विरार बिल्डिंग हादसा: 4 मंजिला इमारत का हिस्सा ढहा, 14 की मौत… गैरकानूनी अपार्टमेंट पर बड़ा खुलासा


पालघर के विरार में रमाबाई अपार्टमेंट का हिस्सा ढहा, 14 की मौत, गैरकानूनी निर्माण पर बिल्डर हिरासत में, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी


विरार में बड़ा हादसा: चार मंजिला इमारत ढहने से 14 की मौत, मलबे में अब भी लोग फंसे होने की आशंका

हादसे की शुरुआती जानकारी

महाराष्ट्र के पालघर जिले के विरार में मंगलवार देर रात एक दर्दनाक हादसा हुआ जिसने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया. स्वामी समर्थ नगर स्थित नारंगी फाटा इलाके में बने रमाबाई अपार्टमेंट की चार मंजिला इमारत का हिस्सा अचानक ढह गया. इस इमारत के गिरने से अब तक 14 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है. घटना के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई और स्थानीय लोग मदद के लिए दौड़ पड़े.

मृतकों की पहचान और परिवारों पर गहरा आघात

इस हादसे ने कई परिवारों को तबाह कर दिया. मृतकों में एक मां और बेटी की जोड़ी भी शामिल है जिससे यह और भी दिल दहला देने वाला बन गया है. हादसे के बाद मलबे से अब तक कुल 17 लोगों को निकाला गया है जिनमें से दो लोगों को जिंदा रेस्क्यू किया गया. घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है जहां उनका इलाज जारी है.

बचाव कार्य और NDRF की तैनाती

हादसे के तुरंत बाद राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया. शुरुआत में स्थानीय लोग और फायर ब्रिगेड के जवान हाथों से मलबा हटाने की कोशिश करते रहे क्योंकि जिस जगह इमारत गिरी वह बेहद तंग गलियों में स्थित थी जहां भारी मशीनें पहुंचना मुश्किल था. बाद में मौके पर जेसीबी और अन्य भारी मशीनें लगाई गईं जिससे मलबा हटाने की रफ्तार बढ़ी. नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) की दो टीमों को भी मौके पर बुलाया गया है जो लगातार फंसे हुए लोगों को निकालने में लगी हैं.

वसई-विरार नगर निगम की भूमिका

जानकारी के अनुसार रमाबाई अपार्टमेंट वर्ष 2012 में बनाया गया था और इसे वसई-विरार नगर निगम ने पहले ही खतरनाक घोषित कर दिया था. इसके बावजूद इसमें कई परिवार रह रहे थे. यही लापरवाही इस हादसे की सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है. निगम अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पहले ही चेतावनी दी थी लेकिन लोगों ने इसे नजरअंदाज कर दिया.

गैरकानूनी इमारत और बिल्डर की गिरफ्तारी

हादसे के बाद बड़ा खुलासा यह हुआ कि रमाबाई अपार्टमेंट का निर्माण बिना किसी अनुमति के किया गया था. नगर निगम ने स्पष्ट किया है कि इस इमारत के लिए किसी भी प्रकार की वैध मंजूरी नहीं ली गई थी. हादसे के बाद पुलिस ने निगम की शिकायत पर बिल्डर को हिरासत में ले लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है. अब बिल्डर और उससे जुड़े लोगों पर गैरकानूनी निर्माण और लापरवाही से मौत का मामला दर्ज होने की संभावना है.

प्रशासन और जिला कलेक्टर का बयान

पालघर जिले की कलेक्टर इंदु रानी जाखड़ ने कहा कि मलबे में अब भी लोगों के फंसे होने की आशंका है इसलिए बचाव कार्य पूरी तत्परता से किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि आसपास की चॉलों को भी खाली करा लिया गया है ताकि किसी और हादसे से बचा जा सके. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने जानकारी दी कि जिस चॉल पर यह हिस्सा गिरा था वह पहले से ही खाली थी, जिससे वहां कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ.

इलाके में दहशत और स्थानीय लोगों का गुस्सा

इस घटना के बाद इलाके में दहशत का माहौल है. लोग अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों की खबर लेने के लिए इधर-उधर भाग रहे हैं. कई लोग निगम और प्रशासन पर सवाल उठा रहे हैं कि जब यह इमारत पहले ही खतरनाक घोषित हो चुकी थी तो इसे गिराने या खाली कराने की ठोस कार्रवाई क्यों नहीं की गई. स्थानीय निवासियों का आरोप है कि नगर निगम ने सिर्फ नोटिस चिपकाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली लेकिन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई.

महाराष्ट्र में इमारत हादसों का इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब महाराष्ट्र में किसी इमारत के ढहने से इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान गई हो. मुंबई, ठाणे और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिनमें अवैध और जर्जर इमारतें मौत का सबब बनीं. 2013 में मुंबई के डोंगरी इलाके में एक पुरानी इमारत गिरने से 60 से ज्यादा लोग मारे गए थे. ऐसे ही कई हादसे बार-बार सवाल खड़े करते हैं कि क्या राज्य में निर्माण कार्यों पर कोई ठोस निगरानी नहीं रखी जाती.

हादसे से उठते सवाल

विरार की इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर क्यों लोग अवैध और खतरनाक इमारतों में रहने को मजबूर होते हैं. क्या वजह है कि नगर निगम की चेतावनियों के बावजूद प्रशासनिक स्तर पर कोई सख्ती नहीं होती. यह हादसा न केवल बिल्डर और अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है बल्कि उस सिस्टम की भी पोल खोलता है जो समय रहते कार्रवाई नहीं करता.

वर्तमान स्थिति

फिलहाल राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है और मलबा हटाने का काम तेज किया जा रहा है. प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की है और घायलों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है. पुलिस और आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर कैंप कर रही हैं ताकि किसी भी तरह की लापरवाही न हो. हालांकि इस घटना ने कई परिवारों की दुनिया उजाड़ दी है जिनके लिए अब सिर्फ इंसाफ और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई ही राहत का कारण हो सकती है.

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