झांसी में निषाद पार्टी जिलाध्यक्ष की पत्नी नीलू रायखवार की फांसी से मौत, पति संग विवाद और राजनीति में विरोध के कारण मचा हड़कंप
झांसी में सनसनी: निषाद पार्टी जिलाध्यक्ष की पत्नी नीलू रायखवार की संदिग्ध मौत से मचा हड़कंप
झांसी शहर में बुधवार को उस समय हड़कंप मच गया जब निषाद पार्टी जिलाध्यक्ष शिवकुमार रायखवार की पत्नी नीलू रायखवार अपने किराए के कमरे में फांसी के फंदे से लटकती मिलीं। पुलिस को जैसे ही सूचना मिली, कोतवाली थाना क्षेत्र की टीम मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। फिलहाल पुलिस हर एंगल से मामले की जांच में जुटी है। नीलू रायखवार की मौत ने न केवल पूरे झांसी बल्कि पूरे निषाद समाज और राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। बताया जा रहा है कि नीलू रायखवार पिछले दो वर्षों से अपने पति शिवकुमार रायखवार से अलग रह रही थीं और दोनों के बीच पारिवारिक विवाद काफी समय से चल रहा था।
दो साल से पति से चल रहा था विवाद, अकेले रह रही थीं नीलू रायखवार
जानकारी के अनुसार, नीलू रायखवार पिछले दो साल से पति शिवकुमार रायखवार से अलग रह रही थीं। दोनों के बीच वैवाहिक संबंधों में तनाव इतना बढ़ गया था कि नीलू ने किराए के कमरे में रहना शुरू कर दिया था। स्थानीय लोगों के मुताबिक, वह अकसर शांत स्वभाव की थीं और समाज सेवा से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय भाग लेती थीं। दिवाली के बाद नीलू अपने बच्चों से मिलने ससुराल गई थीं, जहां परिवार में झगड़ा हुआ और वह वहां से वापस लौट आईं। इसके अगले ही दिन यह दर्दनाक घटना घट गई।
बेटे ने सुनाई आखिरी मुलाकात की कहानी
नीलू रायखवार के बेटे बंकू ने बताया कि मां दिवाली के अगले दिन घर आई थीं। उन्होंने हमें चॉकलेट और गिफ्ट दिए थे और कहा था कि जल्दी फिर मिलने आएंगी। रात में उन्होंने फोन पर बात की और कहा था कि "जल्दी मिलेंगे बेटा"। लेकिन सुबह जब खबर मिली कि मां ने फांसी लगा ली, तो यकीन ही नहीं हुआ। बेटे के अनुसार, मां खुश थीं और उन्होंने किसी तरह का तनाव नहीं दिखाया था। परिवार का कहना है कि नीलू के कदम उठाने का कोई ठोस कारण नहीं था, जिससे यह मामला और भी संदिग्ध बनता जा रहा है।
मकान मालिक ने बताया- अंदर से बंद था कमरा, खिड़की से दिखा दर्दनाक नजारा
फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित किराए के घर में यह घटना हुई। मकान मालिक ने बताया कि सुबह जब नीलू दरवाजा नहीं खोल रहीं थीं तो उन्होंने कई बार दस्तक दी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। कुछ देर बाद खिड़की से झांका तो अंदर का नजारा देखकर होश उड़ गए। नीलू पंखे से लटकी हुई थीं और कमरे में सन्नाटा पसरा था। तुरंत पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कमरे का दरवाजा तोड़ा और शव को कब्जे में लिया।
भाई मोनू रायखवार ने उठाए सवाल – कहा, “मेरी बहन खुश थी, यह आत्महत्या नहीं हत्या है”
नीलू रायखवार के बड़े भाई मोनू रायखवार ने पुलिस जांच पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि सुनियोजित हत्या है। उन्होंने कहा कि नीलू ने दिवाली पर परिवार से हंसी-मजाक किया, बच्चों को गिफ्ट दिए, और रात में फोन पर बात की। वह बिल्कुल तनावमुक्त थीं। ऐसे में अचानक आत्महत्या की खबर चौंकाने वाली है। मोनू रायखवार ने पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है। परिवार चाहता है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर पूरी सच्चाई सामने आए ताकि दोषियों को सजा मिल सके।
राजनीति से भी जुड़ी थी नीलू रायखवार, मंत्री संजय निषाद के सामने किया था विरोध प्रदर्शन
करीब आठ महीने पहले नीलू रायखवार का नाम तब सुर्खियों में आया था जब उन्होंने झांसी में आयोजित एक पार्टी कार्यक्रम में मंत्री संजय निषाद के सामने विरोध दर्ज कराया था। उस कार्यक्रम में नीलू ने मंच पर खुलकर सवाल उठाए थे – “हमारी बात कौन सुनेगा? कार्यकर्ताओं की सुनवाई कब होगी?” मंत्री संजय निषाद ने जब उन्हें शांत कराने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि मीडिया के सामने बोलने में क्या गलत है? यह घटना झांसी की राजनीति में हाईवोल्टेज ड्रामा बन गई थी। मंत्री को मंच से ही कहना पड़ा कि “मीडिया के सामने सत्यानाश कर दिया।” यह घटना उस समय झांसी में खूब चर्चा का विषय रही थी।
होर्डिंग विवाद बना था तनाव की असली जड़
घटना के बाद सामने आया कि मंत्री के स्वागत के लिए लगाए गए होर्डिंग में नीलू रायखवार की तस्वीर बेहद छोटे आकार में लगाई गई थी। इसी बात से वह काफी नाराज हो गई थीं। पार्टी के भीतर इस बात को लेकर तनातनी हुई थी। जिलाध्यक्ष शिवकुमार रायखवार ने खुद माना था कि नीलू को कार्यक्रम की जानकारी देर से दी गई थी और उनकी फोटो को उचित स्थान नहीं मिला था। इस छोटे से मुद्दे ने पति-पत्नी के बीच दूरियां और बढ़ा दीं और धीरे-धीरे यह तनाव स्थायी रूप से अलगाव में बदल गया।
पारिवारिक विवाद और राजनीतिक दबाव के बीच फंसी नीलू
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, नीलू रायखवार के जीवन में पिछले कुछ महीनों से तनाव लगातार बढ़ता जा रहा था। पार्टी की राजनीति में सक्रिय रहने के कारण उनका सामना कई बार आलोचना और विरोध से भी हुआ। वहीं, पति से बढ़ते मतभेदों ने उनकी मानसिक स्थिति पर गहरा असर डाला। हालांकि, उनके करीबी बताते हैं कि वह हमेशा मजबूत और आत्मनिर्भर स्वभाव की थीं, जो किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानती थीं। इसीलिए परिजन आत्महत्या की बात मानने को तैयार नहीं हैं।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगा राज, पुलिस हर एंगल से कर रही जांच
पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और प्रारंभिक जांच में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस ने नीलू के परिवार और रिश्तेदारों के बयान दर्ज किए हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि नीलू ने आत्महत्या की या किसी ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया। पुलिस हर एंगल से जांच कर रही है, जिसमें पारिवारिक विवाद, राजनीतिक मतभेद और मानसिक दबाव सभी पहलू शामिल किए जा रहे हैं। कोतवाली पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी।
निषाद समाज और राजनीतिक हलकों में हलचल
नीलू रायखवार की मौत की खबर जैसे ही फैली, निषाद समाज के लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं में मातम छा गया। पार्टी के कई स्थानीय नेताओं ने उनके निधन को “पारिवारिक नहीं, राजनीतिक परिणाम” बताया। कई कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर नीलू के पुराने वीडियो शेयर किए, जिनमें वह पार्टी कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभा रही थीं। वहीं, स्थानीय महिला संगठनों ने भी पुलिस से निष्पक्ष जांच की मांग की है।
झांसी की राजनीति में नीलू रायखवार का प्रभाव
नीलू रायखवार न केवल निषाद पार्टी की महिला कार्यकर्ता थीं, बल्कि स्थानीय स्तर पर उनकी पहचान एक सशक्त वक्ता और समाजसेवी के रूप में भी थी। कई बार उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और दलित समाज के सम्मान के मुद्दे उठाए थे। वह महिलाओं की आवाज़ को मंच तक पहुंचाने में विश्वास रखती थीं। उनकी मौत ने झांसी की राजनीति में एक बड़ा खालीपन छोड़ दिया है।
निषाद पार्टी की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
इस घटना के बाद निषाद पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की चुप्पी भी चर्चा का विषय बन गई है। अब तक पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद या अन्य शीर्ष नेताओं की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि नीलू के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता और पार्टी को उनकी मौत पर स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए।
परिवार की मांग – “न्याय चाहिए, निष्पक्ष जांच हो”
नीलू के परिजनों ने साफ कहा है कि वे केवल एक ही बात चाहते हैं – सच्चाई सामने आए और दोषियों को सजा मिले। उनका कहना है कि पुलिस को किसी दबाव में नहीं आना चाहिए क्योंकि यह मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील है। परिवार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से भी अपील की है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
समाज में गूंज रहा सवाल – आत्महत्या या साजिश?
नीलू रायखवार का मामला धीरे-धीरे एक राजनीतिक रहस्य बनता जा रहा है। हर तरफ यही सवाल उठ रहा है कि क्या यह वास्तव में आत्महत्या है या किसी साजिश के तहत की गई सुनियोजित हत्या? पुलिस, पार्टी और समाज – तीनों पर दबाव है कि इस रहस्य का सच सामने लाया जाए। नीलू रायखवार का जीवन संघर्ष और आत्मसम्मान का प्रतीक था, उनकी मौत ने पूरे समाज को झकझोर दिया है।


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