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मकान पर फर्जी कागज बनाकर भाई ने लिया 9 लाख का लोन, वाराणसी ADG के आदेश पर धोखाधड़ी व धमकी का मुकदमा दर्ज
इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट
मकान पर कूटरचित कागजात से धोखाधड़ी का बड़ा मामला
मछलीशहर नगर में भाईचारे को कलंकित करने वाला सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है। यहां एक भाई पर आरोप है कि उसने अपने ही भाई के मकान पर कूटरचित दस्तावेज बनवाकर 9 लाख रुपये का लोन ले लिया। इस चौंकाने वाले मामले की शिकायत पीड़ित जितेंद्र गुप्ता ने वाराणसी अपर पुलिस महानिदेशक के समक्ष की। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने धोखाधड़ी, जालसाजी और जान से मारने की धमकी सहित गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
1997 में खरीदी गई जमीन पर खड़ा हुआ विवादित मकान
पीड़ित जितेंद्र गुप्ता और उनके भाई अनिल ने वर्ष 1997 में संयुक्त रूप से जमीन खरीदी थी। इस जमीन पर दोनों भाइयों ने मिलकर मकान और दुकान का निर्माण कराया। समय बीतने के साथ दोनों की आर्थिक परिस्थितियां अलग-अलग हो गईं। जब हाल ही में जितेंद्र गुप्ता ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मछलीशहर शाखा में लोन लेने के लिए आवेदन किया, तब पूरा मामला सामने आया। बैंक अधिकारियों ने बताया कि उक्त मकान पर पहले से ही शक्ति एंटरप्राइजेज नाम से 9 लाख रुपये का लोन लिया जा चुका है।
शक्ति एंटरप्राइजेज और ज्योति अग्रहरि का नाम जुड़ा
जांच में सामने आया कि शक्ति एंटरप्राइजेज की प्रोपराइटर अनिल गुप्ता की पत्नी ज्योति अग्रहरि हैं। यह भी आरोप है कि अनिल गुप्ता ने अपनी पत्नी के नाम से फर्जी कागजात बनवाकर यह लोन हासिल किया। जब पीड़ित जितेंद्र गुप्ता ने अपने भाई अनिल से इस संबंध में बातचीत करनी चाही, तो उन्हें धमकी दी गई कि यदि उन्होंने इस मामले को सार्वजनिक किया तो उनकी जान तक ले ली जाएगी।
वाराणसी ADG के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा
पीड़ित ने पूरे प्रकरण की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी। वाराणसी अपर पुलिस महानिदेशक ने तत्काल मामले को गंभीर मानते हुए मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। आदेश मिलते ही पुलिस ने संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी।
प्रभारी निरीक्षक का बयान
मामले की पुष्टि करते हुए मछलीशहर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक विनीत राय ने कहा कि पीड़ित की शिकायत पर धोखाधड़ी, जालसाजी और धमकी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। फिलहाल पूरे मामले की जांच की जा रही है और जांच पूरी होने के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।
बैंक प्रबंधन का पक्ष
इस पूरे विवाद पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक राजीव कुमार ने कहा कि संबंधित मामला वर्ष 2011 का है। उस समय वे इस शाखा में पदस्थ नहीं थे। उन्होंने बताया कि प्रार्थी से फर्जी हस्ताक्षर के मामले में शिकायत पत्र मांगा गया था लेकिन उसने पुलिस कार्रवाई कराने की बात कही थी। बैंक का कहना है कि पुलिस की जांच पूरी होने के बाद ही सही स्थिति सामने आ सकेगी।
परिवारिक रिश्तों में दरार
इस पूरे मामले ने परिवारिक रिश्तों पर गहरी चोट पहुंचाई है। संयुक्त रूप से खरीदी गई संपत्ति पर इस प्रकार के धोखाधड़ी ने दोनों भाइयों के बीच दरार और गहरी कर दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि परिवारिक विवाद की यह घटना पूरे नगर में चर्चा का विषय बन चुकी है।
पुलिस जांच पर टिकी निगाहें
फिलहाल पुलिस ने संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। पीड़ित पक्ष को उम्मीद है कि जांच के बाद उन्हें न्याय मिलेगा। वहीं आरोपी पक्ष की ओर से अब तक कोई स्पष्ट सफाई सामने नहीं आई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पुलिस की जांच में वाकई फर्जीवाड़ा साबित होता है या फिर मामला किसी अन्य मोड़ लेता है।
मकान और संपत्ति को लेकर पारिवारिक स्तर पर उपजा यह विवाद अब पुलिस जांच के घेरे में है। एक तरफ भाई पर धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप है, तो दूसरी तरफ पूरा मामला अदालत और जांच की प्रक्रिया से गुजर रहा है। वाराणसी ADG के आदेश पर दर्ज मुकदमा इस बात का प्रमाण है कि मामला बेहद गंभीर है। अब न्याय की दिशा में आगे बढ़ते इस केस पर सबकी नजरें टिकी हैं।


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