बेंगलुरु के इंजीनियरिंग कॉलेज में जूनियर छात्र ने सीनियर को बाथरूम में बंद कर किया रेप, बाद में पूछा- दवा तो नहीं चाहिए?
जबरन मुलाकात से शुरू हुआ डरावना सिलसिला
कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्थित एक प्रतिष्ठित प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज उस वक्त सनसनीखेज खबर का केंद्र बन गया जब एक बीटेक की सीनियर छात्रा ने अपने ही कॉलेज के जूनियर छात्र पर दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगाया। आरोप के मुताबिक, आरोपी जूनियर छात्र ने पहले सीनियर छात्रा को बार-बार कॉल करके मिलने के लिए बुलाया और जब छात्रा उससे मिली तो वह उसे जबरन खींचते हुए पुरुष टॉयलेट में ले गया। यहीं पर उसने छात्रा के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया।
कॉलेज परिसर बना अपराध का मंच
घटना 10 अक्टूबर की है जब लंच ब्रेक के दौरान आरोपी छात्र जीवन गौड़ा ने छात्रा को आर्किटेक्चर ब्लॉक के पास बुलाया। बातचीत के बहाने वह छात्रा को पुरुषों के वॉशरूम की ओर ले गया। छात्रा के विरोध के बावजूद उसने उसे घसीटकर अंदर ले जाकर दरवाजा बंद कर दिया। वहां जबरदस्ती किस करने की कोशिश की और फिर रेप कर डाला। पीड़िता का यह भी आरोप है कि वारदात के कुछ समय बाद आरोपी ने उसे कॉल करके पूछा– "दवा तो नहीं चाहिए?"
आरोपी जूनियर, जो पहले था क्लासमेट
इस चौंकाने वाली वारदात में यह बात और भी हैरान करती है कि आरोपी पहले पीड़िता का क्लासमेट था। लेकिन जब वह एक बार परीक्षा में फेल हो गया, तो पीड़िता उससे एक वर्ष आगे हो गई और वह उसका जूनियर बन गया। इसके बावजूद, आरोपी जीवन गौड़ा लगातार संपर्क में था और संभवतः अपने अंदर की कुंठा को इस खतरनाक अपराध के रूप में बाहर लाया।
चुप्पी, डर और फिर हिम्मत
पीड़िता इस घिनौनी घटना के बाद तुरंत किसी से कुछ कह नहीं सकी। डर, सामाजिक कलंक और मानसिक आघात के कारण वह कुछ दिनों तक चुप रही। लेकिन पांच दिन बाद, यानी 15 अक्टूबर को उसने साहस दिखाते हुए हनुमंतनगर पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके तुरंत बाद पुलिस ने जीवन गौड़ा को गिरफ्तार कर लिया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
पुलिस जांच में जुटी, सबूतों की तलाश
पुलिस ने एफआईआर दर्ज करके मामले की जांच शुरू कर दी है। हालांकि कॉलेज परिसर के जिस स्थान पर यह वारदात हुई, वहां कोई भी CCTV कैमरा मौजूद नहीं है, जिससे घटना के फुटेज नहीं मिल सके। इसके बावजूद फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से डिजिटल और फिजिकल साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी यह भी देख रहे हैं कि क्या कॉल रिकॉर्ड और मोबाइल डेटा से कोई अहम सुराग मिल सकते हैं।
कॉलेज प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
इस पूरी घटना के बाद कॉलेज प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। छात्रा के अनुसार, कॉलेज परिसर में सुरक्षा को लेकर कोई सख्त व्यवस्था नहीं थी। इतना बड़ा अपराध दिनदहाड़े हो गया और किसी को भनक तक नहीं लगी। इस मामले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कई निजी शिक्षण संस्थान छात्राओं की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लेते।
समाज में बढ़ती मानसिक विकृति
यह घटना केवल एक रेप केस नहीं है, बल्कि यह समाज में बढ़ती मानसिक विकृति का भी उदाहरण है। जब एक पढ़ा-लिखा छात्र इतना बड़ा अपराध करता है, तो सवाल उठता है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था केवल डिग्री दे रही है या संस्कार भी? कॉलेजों में छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक संवेदनशीलता के बारे में कितनी जानकारी दी जाती है? क्या कॉलेजों में महिला सुरक्षा केवल कागजों तक सीमित रह गई है?
पीड़िता की हालत और न्याय की उम्मीद
इस घटना के बाद पीड़िता गहरे मानसिक आघात से गुजर रही है। उसे काउंसलिंग दी जा रही है और मेडिकल जांच की रिपोर्ट्स भी पुलिस को सौंप दी गई हैं। जीवन गौड़ा को 15 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया गया था और अब उसे न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है। पीड़िता को अब न्याय की आस है, और समाज की भी जिम्मेदारी है कि वह पीड़िता के साथ खड़ा हो।
क्या यह अकेला मामला है?
बेंगलुरु जैसे टेक हब और शिक्षण संस्थानों से भरे शहर में यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां कॉलेज परिसरों के भीतर ही यौन उत्पीड़न, ब्लैकमेलिंग और दुष्कर्म जैसी घटनाएं हुई हैं। यह सिलसिला तब तक नहीं रुकेगा जब तक कॉलेज प्रशासन, पुलिस और समाज इस तरह के मामलों में सख्ती नहीं दिखाते।
छात्रों के लिए अलर्ट और जागरूकता की जरूरत
इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि कॉलेज जाने वाली लड़कियों को न सिर्फ पढ़ाई के लिए बल्कि खुद की सुरक्षा के लिए भी सतर्क रहना होगा। साथ ही, कॉलेज प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे संवेदनशील क्षेत्रों में CCTV लगाएं, हेल्पलाइन नंबर सक्रिय करें और छात्राओं के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था लागू करें।
आरोपी को सख्त सजा ही बनेगी नजीर
यदि इस मामले में आरोपी को सख्त से सख्त सजा दी जाती है, तो यह एक मिसाल बन सकता है ताकि अन्य किसी मनचले को यह अपराध करने की हिम्मत न हो। कानून के डर से ही अपराध रोका जा सकता है, और यह केस न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता की भी परीक्षा है।
यह घटना केवल एक कॉलेज छात्रा के साथ हुए दुष्कर्म की कहानी नहीं है, बल्कि यह समाज के उस काले सच को उजागर करती है, जहां लड़कियां आज भी शिक्षण संस्थानों में सुरक्षित नहीं हैं। इस केस को लेकर जितनी गंभीरता से पुलिस और न्यायपालिका को कार्य करना है, उतनी ही जिम्मेदारी समाज की भी है कि वह पीड़िता के साथ खड़ा हो और ऐसे अपराधियों के खिलाफ कड़ा संदेश दे।


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