों के मन में उम्मीद जगी कि जल्द ही महाराज फिर से अपनी पारंपरिक पदयात्रा प्रारंभ करेंगे।
स्वास्थ्य लाभ के बीच भक्तों से मुलाकात
जानकारी के अनुसार, प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य अब पहले से बेहतर है। डॉक्टरों की सलाह के चलते उन्हें फिलहाल सीमित समय के लिए ही दर्शन देने की अनुमति है। पिछले कुछ महीनों से महाराज केवल दो से तीन मिनट के लिए ही आश्रम के बाहर आकर भक्तों को दर्शन दे रहे थे, जिसके बाद वे पुनः विश्राम के लिए आश्रम में लौट जाते थे।
लेकिन आज का दिन अलग था। महाराज ने न केवल अपने भक्तों को दर्शन दिए बल्कि अपने आश्रम के चारों ओर घूमकर उन्हें आशिर्वाद भी दिया। इस दौरान भक्तों ने फूलों की वर्षा कर प्रेम और श्रद्धा व्यक्त की।
प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा का आध्यात्मिक महत्व
प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भक्ति और अनुशासन की प्रतीक मानी जाती है। हर दिन की शुरुआत में महाराज का पदयात्रा पर निकलना, भक्ति रस में डूबे वृंदावन की परंपरा को जीवित रखता था। भक्तों का मानना है कि महाराज की पदयात्रा से उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है और उनका दिन सकारात्मकता से भर जाता है।
वृंदावन की गलियों में “राधे राधे” की ध्वनि जब महाराज के साथ गूंजती थी, तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता था। यही कारण है कि जब उनकी पदयात्रा बंद हुई, तो भक्तों को आध्यात्मिक रूप से खालीपन महसूस हुआ।
महाराज के दर्शन से वृंदावन में उमड़ा उत्सव जैसा माहौल
आज सुबह जैसे ही प्रेमानंद महाराज अपने आश्रम के द्वार से बाहर निकले, पूरा वृंदावन जाग उठा। भक्तों ने थालियों में आरती सजाई, फूलों से स्वागत किया और राधा नाम का संकीर्तन करते हुए महाराज का अभिवादन किया। कई भक्तों ने महाराज के चरणों में प्रणाम किया तो कई दूर से folded hands के साथ भावनाओं में डूब गए।
परिक्रमा मार्ग पर उपस्थित लोगों ने बताया कि महाराज के चेहरे पर तेज और शांति का अनोखा मेल देखने को मिला। वह धीरे-धीरे चलते हुए भक्तों की ओर हाथ हिलाकर आशीर्वाद दे रहे थे।
भक्तों की उम्मीदें हुईं फिर से ताज़ा
महाराज के दर्शन के बाद भक्तों की उम्मीदें फिर से जाग उठी हैं। कई भक्तों का कहना है कि महाराज जल्द ही अपनी नियमित पदयात्रा को पुनः प्रारंभ करेंगे। उनका विश्वास है कि महाराज का स्वास्थ्य निरंतर सुधर रहा है और आने वाले दिनों में वह पूर्व की भांति भक्तों के बीच नियमित रूप से पहुंचेंगे।
वृंदावन में रहने वाले श्रद्धालु प्रेमानंद महाराज के दर्शन को जीवन का सौभाग्य मानते हैं। उनके अनुसार, महाराज की एक झलक मात्र से मन की शांति मिलती है और भक्ति भाव जागृत होता है।
भक्तों के लिए संदेश बन गया रविवार का दिन
आज का दिन वृंदावन के भक्तों के लिए सिर्फ रविवार नहीं बल्कि आध्यात्मिक आनंद का पर्व बन गया। सुबह से लेकर दोपहर तक आश्रम के बाहर भक्तों की भीड़ लगी रही। भक्तों ने महाराज की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए भजन-संकीर्तन किया।
महाराज की इस मिनी पदयात्रा ने यह साबित कर दिया कि भले ही उनका स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक न हो, लेकिन भक्ति की भावना और राधा नाम के प्रति समर्पण उनके भीतर पहले जैसा ही है।
प्रेमानंद महाराज के प्रति भक्ति का प्रवाह
वृंदावन के अलावा देशभर में प्रेमानंद महाराज के करोड़ों अनुयायी हैं। सोशल मीडिया पर जैसे ही उनके मिनी पदयात्रा के दर्शन का वीडियो और तस्वीरें वायरल हुईं, हजारों श्रद्धालुओं ने इसे साझा किया और अपनी खुशी व्यक्त की।
लोगों ने कमेंट्स में लिखा कि महाराज को देखकर आंखें नम हो गईं और हृदय भक्ति भाव से भर उठा। वृंदावन की पावन भूमि एक बार फिर राधे नाम के गूंजते स्वर से अनुप्राणित हो उठी।
आज का दिन प्रेमानंद महाराज के भक्तों के लिए अविस्मरणीय रहा। महीनों से प्रतीक्षा कर रहे श्रद्धालुओं को आखिरकार अपने प्रिय संत के दर्शन प्राप्त हुए। महाराज का आश्रम से बाहर आना और परिक्रमा मार्ग तक चलना इस बात का संकेत है कि उनका स्वास्थ्य सुधार की दिशा में है। भक्तों को अब उम्मीद है कि जल्द ही प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा पुनः प्रारंभ होगी और वृंदावन में फिर से हर सुबह “राधे राधे” के जयकारे गूंजेंगे।


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