जौनपुर में नवरात्रि के दौरान सपा नेता को पनीर रोल की जगह चिकन रोल डिलीवर, 23 साल की तपस्या टूटी, उपभोक्ता फोरम में शिकायत।
जौनपुर में स्विगी डिलीवरी से धार्मिक आस्था पर चोट
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में नवरात्रि के दौरान आस्था से जुड़ा चौंकाने वाला मामला सामने आया है। समाजवादी पार्टी के मजदूर सभा के राष्ट्रीय महासचिव अमित यादव ने स्विगी ऐप से पनीर रोल ऑर्डर किया था। लेकिन शहर के नामचीन रेस्टोरेंट तंदूरी दरबार से उन्हें पनीर रोल की जगह चिकन रोल डिलीवर कर दिया गया। इस घटना से उनकी 23 साल की तपस्या भंग हो गई और धार्मिक भावनाएं गहरी चोटिल हुईं।
उपभोक्ता फोरम तक पहुंचा मामला
अमित यादव ने स्विगी और तंदूरी दरबार रेस्टोरेंट के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि नवरात्रि जैसे पावन पर्व में आस्था के साथ खिलवाड़ करना न केवल असंवेदनशीलता है, बल्कि धार्मिक मान्यताओं का अपमान भी है।
कैसे टूटी 23 साल की तपस्या
अमित यादव ने बताया कि उन्होंने 23 साल पहले अपनी मां के कहने पर मांसाहारी भोजन का त्याग कर दिया था। परिवार ने तभी से शाकाहारी और सात्विक जीवन अपनाया था। लेकिन जब शुक्रवार की दोपहर बेटे अरिहंत के कहने पर स्विगी से ऑर्डर किया तो उसमें एक पनीर और एक चिकन रोल मिला। चिकन रोल उनके हिस्से आया और उसी पल उन्हें ऐसा लगा कि उनकी मां की कही बात और उनकी वर्षों की तपस्या भंग हो गई।
डिलीवरी में हुई गलती और रेस्टोरेंट की भूमिका
यह घटना लाइनबाजार थाना क्षेत्र के हुसैनाबाद इलाके में हुई। ऑर्डर में दो पनीर रोल मांगे गए थे लेकिन डिलीवर हुए एक पनीर और एक चिकन रोल। अमित यादव ने इस लापरवाही को सीधे तौर पर तंदूरी दरबार रेस्टोरेंट की गलती बताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह से नामी होटल और फूड कंपनियां आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।
स्विगी का रुख और रिफंड
पीड़ित के मुताबिक, शिकायत करने पर स्विगी ने केवल एक रोल के पैसे वापस किए और गलती के लिए माफी मांग ली। कंपनी ने यह भी कहा कि आगे से ऐसी गलती नहीं होगी। लेकिन अमित यादव और उनका परिवार इस जवाब से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि नवरात्रि में ऐसे मामलों पर सिर्फ माफी नहीं, बल्कि कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
धार्मिक आस्था से जुड़ी गंभीरता
अमित यादव ने कहा कि नवरात्रि में तो सड़क किनारे अंडे बेचने वालों के ठेले तक हटा दिए जाते हैं। ऐसे में बड़ी कंपनियों और रेस्टोरेंट्स का इस तरह की लापरवाही बरतना बेहद गंभीर है। उन्होंने मांग की है कि प्रशासन को इस मामले पर सख्ती दिखानी चाहिए ताकि भविष्य में किसी और की धार्मिक भावनाएं आहत न हों।
समाज और राजनीति में गूंज
जौनपुर का यह मामला सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बन गया है। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि इस घटना ने न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, बल्कि यह उपभोक्ता अधिकारों का भी उल्लंघन है। विपक्षी दलों के नेता भी इस मुद्दे पर कंपनियों की जवाबदेही तय करने की बात कर रहे हैं।
उपभोक्ता अधिकार और कानूनी पहलू
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज करने के बाद कंपनी और रेस्टोरेंट दोनों को जवाब देना पड़ेगा। ऐसे मामलों में आर्थिक मुआवजा और सेवा प्रदाता पर पेनल्टी लग सकती है।
परिवार की पीड़ा और यादें
अमित यादव और उनके परिवार ने बताया कि उनकी मां का गुजर जाना पहले ही उनके लिए गहरा दुख था। मां की बात मानकर उन्होंने 23 साल तक मांसाहार से दूरी बनाई। लेकिन इस घटना ने मां की यादों को झकझोर दिया और परिवार को भावनात्मक आघात पहुंचाया।
जौनपुर की यह घटना न केवल धार्मिक आस्था से खिलवाड़ का मामला है, बल्कि उपभोक्ता अधिकारों और कंपनियों की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े करती है। नवरात्रि जैसे पावन समय में एक साधारण-सी गलती ने एक परिवार की 23 साल की तपस्या तोड़ दी और पूरे शहर को चर्चा में ला दिया।


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