दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए 25 पॉइंट का विंटर एक्शन प्लान लागू किया, सड़क-धूल से पटाखों तक हर स्तर पर सख्ती।
दिल्ली में प्रदूषण के खिलाफ एक्शन मोड: सरकार का 25 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान लागू
दिल्ली की दमघोंटू सर्दियों से निपटने के लिए इस बार सरकार ने कमर कस ली है। 2025-26 की ठंड शुरू होने से पहले ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने राजधानी में विंटर एक्शन प्लान लागू कर दिया है। इस प्लान में 7 थीम पर आधारित 25 एक्शन पॉइंट्स शामिल किए गए हैं, जिनका उद्देश्य सर्दियों में वायु प्रदूषण को काबू में रखना है।
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद यह योजना सार्वजनिक की। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बार नियमों के उल्लंघन पर किसी भी तरह की ढील नहीं दी जाएगी और हर विभाग को तय समय में अपनी जिम्मेदारियां पूरी करनी होंगी। मंत्री ने कहा, “हमारा लक्ष्य केवल योजनाएं बनाना नहीं है, बल्कि उनका सख्त पालन कराना है। दिल्ली की हवा को साफ करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।”
30 से ज्यादा एजेंसियों का संयुक्त अभियान
इस विंटर एक्शन प्लान को अमल में लाने के लिए दिल्ली की 30 से अधिक एजेंसियों को एक साथ जोड़ा गया है, जिनमें PWD, MCD, NDMC, DSIIDC, DPCC और दिल्ली पुलिस प्रमुख हैं। सभी विभागों को रोज़ाना समन्वय बैठक करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी स्तर पर संवाद की कमी न हो।
Green War Room के माध्यम से हर कार्रवाई की रियल-टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी और Green Delhi App के ज़रिए नागरिकों से भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। मंत्री ने राजधानी के नागरिकों से सार्वजनिक परिवहन और ईवी का अधिकतम उपयोग करने की अपील की है।
सड़क धूल और निर्माण गतिविधियों पर चौकसी
राजधानी में सड़क की धूल और निर्माण कार्यों से उठने वाले धूलकणों को प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत माना गया है। इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार ने 86 मैकेनिकल रोड स्वीपर, 300 स्प्रिंकलर और 362 एंटी-स्मॉग गन पहले ही तैनात कर दिए हैं। इसके अलावा 70 नए स्वीपर और मशीनें जोड़ी जाएंगी। हर बड़ी सड़क की वैक्यूम क्लीनिंग की जाएगी और रूट पर GPS आधारित ट्रैकिंग होगी।
निर्माण स्थलों पर सख्ती बढ़ाते हुए सरकार ने 500 वर्गमीटर से बड़े हर प्रोजेक्ट के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है। इसके अलावा 3,000 वर्गमीटर से बड़े और G+5 मंजिल वाली इमारतों पर एंटी-स्मॉग गन लगाना अनिवार्य होगा। राजधानी की सड़कों के किनारे 698 किलोमीटर पेविंग और 85 किलोमीटर मिड-वर्ज ग्रीनिंग का लक्ष्य रखा गया है।
वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर कड़ा नियंत्रण
दिल्ली में प्रदूषण का एक और बड़ा स्रोत वाहन उत्सर्जन है। इसे नियंत्रित करने के लिए 578 प्रवर्तन टीमों को तैनात किया गया है, जो धुआं छोड़ने वाले वाहनों और इंजन चालू रखने के मामलों पर नजर रख रही हैं। दिल्ली के 953 पीयूसी केंद्र अब ट्रांसपोर्ट डैशबोर्ड से लाइव जुड़े हैं, जिससे उनकी निगरानी आसान हो गई है।
सर्दियों में अगर प्रदूषण GRAP लेवल III या IV तक पहुंचता है तो पार्किंग शुल्क दोगुना कर दिया जाएगा ताकि लोग निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें। डीएमआरसी की ई-ऑटो फ्लीट 2,299 तक पहुंच चुकी है और नए पंजीकरणों में ईवी का हिस्सा 12% से ऊपर रहेगा।
उद्योग और ऊर्जा क्षेत्र में पर्यावरण अनुकूल बदलाव
दिल्ली के सभी उद्योग अब पीएनजी (PNG) पर संचालित हो रहे हैं। इसके बावजूद अनधिकृत ईंधनों की खपत पर सख्ती करने के लिए डीएसआईआईडीसी और डीपीसीसी की संयुक्त टीम बनाई गई है। सिर्फ ड्युअल फ्यूल या उत्सर्जन-अनुपालक डीजी सेट को ही चलाने की अनुमति है।
हालांकि, आवश्यक सेवाओं से जुड़े उपकरणों को इस नियम से छूट दी गई है। पुनर्विकास क्षेत्रों में स्थापित इकाइयों के लिए नई कंसेंट मैनेजमेंट प्रणाली लागू की गई है ताकि हर इकाई पर्यावरणीय अनुपालन सुनिश्चित करे।
कचरा जलाने और लैंडफिल पर नियंत्रण
सरकार ने खुले में कचरा या बायोमास जलाने पर रोक लगाने के लिए 443 टीमें 24×7 गश्त पर लगाई हैं। सरकार का लक्ष्य है कि 2025 में कोई भी लैंडफिल साइट आग की चपेट में न आए। ओखला, भलस्वा और गाजीपुर साइट के लिए तय समयसीमाएं घोषित की गई हैं – ओखला (जुलाई 2026), भलस्वा (दिसंबर 2026) और गाजीपुर (दिसंबर 2027)।
अब तक 136.27 लाख टन पुराने कचरे की बायोमाइनिंग हो चुकी है और सरकार की योजना मौजूदा 7,834 टीपीडी क्षमता में 7,000 टीपीडी और जोड़ने की है। इसके साथ ही Green Delhi App पर नागरिकों को कचरा जलाने की घटनाएं रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
खेतों में पराली जलाने की रोकथाम
पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली की हवा पर गंभीर असर पड़ता है। इससे निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने क्षेत्रीय खेतों में 100% PUSA Decomposer का छिड़काव पूरा कर लिया है ताकि किसानों को पराली जलाने की जरूरत न पड़े।
11 दिन और 5 रात की मोबाइल पेट्रोल टीमें बनाई गई हैं जो प्रदूषणकारी गतिविधियों पर रियल टाइम रिपोर्टिंग करती हैं। 1,407 आरडब्ल्यूए को दो-दो हीटर दिए गए हैं ताकि उनके सुरक्षा गार्ड ठंड में आग न जलाएं।
दिवाली 2025 के लिए पटाखों पर सख्ती
दिवाली के दौरान प्रदूषण का स्तर चरम पर पहुंच जाता है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, इस बार दिल्ली में केवल NEERI-प्रमाणित ग्रीन पटाखों की बिक्री और फोड़ने की अनुमति होगी। पटाखे सिर्फ 18 और 19 अक्टूबर को, सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे के बीच लाइसेंस प्राप्त स्थलों पर ही जलाए जा सकेंगे।
इस कदम से न सिर्फ प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जाएगा, बल्कि नागरिकों के स्वास्थ्य को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
जनता की भागीदारी बनी सबसे बड़ी ताकत
सरकार का मानना है कि केवल प्रशासनिक उपायों से प्रदूषण पर काबू नहीं पाया जा सकता। इसके लिए जनता की सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है। पर्यावरण मंत्री ने नागरिकों से Green Delhi App पर रिपोर्टिंग करने, GRAP Advisories का पालन करने और अधिकतम सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने की अपील की है।
दिल्ली के प्रदूषण से मुक्ति की दिशा में निर्णायक कदम
वर्ष 2025-26 के लिए दिल्ली का विंटर एक्शन प्लान न केवल तकनीकी बल्कि सामूहिक भागीदारी और निगरानी पर आधारित एक विस्तृत रणनीति है। सरकार ने इस बार सख्ती और पारदर्शिता के साथ काम शुरू किया है। यदि सभी विभाग और नागरिक पूरी ईमानदारी से इन निर्देशों का पालन करें, तो राजधानी की दमघोंटू हवा को शुद्ध करना अब असंभव नहीं।


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