डोंबिवली में नवरात्रि के हवन के दौरान महिला की ओढ़नी में लगी आग, दो हफ्ते तक जिंदगी से जंग के बाद अस्पताल में मौत।
श्रद्धा बनी मौत की वजह: डोंबिवली में हवन के दौरान महिला की झुलसकर मौत
महाराष्ट्र के डोंबिवली (पूर्व) के तिलकनगर क्षेत्र में नवरात्रि की अष्टमी के दिन हुए एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को गहरे शोक में डुबो दिया। धार्मिक आस्था के बीच आयोजित हवन में भाग ले रही 33 वर्षीय सरिता निरंजन ढाका की ओढ़नी में अचानक आग लग गई, जिसके चलते वह बुरी तरह झुलस गईं। करीब दो सप्ताह तक जिंदगी और मौत के बीच झूलने के बाद उन्होंने सोमवार सुबह अस्पताल में दम तोड़ दिया। यह हादसा श्रद्धा और सुरक्षा के संतुलन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
नवरात्रि की पूजा में शामिल थीं सरिता, शिव पैराडाइज बिल्डिंग में हुआ हादसा
सरिता ढाका अपने पति निरंजन इंदरलाल ढाका के साथ तिलकनगर स्थित शिव पैराडाइज बिल्डिंग में रहती थीं। नवरात्रि के पावन अवसर पर बिल्डिंग परिसर में सामूहिक हवन का आयोजन किया गया था, जिसमें कई परिवार भाग ले रहे थे। धार्मिक परंपराओं के अनुसार हवन कुंड में घी और धूप डालकर देवी दुर्गा की पूजा की जा रही थी। सरिता भी पूजा में हिस्सा ले रही थीं और उन्होंने सिर पर हल्की सूती ओढ़नी ओढ़ रखी थी।
घी डालते समय उठा अग्नि का शोला, ओढ़नी में लगी आग
घटना उस वक्त हुई जब सरिता हवन कुंड में घी डालने के लिए झुकीं। तभी हवन कुंड से अचानक आग की लपटें उठीं और उनकी ओढ़नी आग की चपेट में आ गई। चंद पलों में ही आग ओढ़नी से होते हुए पूरे शरीर में फैल गई। वहां मौजूद लोग चीख पड़े और तुरंत आग बुझाने की कोशिश की। पानी डाला गया और शरीर से ओढ़नी हटाई गई, लेकिन तब तक सरिता 60 प्रतिशत से अधिक झुलस चुकी थीं।
तत्काल अस्पताल में भर्ती, लेकिन बच नहीं पाईं
घटना के तुरंत बाद परिजनों और स्थानीय लोगों ने सरिता को डोंबिवली एमआईडीसी स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनका इलाज शुरू हुआ। डॉक्टरों की टीम ने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन जलन की गहराई और त्वचा की स्थिति गंभीर थी। लगातार 14 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
पोस्टमार्टम और पुलिस जांच शुरू, धारा 174 के तहत मामला दर्ज
सरिता की मौत की जानकारी मिलते ही तिलकनगर पुलिस मौके पर पहुंची। उन्होंने पंचनामा तैयार किया और भारतीय दंड संहिता की धारा 174 (आकस्मिक मृत्यु) के तहत मामला दर्ज कर लिया। पुलिस का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह हादसा प्रतीत हो रहा है, लेकिन अंतिम निर्णय पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही लिया जाएगा।
हवन पूजा के दौरान सुरक्षा इंतजामों पर उठे सवाल
इस घटना के बाद बिल्डिंग परिसर और आसपास के लोगों में शोक की लहर फैल गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि सामूहिक हवन के दौरान कोई अग्निशमन यंत्र, बाल्टी या प्राथमिक उपचार की व्यवस्था नहीं थी। सवाल यह भी उठ रहा है कि धार्मिक आयोजनों में भाग लेने वाले श्रद्धालु अक्सर ओढ़नी, चुनरी, रेशमी वस्त्र पहनते हैं, जो आग पकड़ने में अधिक सक्षम होते हैं। यदि पहले से अग्निशमन व्यवस्था की गई होती तो शायद यह हादसा टल सकता था।
पति निरंजन ढाका का दर्द: आंखों के सामने जली पत्नी
सरिता के पति निरंजन इंदरलाल ढाका का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि हादसे के समय वह भी हवन में मौजूद थे। लेकिन इतनी तेजी से आग फैली कि उन्हें समझने और कुछ करने का मौका ही नहीं मिला। उन्होंने यह भी कहा कि सरिता कई वर्षों से नवरात्रि पर व्रत रखती थीं और पूरे श्रद्धा से हवन में भाग लेती थीं। लेकिन इस बार पूजा ही उनकी जान ले गई।
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से मांगा जवाब
घटना के बाद स्थानीय निवासियों और समाजसेवियों ने प्रशासन से मांग की है कि धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए। आग, गैस, धूप-अगरबत्ती जैसे ज्वलनशील तत्वों के इस्तेमाल के समय फायर फाइटिंग की बुनियादी सुविधाएं और प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
नवरात्रि के उल्लास में मातम का माहौल
इस हादसे ने नवरात्रि के त्योहार को मातम में बदल दिया। जहां एक ओर लोग देवी पूजा में लीन थे, वहीं दूसरी ओर एक श्रद्धालु महिला की दर्दनाक मौत ने सभी को झकझोर दिया। सरिता की अंतिम यात्रा में भारी भीड़ उमड़ी और हर आंख नम थी।
घटनास्थल पर CCTV नहीं, जांच में मुश्किल
बिल्डिंग परिसर में लगे कैमरे कार्य नहीं कर रहे थे, जिससे घटना के सटीक कारण और समय की पुष्टि नहीं हो पा रही है। पुलिस ने बताया कि यदि कैमरे चालू होते तो घटना का वीडियो फुटेज जांच में मदद करता। फिलहाल चश्मदीदों की गवाही और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर जांच की जा रही है।
महिलाओं के वस्त्रों को लेकर भी हो जागरूकता जरूरी
धार्मिक आयोजनों में महिलाएं अक्सर हल्की सूती या नायलॉन की ओढ़नी, दुपट्टा आदि पहनती हैं। लेकिन ऐसे कपड़े अत्यधिक ज्वलनशील होते हैं। महिलाओं को यह बताया जाना चाहिए कि हवन, दीया या अगरबत्ती के पास जाने से पहले किस प्रकार के वस्त्रों से सावधानी रखनी चाहिए।
हवन के दौरान सुरक्षा के 5 मुख्य बिंदुओं पर उठे सवाल
हालांकि यह खबर व्यक्तिगत त्रासदी पर केंद्रित है, लेकिन समाज के स्तर पर इससे सबक लेने की आवश्यकता है। धार्मिक आयोजनों में अग्नि प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण, प्राथमिक चिकित्सा, अग्निशमन यंत्र, और आपातकालीन मार्गों की व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

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