बरेली STF ने 1500 रुपये में फर्जी आधार सॉफ्टवेयर बेचने वाले जयवीर गंगवार को गिरफ्तार किया, दो हजार लोगों से ठगी का खुलासा
बरेली से फर्जी आधार सॉफ्टवेयर बेचने वाला ठग गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने बरेली जिले से एक बड़े साइबर फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। एसटीएफ की टीम ने जयवीर गंगवार नामक युवक को गिरफ्तार किया है, जो लंबे समय से फर्जी आधार कार्ड बनाने का सॉफ्टवेयर बेचकर ठगी कर रहा था। जांच में सामने आया है कि जयवीर सिर्फ 1500 रुपये में फर्जी आधार सॉफ्टवेयर बेचता था और इसके बदले लोगों को आईडी और पासवर्ड उपलब्ध कराता था। इस सॉफ्टवेयर के जरिए देशभर के हजारों लोगों से ठगी की गई है।
सोशल मीडिया के जरिए ठगी का जाल
आरोपी जयवीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर अपना नेटवर्क बढ़ाता था। फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुपों पर वह फर्जी सॉफ्टवेयर का विज्ञापन करता था और जो लोग उसकी पोस्ट देखते थे, उनसे संपर्क कर ऑनलाइन ही लेन-देन कर लेता था। आरोपी ने तकनीक का गलत इस्तेमाल करते हुए लोगों को आसान कमाई का सपना दिखाया और कई राज्यों में अपने ग्राहकों का जाल बिछा दिया।
हजारों लोगों को बनाया शिकार
एसटीएफ की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि आरोपी जयवीर गंगवार ने अब तक उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात समेत कई राज्यों के करीब दो हजार से अधिक लोगों को अपना शिकार बनाया है। प्रत्येक व्यक्ति से वह औसतन 1500 रुपये लेकर सॉफ्टवेयर बेचता था। इस तरह वह लाखों रुपये का फर्जीवाड़ा कर चुका है। पुलिस की मानें तो उसके ग्राहक भी इस ठगी का हिस्सा बनते थे क्योंकि वे भी फर्जी आधार बनाकर दूसरों को नुकसान पहुंचाते थे।
बरामद हुआ डिजिटल सबूत
गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ टीम ने जयवीर गंगवार के पास से चार एटीएम कार्ड, कई फर्जी आधार कार्ड, एक लैपटॉप और कई मोबाइल फोन जब्त किए हैं। पुलिस अब इनसे डिजिटल सबूत जुटाने में लगी है ताकि उसके नेटवर्क के बाकी लोगों तक भी पहुंचा जा सके। मोबाइल और लैपटॉप की डाटा रिकवरी कर यह पता लगाया जा रहा है कि आरोपी किन-किन लोगों के संपर्क में था और किन राज्यों तक उसका फर्जीवाड़ा फैला हुआ था।
लंबे समय से थी तलाश
पुलिस सूत्रों के मुताबिक जयवीर की तलाश काफी समय से की जा रही थी। शिकायतें लगातार मिल रही थीं कि कोई व्यक्ति ऑनलाइन फर्जी आधार कार्ड बनाने का सॉफ्टवेयर बेच रहा है। एसटीएफ की साइबर सेल ने तकनीकी निगरानी और डिजिटल ट्रैकिंग के जरिए आरोपी का लोकेशन बरेली में ट्रेस किया और फिर उसे धर दबोचा। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
लोगों को झांसे में फंसाने का तरीका
आरोपी का तरीका बेहद चालाकी से भरा हुआ था। वह फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रुप में लोगों को यह विश्वास दिलाता था कि उसके पास एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिससे आधार कार्ड आसानी से बनाए जा सकते हैं। उसने झूठी सफलता की कहानियां और फर्जी स्क्रीनशॉट शेयर करके लोगों का विश्वास जीता। इसके बाद वह 1500 रुपये लेकर सॉफ्टवेयर बेच देता और आईडी-पासवर्ड देकर झूठी सेवा प्रदान करता।
साइबर अपराध का बढ़ता खतरा
यह मामला एक बार फिर इस बात की ओर इशारा करता है कि साइबर अपराधी किस तरह सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। आम लोग सस्ते लालच और आसान समाधान के चक्कर में ठगों के जाल में फंस जाते हैं। आधार कार्ड जैसी संवेदनशील पहचान प्रणाली का दुरुपयोग करना न सिर्फ अपराध है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है।
एसटीएफ की आगे की जांच
फिलहाल एसटीएफ टीम आरोपी से पूछताछ कर रही है। पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि जयवीर के साथ और कौन-कौन लोग इस नेटवर्क में शामिल थे और उसका मुख्य सरगना कौन है। संभावना है कि इस गिरोह का नेटवर्क देश के कई राज्यों तक फैला हुआ है। पुलिस को उम्मीद है कि इस गिरफ्तारी से साइबर अपराध की कई अन्य परतें भी खुलेंगी।
आधार कार्ड सुरक्षा पर बड़ा सवाल
इस घटना ने आधार कार्ड की सुरक्षा प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर कोई युवक इतनी आसानी से फर्जी सॉफ्टवेयर बेचकर लोगों को ठग सकता है, तो यह आम नागरिकों के लिए चिंता का विषय है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए सरकार को साइबर सुरक्षा के ढांचे को और मजबूत करना होगा।
आम जनता को सावधान रहने की जरूरत
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी तरह के फर्जी सॉफ्टवेयर या ऑनलाइन ऑफर से सावधान रहें। अगर कोई व्यक्ति आपको आधार कार्ड बनाने या सरकारी कामों में शॉर्टकट का ऑफर दे, तो तुरंत इसकी सूचना पुलिस या साइबर सेल को दें। साइबर अपराधियों से बचने का सबसे बेहतर तरीका है जागरूक रहना और किसी भी लालच में न आना।
बरेली में हुई यह गिरफ्तारी साइबर अपराध के खिलाफ एसटीएफ की बड़ी सफलता मानी जा रही है। जयवीर गंगवार द्वारा 1500 रुपये में फर्जी आधार सॉफ्टवेयर बेचने और दो हजार से ज्यादा लोगों को ठगने का खुलासा हुआ है। इस केस से यह साफ है कि डिजिटल युग में अपराधी लगातार नए तरीके इजाद कर रहे हैं और उनसे बचने के लिए समाज को भी तकनीकी रूप से सतर्क रहना होगा।


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