जयपुर की हवा में घुला ज़हर: दिवाली के बाद AQI 324 तक पहुंचा, मानसरोवर-सितापुरा में रेड अलर्ट!


दिवाली के बाद जयपुर का AQI 324 तक पहुंचा, मानसरोवर-सितापुरा में जहरीली हवा, बुजुर्गों-बच्चों को घर में रहने की सलाह।

दिवाली के बाद जयपुर में वायु प्रदूषण का विस्फोट

राजस्थान की राजधानी जयपुर में दीपावली के बाद वायु प्रदूषण ने भयावह रूप ले लिया है। पूरे शहर की हवा जहरीली हो चुकी है, जिससे सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। मंगलवार को शहर के प्रमुख क्षेत्रों में एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 300 से पार दर्ज किया गया, जो 'रेड जोन' की श्रेणी में आता है। प्रदूषण के इस स्तर ने न केवल सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया है बल्कि स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न कर दिया है।

सबसे प्रदूषित इलाका बना मानसरोवर, AQI 324 रिकॉर्ड

जयपुर का सबसे पॉश और घनी आबादी वाला क्षेत्र माने जाने वाला मानसरोवर प्रदूषण के लिहाज से सबसे खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है। मंगलवार को यहां AQI 324 रिकॉर्ड किया गया, जो कि 'गंभीर' श्रेणी में आता है। इस स्तर की हवा में सांस लेना न सिर्फ अस्थमा और हार्ट पेशेंट्स के लिए घातक होता है, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति भी इससे प्रभावित हो सकता है।

सीतापुरा और मुरलीपुरा में भी बिगड़ी हालात

केवल मानसरोवर ही नहीं, जयपुर के औद्योगिक क्षेत्र सीतापुरा और रिहायशी मुरलीपुरा इलाके में भी वायु गुणवत्ता का स्तर बेहद खराब रहा। दोनों इलाकों में AQI करीब 290 से 300 के बीच रहा। विशेषज्ञों के अनुसार यह स्तर भी ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है और इससे आंखों में जलन, गले में खराश, इचिंग, सांस की तकलीफ और खांसी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

पटाखों के धुएं ने बढ़ाया ज़हर

हालांकि दीपावली बीत चुकी है, लेकिन पटाखों से निकला धुआं और मौसम में मौजूद ठंडक मिलकर जयपुर की हवा को और ज्यादा प्रदूषित बना रही है। हवा की गति धीमी होने से प्रदूषक तत्व जमीन के करीब बने हुए हैं, जिससे AQI में सुधार नहीं हो पा रहा है। खास बात यह है कि प्रदूषण के इन खतरनाक स्तरों के बावजूद कई इलाकों में अभी भी छिटपुट पटाखों का जलना जारी है, जिससे स्थिति और बिगड़ रही है।

प्रदूषण से स्वास्थ्य पर सीधा असर

जयपुर की जहरीली हवा ने शहरवासियों की सेहत पर सीधा असर डाला है। आंखों में जलन, गले में खराश, थकान, चक्कर आना, खांसी, त्वचा पर इचिंग और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं बढ़ गई हैं। डॉक्टरों के अनुसार ऐसे मौसम में अस्थमा, एलर्जी, हृदय और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ सकती हैं। खासकर बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग इस मौसम में सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं।

विशेषज्ञों ने दी सावधानी बरतने की सलाह

पर्यावरण विशेषज्ञों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगले दो दिन तक वायु गुणवत्ता में सुधार की संभावना बेहद कम है। ऐसे में उन्होंने नागरिकों को विशेष रूप से सतर्क रहने की सलाह दी है। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों को बेहद जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलने की सलाह दी गई है। सुबह और शाम के समय खुले में टहलने से परहेज करने और मास्क पहनने की सिफारिश की गई है।

क्या कहता है AQI 300+ का स्तर?

एक्यूआई स्तर 0 से 50 के बीच अच्छा, 51 से 100 संतोषजनक, 101 से 200 मध्यम, 201 से 300 खराब, 301 से 400 बहुत खराब और 401 से 500 गंभीर माना जाता है। जब AQI 300 से ऊपर चला जाता है तो वह गंभीर श्रेणी में आता है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक होता है, खासकर संवेदनशील समूहों के लिए। ऐसे में जयपुर में 324 तक पहुंचा AQI साफ इशारा करता है कि हालात सामान्य नहीं हैं।

विजिबिलिटी भी हुई कम, यातायात प्रभावित

प्रदूषण के कारण हवा में धुंध की चादर सी छा गई है, जिससे विजिबिलिटी पर भी असर पड़ा है। सुबह और शाम के समय कई इलाकों में धुंध इतनी अधिक रही कि वाहन चालकों को हेडलाइट जलाकर वाहन चलाने पड़े। इससे ट्रैफिक जाम की स्थिति भी बनी और दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई। प्रशासन ने भी वाहनों के अनावश्यक प्रयोग को टालने की अपील की है।

प्रशासन की तैयारी और सीमित प्रभाव

प्रदूषण नियंत्रण के लिए नगर निगम द्वारा कुछ स्थानों पर पानी का छिड़काव और एंटी-स्मॉग गन का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इन उपायों का प्रभाव सीमित होता है और केवल तात्कालिक राहत देते हैं। जब तक स्रोतों पर नियंत्रण नहीं होगा, तब तक स्थायी समाधान संभव नहीं है।

दो दिन बाद राहत की उम्मीद

मौसम विभाग की मानें तो दो दिन बाद हवा की दिशा और गति में बदलाव आ सकता है, जिससे AQI में थोड़ा सुधार देखने को मिल सकता है। हालांकि फिलहाल स्थिति गंभीर बनी हुई है और लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है। लगातार निगरानी और जागरूकता ही ऐसे हालात में सबसे बड़ी सुरक्षा है।

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